टाइटैनिक डूबने की काली रात को कितना ठंडा था पानी? यहां जाकर कर सकते हो महसूस; 20 सेकंड भी टिकना मुश्किल
History Of Titanic: संयुक्त राज्य अमेरिका में मौजूद Titanic museum लोगों को यह एहसास दिला रहा है कि जिस रात टाइटेनिक जहाज डूबा था उस वक्त पानी कितना ठंडा था। इस दौरान पर्यटक इस बात को पूरा फील कर पाएंगे कि लोगों ने 14-15 अप्रैल 1912 की उस काली रात को कैसा महसूस किया था।
इतिहास की सबसे कुख्यात समुद्री आपदा
टाइटैनिक जहाज का डूबना इतिहास की सबसे कुख्यात समुद्री आपदाओं में से एक है। विलासिता और सुविधाओं से लैस इस जहाज का अपनी पहली यात्रा के दौरान ही दुखद अंत हो गया था। स्विमिंग पूल से लेकर रेस्तरां तक सभी इस जहाज में मौजूद था।
सुर्खियों में टाइटैनिक म्यूजियम
संयुक्त राज्य अमेरिका के टेनेसी में टाइटैनिक म्यूजियम में जाकर आप ये अनुभव कर सकते हैं कि जहाज डूबने की दुखद रात को पानी कितना ठंडा था।
टाइटैनिक जहाज की है प्रतिकृति
लोगों को फील कराने के लिए इस संग्रहालय में टाइटैनिक जहाज की एक विस्तृत आधे आकार की प्रतिकृति है। यहां -2 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा किए गए पानी से भरा एक बेसिन शामिल है, जो वास्तव में 15 अप्रैल, 1912 की रात वाले समुद्र के तापमान के समान है।
22 हजार वर्ग फुट से अधिक में फैला संग्रहालय
इस संग्रहालय में टाइटैनिक और उसके यात्रियों की 400 से अधिक प्रामाणिक कलाकृतियां भी मौजूद हैं। 22,000 वर्ग फुट से अधिक में फैला हुआ ये संग्रहालय आगंतुकों को टाइटैनिक के इतिहास पर एक नज़र डालने का मौका देता है। इसको देखने के बाद आपको जहाज की भव्यता और उस त्रासदी के बारे में गहरी समझ मिलेगी।
टाइटैनिक का पूरी तरह से कर सकेंगे अनुभव
इस संग्रहालय की यात्रा के दौरान आप टाइटेनिक जहाज में मौजूद यात्रियों के निजी सामान से लेकर जहाज के हिस्सों तक की कलाकृतियों को देख सकेंगे, जिनमें से प्रत्येक में इतिहास का अपना राज है।
20 सेकंड भी रहना मुश्किल
ठंडे पानी से भरा बेसिन उस रात समुद्र में फंसे लोगों द्वारा झेली गई यातना की याद दिलाता है। उस रात पानी कितना ठंडा था इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसमें 20 सेकंड भी रहना मुश्किल है।
टाइटैनिक जहाज का इतिहास
इस जहाज को हैम्पशायर में 1909 में बनाया था। 1912 में अपनी पहली यात्रा के दौरान ही इसका अंत हो गया। इंग्लैंड से ये जहाज अपनी पहली यात्रा शुरू कर रहा था जिसका उद्देश्य न्यूयॉर्क पहुंचना था। जहाज डूबने के चलते लगभग 1,500 लोग मारे गए, जबकि 710 लोगों के बचा लिया गया था।
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