क्रिकेट में बजा रहा है डंका, जानिए क्या है अफगानिस्तान का राष्ट्रीय खेल

राशिद खान की कप्तानी वाली अफगानिस्तान क्रिकेट टीम ने ऑस्ट्रेलिया और बांग्लादेश को टी20 विश्व कप 2024 के सुपर-8 राउंड के मुकाबले में पटखनी देकर सेमीफाइनल में पहुंचकर इतिहास रच दिया। सेमीफाइनल में टीम के पहुंचते ही आतंकवाद और युद्ध की त्रासदी कई दशकों से झेल रहे अफगानिस्तान में कंधार से काबुल तक हर जगह लोगों का हुजूम सड़कों पर उमड़पड़ा। अफगानी टीम के खिलाड़ी मैदान पर खुशी से एक दूसरे को गले लगा रहे थे। कोई रो रहा था कोई नाच रहा था। कप्तान राशिद ने कहा कि उनके पास खुशी का इजहार करने के लिए शब्द नहीं है। अफगानिस्तान में इन दिनों क्रिकेट की दीवानगी सिर चढ़कर बोल रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अफगानिस्तान का राष्ट्रीय खेल कौन सा है?

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बुज़कशी है अफगानिस्तान का राष्ट्रीय खेल

अफगानिस्तान का राष्ट्रीय खेल बुज़कशी है। यह अफगानिस्तान का एक पारंपरिक खेल है जिसमें घुड़सवार खिलाड़ी बकरी के शव को गोल में डालने का प्रयास करते हैं। जिसे खेल के शुरू होने से 24 घंटे पहले पानी में भिगोकर रखा जाता है जिससे कि उसका शरीर कड़ा हो जाए।

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सिर कटी बकरी के साथ खेला जाता है खेल

पारंपरिक रूप से बुज़कशी को बगैर सिर वाली बकरी के शरीर के साथ खेला जाता है। जिसे एक साथ कई घुड़सवार अपने बाहुबल और घुड़सवारी के बल पर मैदान के बीच बने गोले पर डालने की कोशिश करते हैं।

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पहले खेल में नहीं होती है खिलाड़ियों और समय की सीमा

पारंपरिक रूप से खेले जाने वाले बुज़कशी के खेल में खिलाड़ियों की और समय की सीमा नहीं होती थी। लेकिन वक्त के साथ बदलाव दोनों की सीमा निर्धारित हो गई। वर्तमान में मैदान वर्गाकार होता है और प्रत्येक टीम में 10-10 घुड़सवार होते हैं। 45 मिनट के दो हाफ होते हैं बीच में 15 मिनट का ब्रेक होता है। एक हाफ में 5-5 खिलाड़ी ही खेल सकते हैं

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चपंडाज़ कहलाता है खिलाड़ी

बुज़कशी खेलने वाले को चपंडाज़ कहा जाता है, एक कुशल चपंडाज़ आमतौर पर उम्र के चालीसवें पड़ाव के आसपास का होता है। बुज़कशी में इस्तेमाल किए जाने वाले घोड़ों और चपंडाज दोनों को कठोर प्रशिक्षण और उचित देखरेख से गुजरना पड़ता है।

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तालिबान सरकार ने लगाया था प्रतिबंध

अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार ने बुज़कशी पर प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन साल 2001 में सत्ता से तालिबान के बाहर होने के बाद खेल दोबारा शुरू हो गया। 2021 में तालिबान सत्ता में वापस आने के बाद खेल को जारी रखने की अनुमति दी गई।