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ग्वालियर के बेहद पास है जगह, जहां अकबर करता था शिकार, मिंटो ने अकेले 19 बाघों को मारी थी गोली

मध्य प्रदेश में स्थित Madhav National Park आधिकारिक तौर पर भारत का 58वां टाइगर रिजर्व है। अगर आप जंगल में सैर के दौरान एक राजसी अनुभव का सपना देख रहे हैं, तो यह नया वन्यजीव हॉटस्पॉट आपकी बकेट लिस्ट में होना चाहिए। इसका इतिहास बेहद रोचक है।

माधव राष्ट्रीय उद्यान माधव राष्ट्रीय उद्यान
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माधव राष्ट्रीय उद्यान

एडवेंचर से भरी यात्रा पर अगर आप निकलना चाहते हैं तो इसके लिए आपको मध्य प्रदेश के माधव राष्ट्रीय उद्यान का रुख करना चाहिए। जैव विविधता से लेकर प्राकृतिक सुंदरता तक आपको यहां सबकुछ देखने को मिलेगा।

शिकारगाह के रुप में होता था इस्तेमाल शिकारगाह के रुप में होता था इस्तेमाल
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शिकारगाह के रुप में होता था इस्तेमाल

एक समय यहां के घने जंगल मुगल बादशाहों और ग्वालियर के राजघरानों के लिए शिकारगाह हुआ करते थे। जंगली शिकार, बाघों का पीछा करने और हाथियों को पकड़ने के लिए राजा-महाराजा और अंग्रेज अधिकारी यहां जाते थे।

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अकबर से जुड़ा कनेक्शन

इस जगह का इतिहास बेहद प्राचीन है। अकबर ने खुद यहां हाथियों को पकड़ा था, जबकि लॉर्ड हार्डिंग और लॉर्ड मिंटो जैसे ब्रिटिश अधिकारी यहां बाघ का शिकार किया करते थे। कथित तौर पर मिंटो ने अकेले 19 बाघों को यहां गोली मारी थी।

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बदल गई है पूरी कहानी

आज के टाइम में कहानी पूरी तरह से बदल गई है अब यह बाघों के लिए सुरक्षित आश्रय स्थल है मतलब शिकारगाह से लेकर सुरक्षित आश्रय स्थल तक का सफर इस जगह ने तय किया है।

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प्रकृति ने खोजा रास्ता

1970 के दशक के अंत तक पार्क से बाघ आबादी गायब हो गई थी। लेकिन प्रकृति ने हमेशा की तरह एक रास्ता खोज लिया। मौजूदा समय में यहां अस्थायी बाघों की वापसी शुरू हो गई और आज, पार्क को टाइगर रिजर्व के रूप में मान्यता प्राप्त है।

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सफारी और पर्यटन

यात्रा के दौरान सवारी ट्रेल्स और गाइडेड सफारी का आप आनंद ले सकते हैं। जंगल के भीतर प्राकृतिक सुंदरता और इतिहास को गहराई से मजबूत करने के लिए ये जगह बेस्ट है। ग्वालियर रेलवे स्टेशन या फिर ग्वालियर एयरपोर्ट आकर यहां पहुंचे। ग्वालियर स्टेशन से इसकी दूरी तकरीबन 44 किलोमीटर है।