ना कोई पटाखा ना कोई आतिशबाजी, 30 सालों से खामोशी से दिवाली मनाता है ये गांव, दिल पिघला देगी वजह
Silent Diwali In India: क्या आप इस बात की कल्पना कर सकते हैं कि दिवाली को तेज पटाखों या रंगीन आतिशबाजी की जगह पूरी शांति से भी मनाया जा सकता है? भारत में एक ऐसा गांव मौजूद है जहां खामोशी से दिवाली को सेलिब्रेट किया जाता है और ऐसा करने के पीछे की वजह आपका दिल पिघलाकर रख देगी।
बिना शोर-शराबे के दिवाली
तेज पटाखों या रंगीन आतिशबाजी नहीं, बल्कि एक गहरी और जादुई शांति में दिवाली के पावन पर्व को सेलिब्रेट किया जाता है। लगभग 30 साल से भी ज्यादा समय से बिना शोर-शराबे के दिवाली मनाना इस गांव की जीवन शैली रही है।
कोल्लुकुडीपट्टी गांव
हम बात कर रहे हैं तमिलनाडु के शिवगंगा जिले के कोल्लुकुडीपट्टी गांव की जहां लंबे समय से लोग शांति से इस पर्व को सेलिब्रेट कर रहे हैं। हर साल, वे एक भी पटाखे के बिना दिवाली का जश्न मनाते हैं।
दिल पिघला देगा कारण
ऐसा करने के पीछे का बड़ा कारण वहां बगल में स्थित वेट्टांगुडी पक्षी अभयारण्य है। गांव के लोग यहां की शांति बनाए रखने के लिए ऐसा करते हैं। पटाखों और आतिशबाजी की आवाज से पक्षियों को किसी तरह की परेशानी ना हो इसलिए गांव के लोग ऐसा करते हैं।
पक्षियों का निवास स्थान
वेट्टानगुडी साउथ इंडिया के सबसे पुराने पक्षी अभयारण्यों में से एक है जहां लगभग लगभग 200 से अधिक प्रजातियों के पक्षी शीतकालीन में निवास करते हैं। ये पक्षी यहां घोंसला बनाते हैं, प्रजनन करते हैं और पनपते भी हैं।
तमाम तहर के पक्षी
इस पक्षी अभयारण्य में सारस और आइबिस से लेकर तमाम तरह के पक्षियों को देखा जा सकता है। कोल्लुकुडीपट्टी के लोगों के लिए, पटाखों के बिना दिवाली मनाना उनका प्रकृति के प्रति सम्मान और पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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