Yaksha Prashan: क्‍या पृथ्‍वी से भारी है और क्‍या आकाश से ऊंचा है - यक्ष के इन प्रश्‍नों का जवाब देकर युधिष्ठिर कहलाए थे धर्मराज

Yaksha Questions to Yudhisthira in Hindi: हम सभी ने महाभारत पढ़ते या सुनते समय युधिष्ठिर और यक्ष का संवाद सुना ही होगा। यक्ष की बिना आज्ञा के जब भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव ने सरोवर से पानी लेना चाहा तो उन्हें अपने प्राण खोने पड़े। अपने भाइयों की जान बचाने के लिए धर्मराज ने यक्ष के कठिन सवालों का कुछ इस प्रकार से उत्तर दिया।

युधिष्ठिर कौन थे
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युधिष्ठिर कौन थे

प्राचीन भारतीय महाकाव्य महाभारत के अनुसार युधिष्ठिर पांच पाण्डवों में सबसे बड़े भाई थे। वे महाराज पांडु और माता कुंती के पुत्र थे। युधिष्ठिर को धर्म राज भी कहा जाता है क्योंकि वे कभी झूठ नहीं बोलते थे। युधिष्ठिर ने ही महाभारत के अंत में स्वर्ग की यात्रा खत्म की थी।

युधिष्ठिर-यक्ष संवाद
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युधिष्ठिर-यक्ष संवाद

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाभारत के वन पर्व में यक्ष-युधिष्ठिर संवाद आता है। ये संवाद महाभारत का एक महत्वपूर्ण प्रसंग माना जाता है। इस संवाद में यक्ष ने युधिष्ठिर से ऐसे सवाल पूछे थे जिनका जवाब युधिष्ठिर ने बड़ी ही सहजता और बुद्धि से दिया। चलिए जानते हैं वो प्रश्न क्या हैं।

पहला सवाल
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पहला सवाल

यक्ष का युधिष्ठिर से पूछा गया पहला सवाल ये था कि पृथ्वी से भारी क्या होता है? युधिष्ठिर ने कहा कि पृथ्वी से भारी यानी बढ़ कर है मां होती है।

दूसरा सवाल
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दूसरा सवाल

यक्ष का दूसरा सवाल ये था कि आकाश से ऊंचा क्या है? धर्मराज युधिष्ठिर ने कहा- पिता का कद आकाश से भी ऊंचा या बढ़कर होता है।

तीसरा सवाल
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तीसरा सवाल

यक्ष का अगला सवाल ये था कि वायु से तेज क्या चलता है? युधिष्ठिर का उत्तर था मन की गति वायु से भी तेज होती है, यानी कि मनुष्य का मन बहुत चंचल होता है।

चौथा सवाल
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चौथा सवाल

यक्ष का अगला सवाल ये था कि तिनकों से अधिक संख्या किसकी होती है? युधिष्ठिर ने कहा कि चिंताओं की संख्या तिनकों से भी अधिक होती है।

पांचवां सवाल
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पांचवां सवाल

यक्ष का अगला प्रश्न ये था कि सो जाने पर भी आंखें कौन नहीं मूंदता? इस पर युधिष्ठिर ने कहा कि मछली सोने पर भी आंखें नहीं मूंदती है। इसी प्रकार यक्ष ने धर्मराज से हजारों प्रश्न किए जिनका सही उत्तर मिलने पर यक्ष अन्य पांडवों को जीवन दान दिया।

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