सीता जी ने क्यों दिया था फल्गु नदी को श्राप, जहां पिंडदान का है विशेष महत्व
Cursed River by Mata Sita (माता सीता का श्राप): पितरों को तर्पण देने वाली भारत की ये नदी आज भी जूझती है माता सीता के कठोर श्राप से


माता सीता का श्राप
भारत देश में रामायण को धार्मिक, साहित्यिक और ऐतिहासिक मान्यता प्राप्त है। मार्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का सुंदर वर्णन करने वाले रामायण महाकाव्य की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की थी। आज भी भारत में रामायण के तथ्य और कथाएं प्रचलित हैं जिनमें से एक श्राप की बात अक्सर कही जाती है जो माता सीता ने भारत की इस नदी को दिया। आज हम आपको माता सीता के श्राप और भारत की शापित नदी के बारे में बतायेंगे।


रामायण
रामायण आदिकाल में लिखा गया एक प्राचीन हिंदू महाकाव्य है जिसकी रचना हजारों साल पूर्व महर्षि वाल्मीकि ने की थी। अयोध्या के राजमहल से लेकर लंका पर विजयी होने की किस अद्भुत यात्रा में भगवान राम और माता सीता की जीवन यात्रा को 24000 श्लोकों के माध्यम से बताया गया है।
माता सीता
माता सीता राजा जनक की पुत्री थीं जिनका विवाह अयोध्या के महाराज दशरथ के पुत्र श्रीराम से हुआ था। माता सीता को हिंदू मान्यताओं के अनुसार माता लक्ष्मी का अवतार भी माना जाता है। माता सीता ने कदम-कदम पर श्रीराम का साथ दिया और पत्नी धर्म की एक मिसाल कायम की।
फल्गु नदी
फल्गु नदी बिहार के गया धाम से होकर गुजरने वाली पावन नदी है जो सदियों से पितरों का तर्पण करते आ रही है। भगवान विष्णु का प्रसिद्ध प्राचीन विष्णुपद मन्दिर इसके किनारे मौजूद है। पितृपक्ष के दौरान यहां भारत के हर कोने से लोग पिंडदान करवाने आते हैं। इसे भारत की शापित नदी के नाम से जाना जाता है।
श्राप का सच
लोक मान्यताओं और धर्म शास्त्रों के अनुसार माता सीता के श्राप से जुड़ी कथा ये है कि – महाराज दशरथ का श्राद्ध और पिंडदान करने के लिए भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी गया धाम पहुंचे। श्राद्ध और पिंडदान का सामान एकत्रित करने के लिए श्रीराम और लक्ष्मण वहां से चले गए। घाट पर बैठी माता सीता ने आकाश से एक भविष्यवाणी सुनी कि पिंडदान का समय निकला जा रहा है। माता सीता ने बिना देर किए अपने ससुर का श्राद्ध और पिंडदान कर दिया।
क्या था श्राप ?
सीता जी द्वारा किये गए पिंडदान के गवाह 5 चीजें हुई – अक्षय वट वृक्ष, फाल्गु नदी, गाय, तुलसी का पौधा और ब्राह्मण। श्री राम और लक्ष्मण के लौटने पर सीता जी उन्हें सारी बात बताई और अपने गवाहों से सच कहने को कहा लेकिन सबने श्रीराम के क्रोध के कारण सबने झूठ बोला केवल अक्षय वट वृक्ष ने सच कहा जिसे माता सीता का आशीर्वाद मिला लेकिन फाल्गु नदी समेत अन्य चीजों को माता सीता का कठोर श्राप आज तक भोगना पड़ रहा हैं।
वर्तमान में फाल्गु नदी
माता सीता के श्राप के कारण फाल्गु नदी ने अपने प्रवाह को खो दिया और वो धरती के नीचे बहने लगी। हालांकि लीलाजन नदी और मोहाना नदी के संगम के कारण इसका भौतिक स्वरूप देखने को मिलता है लेकिन असली फाल्गु नदी आज भी धरती के नीचे से बहती है।
कलयुग में श्राप का असर
कथा के अनुसार केवल अक्षय वट वृक्ष को माता सीता का आशीर्वाद मिला और बाकी अन्य चीजों पर आज भी श्राप का असर देखने को मिलता है। माता सीता एक प्रतिव्रता नारी थीं जिनके बोले गये एक-एक शब्द आज भी सार्थक हैं।
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