पहली भारतीय महिला सूमो पहलवान को जानिए, फिल्म में ये निभाएंगी किरदार

First Sumo Wrestler Hetal Dave Biography: सूमो पहलवानों की कहानी तो आप बहुत सुने होंगे, लेकिन भारत की महिला सूमो पहलवान की कहानी इन दिनों काफी चर्चा में है। मुंबई की रहने वाली हेतल दवे भारत की पहली महिला सूमो पहलवान हैं। उनके संघर्ष के दिनों पर एक डाक्यूमेंट्री भी तैयार की गई है, जिसको न केवल उनके फैंस, बल्कि दर्शकों ने भी पसंद किया। हेतल जयंत रोहतगी द्वारा निर्देशित डॉक्यूमेंट्री फिल्म सूमो दीदी में उनकी भूमिका श्रीयम भगनानी ने निभाई है। हेतल ने 6 साल की उम्र में जूडो सीखना शुरू कर दिया था। भारत में सूमो रिंग और कोई प्रतिद्वंद्वी नहीं होने के कारण वे अपने भाई और पुरुष खिलाड़ियों के साथ अभ्यास करना पड़ता था।

सूमो दीदी फिल्म में श्रीयम भगनानी ने निभाई भूमिका
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सूमो दीदी फिल्म में श्रीयम भगनानी ने निभाई भूमिका ​

हेतल दवे पर सूमो दीदी नामक बायोपिक बनाई गई है, जो जल्द ही रिलीज होने वाली है। दर्शकों को सूमो दीदी फिल्म का बेसब्री से इंतजार है। हेतल जयंत रोहतगी द्वारा निर्देशित डॉक्यूमेंट्री फिल्म सूमो दीदी में श्रीयम भगनानी ने हेतल दवे की भूमिका अदा की हैं।

छह साल की उम्र में सीखना शुरू किया जूडो
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छह साल की उम्र में सीखना शुरू किया जूडो

मुंबई की रहने वाली हेतल दवे ने छह साल की उम्र में जूडो सीखना शुरू किया। उनके पिता और भाई ने खेल को आगे बढ़ाने में उनका पूरा समर्थन किया।

माता-पिता सबसे बड़े प्रेरणास्रोत
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माता-पिता सबसे बड़े प्रेरणास्रोत

हेतज ने बेटर इंडिया को कहा कि छोटी उम्र से ही हेतल के माता-पिता उसके सबसे बड़े प्रेरणास्रोत और चीयरलीडर थे। यह मेरे डीएनए में है। मेरे माता-पिता जीवन भर गांव में रहे। इसलिए खेल उनके जीवन का एक बड़ा हिस्सा था। जब मैं पांच साल की थी, तो यह मेरे जीवन का भी एक बड़ा हिस्सा बन गया।

वर्ल्ड गेम्स 2009 में लिया हिस्सा
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वर्ल्ड गेम्स 2009 में लिया हिस्सा

2008 में लिम्बा बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में जगह बनाने वाली हेतल दवे 2009 में ताइवान में आयोजित हुए वर्ल्ड गेम्स में शामिल हुई, लेकिन वह पहले ही दौर से बाहर हो गईं। उन्होंने एस्टोनिया के बाद पोलैंड, फिनलैंड में हुए टूर्नामेंट में भारत का प्रतिनिधित्व किया।

भारत में प्रशिक्षण के लिए नहीं था कोई प्रतिद्वंद्वी
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भारत में प्रशिक्षण के लिए नहीं था कोई प्रतिद्वंद्वी

36 साल की हेतल के पास प्रशिक्षण करने के लिए कोई प्रतिद्वंद्वी नहीं थी। इसलिए वे अपने भाई के साथ अभ्यास किया करती थी। विभिन्न स्कूलों में छात्रों को कुश्ती और जूडो का प्रशिक्षण भी देती हैं।

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