अश्वत्थामा आज भी यहां आकर करते हैं भगवान शिव की पूजा, मध्य प्रदेश में है जगह

Asirgarh Fort: मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में एक ऐसा किला है, जहां ऐसी मान्यता है कि अश्वत्थामा आज भी भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते हैं। अगली बार जब भी इस तरफ जाना हो तो इस अद्भुत किले को जरूर देखने जाएं। आइए जानते हैं इस किले के बारे में।

असीरगढ़ किला
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असीरगढ़ किला

जिस जगह से जितनी मान्यताएं जुड़ी रहती है वो जगह पर्यटकों के लिए उतनी ही रोचक हो जाती है। असीरगढ़ का किला भी ऐसा ही है। मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में स्थित असीरगढ़ किला 14वीं शताब्दी में बनाया गया था।

यहां आते हैं अश्वत्थामा
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यहां आते हैं अश्वत्थामा

यहां ऐसी मान्यता है कि महाभारत के बाद अश्वत्थामा पांच हजार साल तक इसी किले में भटकते रहे। लोग कहते हैं कि आज भी अमावस्या और पूर्णिमा के दिन किले में स्थित गुप्तेश्वर मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने के लिए आते हैं।

किले के हैं तीन भाग
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किले के हैं तीन भाग

पूरे किले को तीन हिस्सों में बांटा गया है, ऊपरी हिस्सा असीरगढ़ है, बीच का हिस्सा कामरगढ़ है और नीचे का हिस्सा मलयगढ़ है। 60 एकड़ में फैले हुए इस किले में 5 तालाब हैं, जो किसी मौसम में नहीं सूखते।

कभी मुगलों ने किया था कब्जा
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कभी मुगलों ने किया था कब्जा

ये ऐतिहासिक किला कई लोगों के अधीन रहा। कहते हैं, कि काफी समय तक यहां चौहान वंश के राजाओं ने राज किया, बाद में ये बहादुरशाह फारुखी के अधीन रहा और साल 1601 में मुगल शासक अकबर ने भी इसपर कब्जा कर लिया था।

कहां है ये किला
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कहां है ये किला

असीरगढ़ किला मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिला मुख्यालय से तकरीबन 20 किलोमीटर दूर उत्तर में इंदौर इच्छापुर हाइवे पर स्थित है। ये सतपुड़ा पहाड़ियों की चोटी पर तकरीबन 250 फुट की ऊंचाई पर मौजूद है।

कैसे पहुंचें असीरगढ़
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कैसे पहुंचें असीरगढ़

बुरहानपुर से इसकी दूरी लगभग 20 किलोमीटर है। बुरहानपुर से आप टैक्सी लेकर की मदद से आराम से असीरगढ़ जा सकते हैं। यहां से नजदीकी हवाई अड्डा इंदौर इंटरनेशनल एयरपोर्ट है, रेल मार्ग के लिए आप बुरहानपुर रेलवे स्टेशन असीरगढ़ के सबसे करीब है।

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