ना लाइट ना साफ पानी, सिर्फ रेत ही रेत, मयंक यादव के गांव घूम आओ

Mayank Yadav Village: आईपीएल में अपनी आग उगलती गेंदों से सभी को प्रभावित करने वाले मयंक के पैतृक गांव से जुड़ी ये जानकारी बेहद कम लोग जानते हैं। बिजी शेड्यूल से टाइम निकालकर आपको लाइफ में कम से कम एक बार इस गांव की यात्रा जरूर करनी चाहिए।

मयंक यादव
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​मयंक यादव​

टीम इंडिया के तेज गेंदबाज मयंक यादव ने बेहद कम टाइम में अपना नाम बनाया है। मयंक यादव के पैतृक गांव से जुड़ी ये जानकारी बेहद कम लोग जानते हैं।

रहतो गांव
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​रहतो गांव​

कोसी नदी के तट के भीतर बिहार राज्य के सुपौल जिले में मयंक यादव का गांव पड़ता है। सुदूर देहाती इलाके में आने वाले मंयक के गांव का नाम रहतो है। मंयक के पिता का जन्म का इसी गांव में हुआ था।

मूलभूत सुविधाओं की कमी
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​मूलभूत सुविधाओं की कमी​

जैसा की हमने बताया कि मयंक का गांव सुदूर देहाती इलाके में स्थित है जहां चारों तरफ रेत ही रेत नजर आती है। यहां पर बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं की भी कमी है।

कोसी त्रासदी
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​कोसी त्रासदी​

रहतो गांव के डेवलप ना हो पाने के पीछे की बड़ी वजह कोसी त्रासदी है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में मंयक का गांव गिना जाता है जो कोसी नदी के बहुत ही ज्यादा पास है।

मयंक का कनेक्शन
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​मयंक का कनेक्शन​

मंयक यादव का जन्म 17 जुलाई 2002 को दिल्ली के मोतीनगर में हुआ था। क्रिकेट से जुड़ने के चलते मयंक का गांव जाना बेहद कम होता है। आखिरी बार मयंक रहतो गांव अपने दादा के श्राद्ध में अप्रैल 2022 में गए थे।

पैतृक गांव
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​पैतृक गांव​

रहतो मंयक का पैतृक गांव है उनके परिवार से जुड़े लोग अभी भी यहीं निवास करते हैं। मंयक के पिता 12 वर्ष की उम्र में इस गांव को छोड़कर दिल्ली आ गए थे।

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