Surya Grahan 2024: 8 अप्रैल को लगेगा पूर्ण सूर्य ग्रहण, जानिए ग्रहण कितने प्रकार के होते हैं
Surya Grahan (Total Solar Eclipse) 2024 Date And Time: साल 2024 का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल को लगने जा रहा है। ये पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा। यहां आप जानेंगे ग्रहण कितने प्रकार के होते हैं।

8 अप्रैल को लगेगा सूर्य ग्रहण
Surya Grahan (Total Solar Eclipse) 2024 Date And Time: 8 अप्रैल 2024 को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। ये खग्रास ग्रहण होगा जिसे पूर्ण सूर्य ग्रहण भी कहते हैं। ज्योतिष विशेषज्ञों की मानें तो ऐसा ग्रहण पूरे 54 सालों बाद लगने जा रहा है। लेकिन भारत में ये ग्रहण दिखाई नहीं देगा।

सूर्य ग्रहण के प्रकार
सूर्य ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है। लेकिन कई बार चंद्रमा सूर्य के पूरे भाग को ढक लेता है तो कई बार कुछ ही भाग को ढक पाता है। इस तरह से सूर्य ग्रहण के कुल 4 प्रकार होते हैं। चलिए जानते हैं इनके बारे में।

पूर्ण सूर्य ग्रहण (खग्रास सूर्यग्रहण)
जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है और वह इतनी दूरी पर होता है जिससे सूर्य का प्रकाश कुछ समय के लिए पूरी तरह से पृथ्वी पर आने से रूक जाता है। इस स्थिति में पृथ्वी पर अंधेरा सा छा जाता है। इसी घटना को पूर्ण सूर्य ग्रहण कहा जाता है।

कंकणाकृति सूर्यग्रहण (वलयाकार सूर्य ग्रहण)
जब सूर्य के चारों तरफ चक्कर लगाते हुए पृथ्वी और पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगाते हुए चंद्रमा इस तरह की स्थिति में आ जाते हैं कि पृथ्वी से देखने पर चंद्रमा सूर्य के बिल्कुल बीचो-बीच दिखाई देता है तब इसे वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं। इस स्थिति में सूर्य बीच में से काला और किनारों से चमकदार दिखाई देता है। यह एक अंगूठी या कंगन की तरह नजर आता है। जिस वजह से इसे कंकणाकृति सूर्यग्रहण भी कहते हैं।

आंशिक सूर्यग्रहण (खंडग्रास सूर्य ग्रहण)
जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी तीनों के बीच की दूरी इतनी होती है कि चंद्रमा सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी पर जाने से पूरी तरह से नहीं रोक पाता है और इस वजह से चंद्रमा का कुछ ही छाया पृथ्वी पर पड़ती है। इस स्थिति में सूर्य का कुछ ही भाग काला नजर आता है। इस अवस्था को आंशिक सूर्य ग्रहण या खंड ग्रास सूर्यग्रहण कहते हैं।

हाइब्रिड सूर्य ग्रहण
उपरोक्त तीन प्रकार के सूर्य ग्रहण के अलावा कभी-कभार एक दुर्लभ ग्रहण भी लगता है। जिसे हाइब्रिड सूर्य ग्रहण कहते हैं। इस प्रकार के ग्रहण में शुरुआत में तो यह वलयाकार सूर्य ग्रहण की तरह दिखाई देता है लेकिन फिर धीरे-धीरे पूर्ण सूर्य ग्रहण हो जाता है और बाद में फिर से धीरे-धीरे वलयाकार स्थिति दिखाई देने लगती है। इसे ही हाइब्रिड सूर्य ग्रहण कहलाता है।

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