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Starlink के भारत में लॉन्च होने में क्यों हो रही देरी? कब से मिलेगा सुपरफास्ट इंटरनेट, देनें पड़ेंगे इतने रुपये

एलन मस्क की सैटेलाइट-बेस्ड ब्रॉडबैंड सर्विस स्टारलिंक (Starlink) भारत में लॉन्चिंग के लिए तैयार है। कई महीनों की देरी के बाद, कंपनी ने भारतीय अधिकारियों के पास जरूरी दस्तावेज जमा कर दिए हैं, जो रेगुलेटरी मंजूरी लेने की दिशा में प्रोग्रेस का संकेत है।

आवेदन की समीक्षा आवेदन की समीक्षा
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आवेदन की समीक्षा

ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, स्टारलिंक ने देश में सर्विस देने की अनुमति के लिए इंडियन स्पेस रेगुलेटर के पास आवेदन किया है। गृह मंत्रालय और अंतरिक्ष विभाग के तहत आने वाली भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र की स्थायी समिति मंजूरी देने से पहले आवेदन की समीक्षा करेगी।

ऑपरेटर लाइसेंस की जरूरत ऑपरेटर लाइसेंस की जरूरत
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ऑपरेटर लाइसेंस की जरूरत

हालांकि स्टारलिंक को स्पेस नियामक से मंजूरी मिल जाए, फिर भी इसे दूरसंचार विभाग (DoT) से ऑपरेटर लाइसेंस की जरूरत पड़ेगी। इस लाइसेंस को प्राप्त करने के बाद ही कंपनी भारत में अपनी सैटेलाइट-बेस्ड ब्रॉडबैंड सर्विसेज को आधिकारिक रूप से लॉन्च कर सकती है।

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दूरदराज के इलाकों में हाई-स्पीड इंटरनेट

बता दें कि स्टारलिंक की भारत में शुरुआत से दूरदराज के इलाकों में हाई-स्पीड इंटरनेट की सुविधा मिलेगी। ऐसे इलाकों में इस समय फाइबर ऑप्टिक्स या मोबाइल टावर उपलब्ध नहीं हैं। हालांकि अनुमान है कि स्टारलिंक की सर्विस की कीमत बहुत अधिक हो सकती है।

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कैसे काम करेगी स्टारलिंक की सर्विस

स्टारलिंक पृथ्वी पर इंटरनेट डेटा ट्रांसमिट करने के लिए निचली पृथ्वी कक्षा (Low Earth Orbit) में उपग्रहों के एक नेटवर्क का उपयोग करता है। ये सैटेलाइट, डेटा भेजने और प्राप्त करने के लिए एक दूसरे के साथ और ग्राउंड स्टेशनों के साथ कम्युनिकेट करते हैं।

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कितना होगा चार्ज

जी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार भारत में स्टारलिंक की कीमत पहले साल में लगभग 1,58,000 रुपये हो सकती है। इसमें 37,400 रुपये वन-टाइम डिवाइस कॉस्ट और 7,425 रुपये का मंथली चार्ज शामिल है। इस सर्विस पर 30% टैक्स भी लगेगा।