जहां मिर्ज़ा गालिब ने काटी थी आखिरी रात, भूलभुलैया जैसी है गली, मुश्किल से मिला है पता

Mirza Ghalib ki Haveli: शायरी की दुनिया के शहंशाह मिर्ज़ा गालिब का जन्म 27 दिसंबर 1797 को हुआ था। गालिब को करीब से महसूस करने के लिए एक बार आपको बल्लीमारान की हवेली जरूर जाना चाहिए।

नशे की तरह शायरी
01 / 06

नशे की तरह शायरी

'न था कुछ तो खुदा था.... कुछ न होता तो खुदा होता, डुबोया मुझको होने ने न होता... मैं तो क्या होता...' ऐसे ही मिर्जा गालिब की शायरी नशे की तरह होती है जिसका असर एक बार चढ़ने के बाद उतरता ही नहीं है।

गालिब की हवेली
02 / 06

गालिब की हवेली

गालिब को और उनकी शायरी को अगर आप करीब से जानना और समझना चाहते हैं, तो एक बार आपको गालिब की हवेली जरूर जाना चाहिए। ये वो जगह थी जहां उन्होंने अपनी जिंदगी की आखिरी रात काटी थी।

बल्लीमारान की हवेली
03 / 06

बल्लीमारान की हवेली

दिल्ली के चांदनी चौक से सटा इलाका बल्लीमारान जहां कासिम जान नाम की एक गली है। भूलभुलैया जैसी गलियों में घूमने के बाद आपको मिर्जा गालिब का पता मिलता है।

हवेली में खास
04 / 06

हवेली में खास

हवेली के अंदर आपको दीवारों पर प्रेम से भरी शायरियां तो देखने को मिल ही जाएंगी इसके साथ उनकी जिंदगी से जुड़ी चीजों को देखने का भी मौका मिलेगा।

27 दिसंबर है खास
05 / 06

27 दिसंबर है खास

27 दिसंबर को हर साल उनके जन्मदिन के अवसर पर बल्लीमारान की हवेली में मुशायरे का आयोजन होता है। यहां आप जाकर इस पल को एन्जॉय कर सकते हैं।

कब जाएं
06 / 06

कब जाएं

यहां जाने के लिए कोई टिकट नहीं है। गालिब की हवेली में आप सुबह 11 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक जा सकते हैं। सोमवार और सरकारी छुट्टी वाले दिन ये जगह बंद रहती है।

End of Photo Gallery
Subscribe to our daily Newsletter!

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited