भारत के इस राज्य को कहते हैं रोटियों की भूमि, जानिए क्यों?
भारत एक विशाल और विविधतापूर्ण देश है जो अपने समृद्ध इतिहास, जीवंत संस्कृति और कृषि के लिए जाना जाता है। ये विशेषताएं हर राज्य में अलग-अलग होती हैं। प्रत्येक राज्य के अपने अनूठे स्थानीय परंपराएं और फसलें होती हैं। उनमें से एक राज्य है जिसे रोटियों की भूमि (Land of Rotis) कहते हैं।
हरियाणा को कहते हैं रोटियों की भूमि
हरियाणा उत्तर-पश्चिमी भारत का एक राज्य है और अपनी कृषि उत्पादकता के लिए बहुत प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र में गेहूं और बाजरा मुख्य फसलें हैं और राज्य अभी भी एक कृषि प्रधान समाज बना हुआ है। कृषि में इस समृद्धि की वजह से रोटियां जिन्हें भारतीय चपटी रोटी भी कहा जाता है, राज्य के मुख्य भोजन का एक अभिन्न अंग हैं। हरियाणा में पारंपरिक रोटियों की समृद्ध विविधता स्थानीय रूप से उगाए गए अनाज को प्राप्त करने और उन्हें आहार में शामिल करने की प्रतिबद्धता को साबित करती है। इसलिए हरियाणा को 'रोटियों की भूमि' (Land of Rotis) के रूप में भी जाना जाता है। आइए जानते हैं यहां कितने प्रकार की रोटियां बनाई जाती हैं।
गेहूं की रोटी
हरियाणा गेहूं की खेती के लिए जाना जाता है। इसलिए यहां लोग गेहूं की रोटी अधिक खाते हैं। हालांकि कई अन्य राज्यों में गेहूं रोटी खाई जाती है। रोटी बनाने के लिए साबुत गेहूं के आटे का इस्तेमाल किया जाता है और यह हर घर में एक मुख्य व्यंजन है और लगभग हर भोजन के साथ परोसा जाता है।
बाजरे की रोटी
हरियाणा बाजरे की खेती के लिए जाना जाता है। यह रोटी बाजरे के आटे से बनाई जाती है और सर्दियों के महीनों में खास तौर पर लोकप्रिय होती है।
गोचीनी आटा रोटी
हरियाणा में गोचीनी की खेती होती है इस रोटी को बनाने के लिए गोचीनी आटे को गेहूं के आटे के साथ मिलाया जाता है, यह पारंपरिक गेहूं की रोटियों से अलग बनाता है।
बाजरे-आलू की रोटी
हरियाणा में आलू और बाजरे की खेती अधिक होती है। बाजरे और आलू की बनी रोटी ठंड के महीनों में खाई जाती है।
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