भगवान राम को किस नाम से पुकारती थीं माता सीता? दे दिया जवाब तो कहलाएंगे सच्चे सनातनी
Sita Ji Ram Ji Ko Kis Naam Se Pukarte The: सनातन धर्म में ऐसी मान्यता है कि पत्नी को पति का नाम नहीं लेना चाहिए। इसलिए माता सीता भी भगवान राम का वास्तविक नाम नहीं लेती थी। लेकिन वो उन्हें किसी खास नाम से पुकारती थीं। ये शायद ही कोई जानता हो।

भगवान राम को इस खास नाम से बुलाती थीं सीता जी
माता सीता और भगवान राम को पहली ही नजर में एक-दूसरे से प्रेम हो गया था। कहते हैं दोनों की पहली मुलाकात वाटिका में हुई थी। श्री राम जी गुरु विशिष्ठ की आज्ञा से पूजा के लिए वाटिका में फूल लेने गए थे। माता सीता भी उस समय वहां मौजूद थीं। तब दोनों ने एक-दूसरे को देखा और उन्हें प्यार हो गया। इसके बाद उनका विवाह संपन्न हुआ। माता सीता अपने पति यानी भगवान राम से बहुत प्रेम करती थीं और उन्हें एक खास नाम से पुकारती थीं।

कोई नहीं जानता था ये नाम
भगवान श्रीराम को माता सीता करूणानिधान कहकर पुकारती थीं। कहते हैं यह नाम प्रभु श्रीराम और माता सीता जी ही जानती थीं।

क्यों सीता जी ने चुना ये नाम
कहते हैं जब सीता जी इस चीज को लेकर चिंतित थीं कि कहीं उनके पिता द्वारा रखी गयी शिव धनुष भंग करने की शर्त को किसी और ने पूरा कर दिया तो उनका विवाह राम जी से नहीं हो पाएगा। अपनी इस चिंता को दूर करने के लिए माता सीता अपनी अराध्य देवी मां पार्वती की शरण में गयी। (पढ़ें- घर में कौन-कौन से 5 पौधे लगाने चाहिए? जानिए वास्तु शास्त्र का जवाब)

माता सीता को बहुत पसंद आया ये नाम
तब माता पार्वती सीता जी को समझाती हुए कहती हैं कि राम साक्षत परमेश्वर हैं। इसलिए राम ही तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे। माता पार्वती कहती हैं कि श्रीराम करूणानिधान और शीलवान और सर्वज्ञ हैं।

करूणानिधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो
पार्वती जी द्वारा कहे गये शब्दों को ध्यान में रखते हुए सीता जी ने तय किया कि वह श्री राम को अब से करूणानिधान के नाम से ही पुकारेंगी। कहते हैं तभी से मां सीता प्रभु श्री राम को इसी नाम से बुलाने लगीं।

जब भगवान हनुमान को श्री राम ने बताया ये खास नाम
कहते हैं जब सीता माता का पता लगाने के लिए हनुमान जी लंका जाने लगे तब श्री राम ने हनुमान जी को अपनी मुद्रिका सीता माता को देने के लिए कहा। जिससे सीता जी जान सकें कि हनुमान जी राम जी के ही दूत हैं। लेकिन हनुमान जी ने शंका जताई कि फिर भी माता सीता नहीं मानीं तब क्या करेंगे। तब श्री राम ने हनुमान जी से कहा कि तुम सीता को कहना की आपके करूणानिधान ने यह मुद्रिका दी है। क्योंकि ये नाम मेरे और सीता के अलावा किसी को भी नहीं पता।

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