चाहकर भी नहीं भुलाई जा सकती पीली टैक्सी, ट्रैवलर्स के लिए हमेशा रहेगी खास

Kolkata Peeli Taxis: टैक्सी नंबर 9211 फिल्म में आपको नाना पाटेकर का किरदार स्पष्ट रूप से याद होगा। उसकी खुशी और दुख दोनों का स्रोत टैक्सी ही थी। कोलकाता की पीली टैक्सी के बारे में तो आपने जरूर पढ़ा या सुना होगा। कोलकाता की पीली टैक्सी हमेशा से ही शहर की आइकोनोग्राफी का हिस्सा रही है।

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कोलकाता की पीली टैक्सी

कोलकाता को उसकी पीली टैक्सी से जोड़कर देखा जाता है। सीधे शब्दों में समझें तो पीली टैक्सी कोलकाता शहर का एक अभिन्न हिस्सा है जो वहां के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बन चुकी है।

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हमेशा रहेंगी पॉपुलर

कुछ प्रमुख कारण हैं, जिनकी वजह से पीली टैक्सियां हमेशा कोलकाता की पहचान का हिस्सा बनी रहेंगी। उन कारणों के बारे में विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं।

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बेहद पुराना है इतिहास

इनका इतिहास बेहद पुराना है जो 1940 के दशक से जुड़ा हुआ है। ब्रिटिश काल के बाद कोलकाता की सड़कों पर ये प्रमुख पहचान के रूप में सामने आई थीं। ये पीली टैक्सी केवल परिवहन का साधन ही नहीं हैं बल्कि शहर की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक हैं।

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अनूठी पहचान

कोलकाता की विशिष्टता और पुरानी शानो-शौकत को ये पीली टैक्सी दर्शाती हैं। जब भी कोई कोलकाता के बारे में सोचता है तो इन टैक्सियों का ख्याल जरूर आता है। इन पीली टैक्सियों को कोलकाता की पुरानी और नई पीढ़ियों के बीच की एक कड़ी कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा।

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सामाजिक महत्व

इन पीली टैक्सी से सफर करते हुए यात्री कोलकाता की जीवंतता और विविधता को महसूस करते हैं। पीली टैक्सी यहां के लोगों के लिए सामाजिक प्रतीक बन चुकी हैं जिनसे सफर करते हुए लोग शहर के विभिन्न हिस्सों का अनुभव करते हैं।

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ब्रांडिंग और प्रतीकात्मकता

इन पीली टैक्सियों को कोलकाता के लिए एक ब्रांड के रूप में देखा जाता है। यह टैक्सी किसी खास कंपनी का प्रतीक नहीं, बल्कि शहर के चेहरे को दर्शाती हैं। ये पीली टैक्सी कोलकाता की चलती-फिरती पहचान हैं।