Who is Khatu Shyam: कौन हैं बाबा खाटू श्याम, जानें कैसे मिला कलियुग में पूजे जाने का वरदान
Khatu Shyam Baba: राजस्थान राज्य के शेखावाटी के सीकर जिले में स्थित है ‘खाटू श्याम’ जहां विराजमान है हारे का सहारा ‘खाटू श्याम’। यहां हर साल फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष षष्ठी से द्वादशी तक मेला लगता है। खाटू श्याम की महिमा का गुणगान करने वाले भक्त ना केवल राजस्थान या भारत में हैं, बल्कि दुनिया के कोने-कोने में बाबा श्याम के भक्त मौजूद हैं। आज हम जानते हैं कि कौन है हारे का सहारा कहे जाने वाले खाटू श्याम? और क्या है उनकी पूरी कथा।
बर्बरीक थे खाटू श्याम
बाबा श्याम के रूप में प्रसिद्ध ‘खाटू श्याम’ का संबंध महाभारत काल से है, पौराणिक मान्यता है कि खाटू श्याम पांच पांडवों में एक महाबली भीम के पौत्र थे। जिसका नाम बर्बरीक था। बर्बरीक दुनिया के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे! ऐसी मान्यता है कि पूरा महाभारत युद्ध समाप्त करने के लिए बर्बरीक को केवल 3 बाण की आवश्यकता थी। महाभारत युद्ध के मैदान में बर्बरीक ने ये घोषणा कर दी थी कि मैं उसकी तरफ से युद्ध करूंगा जो हार रहा होगा। बर्बरीक की इस घोषणा से श्री कृष्ण काफी चिंतित हो गए थे। और पढ़ें
वीरता का परिचय
बर्बरीक ने अपनी वीरता का छोटा-सा नमूना दिखाने के लिए भगवान कृष्ण और अर्जुन को अपने पास बुलाया। एक वृक्ष के पास खड़े होकर भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक से कहा कि यह जो वृक्ष है इसके सारे पत्तों को एक ही तीर से छेद दो तो मैं तुम्हारी वीरता को मान जाऊंगा। बर्बरीक श्री कृष्ण ने आज्ञा लेकर अपने तीर को वृक्ष की तरफ चला दिया। जब तीर एक-एक कर पेड़ के सारे पत्तों को छेदता जा रहा था। और पढ़ें
जब श्रीकृष्ण हुए चकित
इस दौरान एक पत्ता टूटकर नीचे गिर गया जिसे श्री कृष्ण ने यह सोचकर पैर से छुपा लिया की यह छेद होने से बच जाएगा लेकिन सभी पत्तों को छेद करता हुआ वह तीर श्री कृष्ण के पैर के ऊपर आकर रुक गया। तब बर्बरीक ने कहा की प्रभु आपके पैर के नीचे एक पत्ता दबा है कृपया अपना पैर हटाइए, क्योंकि मैंने तीर को सिर्फ पत्तों में छेद करने की आज्ञा दी है आपके पैर को छेदने की नहीं। और पढ़ें
श्रीकृष्ण ने मांगा शीष
भगवान श्री कृष्ण ब्राह्मण का भेष बनाकर अगली सुबह बर्बरीक के शिविर पर पहुंच गए और दान मांगने लगे। बर्बरीक ने कहा- हे ब्राह्मण देव! आपको क्या चाहिए? ब्राह्मण रूप में भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि जो मैं मांगूंगा तुम दे नहीं पाओगे। लेकिन श्री कृष्ण ने बर्बरीक को अपने शब्द जाल में फंस लिया और भगवान कृष्ण ने उससे उसका शीश दान में मांग लिया।और पढ़ें
भगवान कृष्ण ने दिया वरदान।
बर्बरीक ने अपने पितामह पांडवों की जीत के लिए अपनी इच्छा से शीश का दान कर दिया। बर्बरीक के इस बलिदान को देखकर श्री कृष्ण ने बर्बरीक को कलियुग में स्वयं के नाम से पूजित होने का वरदान दिया।
इसी जगह रखा था शीश
जहां कृष्ण ने दान में लिया उसका शीश रखा था उस स्थान का नाम ही खाटू श्याम है। जिस कारण आज बर्बरीक को खाटू श्याम के नाम से पूजा जाता है।
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