Raksha Sutra Niyam: रक्षा सूत्र बांधने के क्या नियम हैं, क्या इसे बांधते समय देखना चाहिए शुभ मुहूर्त
Raksha Sutra Niyam: हिंदू धर्म में रक्षा सूत्र या कलावा बांधने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। ये केवल धार्मिक महत्व ही नहीं रखता है बल्कि इसे वैज्ञानिक और ज्योतिषीय दृष्टि से भी लाभकारी माना जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं इससे जुड़े नियम और महत्व क्या हैं।

रक्षा सूत्र की महत्ता
हिंदू धर्म के धार्मिक अनुष्ठानों में कलाई पर कलावा बांधने की परंपरा है, जिसे रक्षा सूत्र या मौली भी कहा जाता है। ये प्रथा वैदिक हिंदू संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यज्ञ के दौरान इसे बांधने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।

कलावा बांधने का शुभ मुहूर्त
रक्षा सूत्र किसी भी दिन बांधा जा सकता है, लेकिन इसे बांधते समय शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना चाहिए। विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को पुराने कलावे को हटाकर नया कलावा बांधना अत्यंत ही शुभ माना जाता है।

कितने दिन रखें
शास्त्रों के अनुसार, रक्षा सूत्र को अधिक से अधिक 21 दिनों तक पहनना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि इसके बाद इसका प्रभाव कम हो जाता है, इस नाते इसे हटाकर नया कलावा बांधना उचित होता है। इससे नई ऊर्जाएं व्यक्ति के जीवन में प्रवेश करती हैं।

पुराना कलावा
हाथ से उतारे गए पुराने रक्षा सूत्र को पवित्र नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए। यदि ये संभव न हो, तो किसी पेड़ की जड़ में गड्ढा खोदकर दबा देना चाहिए। इसे घर में या सड़क पर फेंकना अशुभ माना जाता है जिससे देवी-देवता भी नाराज होते हैं।

कलावा बांधने का सही तरीका
पुरुषों और अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में रक्षा सूत्र बांधना चाहिए, जबकि विवाहित महिलाओं को बाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए। कलावा को भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है, और इसे विधिवत बांधने से देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।

कलावा लपेटने की संख्या
रक्षा सूत्र को तीन, पांच, सात, या नौ बार लपेटा जा सकता है। ये संख्या शुभ मानी जाती है और इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सकता है। ऐसा माना जाता है कि इसे बांधने से रक्तचाप, हृदय संबंधी समस्याओं और अन्य शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिल सकती है।

ध्यान रखने वाली बात
रक्षा सूत्र बांधते समय हाथ की मुट्ठी बंद रखनी चाहिए और उसमें अक्षत और दक्षिणा रखना चाहिए। बाद में इसे बांधने वाले व्यक्ति को देना चाहिए। इसके साथ ही, दूसरा हाथ हमेशा सिर पर रखना चाहिए, जिससे कलावे का प्रभाव अधिक फलदायी होता है।

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