महादेव की बड़ी भक्त हैं Rasha Thadani, 11 ज्योतिर्लिंगों के कर चुकी हैं दर्शन, जानिए ज्योतिर्लिंग दर्शन का सही क्रम क्या है
What Is The Sequence of Jyotirlinga Darshan: हाल ही में एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में रवीना टंडन की बेटी राशा थडानी ने बताया कि वो शिव की बड़ी भक्त हैं और अब तक 11 ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर चुकी हैं। अब बस नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करना बाकी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ज्योतिर्लिंग दर्शन का सही क्रम क्या है?
12 ज्योतिर्लिंग दर्शन का क्रम
सनातन धर्म में ज्योतिर्लिंग दर्शन का विशेष महत्व माना जाता है। कहते हैं जो व्यक्ति अपने जीवनकाल में सभी 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन कर लेता है उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। साथ ही ऐसे लोगों पर शिव की खूब कृपा बरसती है। चलिए आपको बताते हैं इन स्वंभू ज्योतिर्लिंगों के दर्शन किस क्रम में करने चाहिए।
द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन का महत्व
भारत में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग मंदिर हैं, जिन्हें द्वादश ज्योतिर्लिंग कहते हैं। वैसे तो इन ज्योतिर्लिंगों मंदिरों में पूरे साल भक्तों का तांता लग रहता है लेकिन सावन के पवित्र महीने में यहां भक्तों की सबसे ज्यादा भीड़ उमड़ती है।
द्वादश ज्योतिर्लिंग की यात्रा
धार्मिक ग्रंथों में द्वादश ज्योतिर्लिंग की यात्रा का एक क्रम निर्धारित किया गया है। मान्यता है कि इन 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन सही क्रम में करने से तीर्थ यात्रा का पूर्ण फल प्राप्त हो जाता है।
सबसे पहले कौन से ज्योतिर्लिंग का करें दर्शन
यहां हम आपको बताएंगे महादेव शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग का दर्शन किस क्रम में करना चाहिए यानी कहां से शुरू करें और कहां पर समाप्त करें।
धर्म ग्रंथों में बताया गया है ज्योतिर्लिंग दर्शन का सही क्रम
12 ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, केदारेश्वर, भीमाशंकर, विश्वनाथ, त्र्यंबकेश्वर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वर और घुष्मेश्वर शामिल हैं। इन ज्योतिर्लिंगों का दर्शन इसी क्रम में करना चाहिए।
द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र
मान्यता है कि जो लोग इन सभी ज्योतिर्लिंग की यात्रा नहीं कर सकते हैं, यदि वे प्रतिदिन द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र का जाप करें तो उन्हें इन सभी ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का लाभ घर बैठे ही मिल जाएगा। ये मंत्र है- सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। उज्जयिन्यां महाकालं ओंकारंममलेश्वरम्॥ परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्। सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥ वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे। हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥ एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः। सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥और पढ़ें
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