किन-किन तरीकों से होता है साइबर फ्रॉड, जानकारी होगी तो कभी नहीं होंगे शिकार

Type Of Cyber Fraud: डिजिटल वर्ल्ड में हम अक्सर साइबर फ्रॉड के मामले देखते हैं। लगातार साइबर धोखाधड़ी के मामले बढ़ रहे हैं। स्पीयर फिशिंग और रैनसमवेयर से लेकर सीईओ ईमेल धोखाधड़ी और बिजनेस ईमेल समझौता तक, सबसे खतरनाक साइबर फ्रॉड अटैक्स सभी ईमेल से शुरू होते हैं। ईमेल स्कैम बार-बार सफल होते हैं क्योंकि वे यूजर्स की लापरवाही का फायदा उठाते हैं। साइबर फ्रॉड से बचने का सबसे सही तरीका यह भी है कि हमें यह पता हो कि किस-किस तरह से आपके साथ साइबर फ्रॉड हो सकता है। यदि आप भी ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचना चाहते हैं तो यह खबर आपके लिए है। यहां हम आपको साइबर फ्रॉड के तरीकों के बारे में बता रहे हैं।

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साइबर फ्रॉड और बचाव

Type Of Cyber Fraud: साइबर ठग आपको कई तरह से चूना लगा सकते हैं। ऐसे में आपकी सतर्कता ही आपको ऑनलाइन स्कैम से दूर रख सकती है। कभी भी अपने बैंक की जानकारी और ओटीपी किसी के साथ शेयर न करें।

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​फिशिंग (Phishing)

फिशिंग में धोखेबाज फेस ईमेल, वेबसाइट या मैसेज का उपयोग करके यूजर्स से व्यक्तिगत जानकारी, जैसे पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड नंबर आदि, प्राप्त करते हैं।

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​वायरस (Virus) और मैलवेयर (Malware)

धोखेबाज खतरनाक सॉफ्टवेयर (वायरस, ट्रोजन हॉर्स, रैंसमवेयर) को कंप्यूटर सिस्टम में इंजेक्ट करने हमला करते हैं और यूजर्स की पर्सनल जानकारी और डेटा चुरा लेते हैं। या सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

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​सोशल इंजीनियरिंग (Social Engineering)

इसमें धोखेबाज मनोवैज्ञानिक तरीकों से लोगों को बरगलाकर उनसे संवेदनशील जानकारी प्राप्त करते हैं। यह फोन कॉल, ईमेल, या पर्सनल कॉन्टैक्ट के माध्यम से किया जा सकता है।

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​इन्फॉर्मेशन थेफ्ट (Information Theft)

इसमें संवेदनशील जानकारी जैसे कि सोशल सिक्योरिटी नंबर, बैंक अकाउंट डिटेल्स, पासवर्ड आदि चोरी करना शामिल है।

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​स्किमिंग (Skimming)

ATM या क्रेडिट कार्ड मशीनों पर लगे स्किमिंग डिवाइस से कार्ड की जानकारी चोरी करना स्किमिंग के अंतर्गत आता है। इस तरह के फ्रॉड में ATM क्लोनिंग का तरीका भी अपनाया जाता है।

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​डेटा ब्रीच (Data Breach)

कंपनियों के डेटा बेस में सेंध लगाकर बड़ी मात्रा में व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी चुराना डेटा ब्रीच के अंतर्गत आता है। इसमें आपका डेटा डार्क वेब पर भी बेचा जा सकता है। इसलिए कहा जाता है कि सोशल मीडिया या अन्य प्लेटफार्म पर संवेदनशील जानकारी शेयर नहीं करना चाहिए।

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फेक वेबसाइट्स (Fake Websites)

धोखेबाज नकली वेबसाइट बनाकर यूजर्स को लुभाते हैं और उनकी जानकारी चुराते हैं। आजकल फेक वेबसाइट के जरिए स्टॉक मार्केट शेयर में निवेश के नाम पर फ्रॉड किया जा रहा है। इसके अलावा नकली ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स पर आकर्षक ऑफर्स देकर यूजर्स से पैसा ऐंठना और प्रोडक्ट न भेजना भी शामिल है। इसे स्कैम कहा जाता है।