पेट्रोल पंप पर आप देखते रह जाते हैं जीरो, इधर दूसरे मीटर से कट जाती है आपकी जेब
जब भी हम फ्यूल स्टेशन पर पेट्रोल भरवाने के लिए जाते हैं, तो स्टाफ मीटर में जीरो देखने के लिए कहता है। पेट्रोल पंप पर लगी मशीन के मीटर पर हमारी नजर जम जाती है, लेकिन खेल दूसरे मीटर में हो जाता है।
मीटर में जीरो
पेट्रोल और डीजल ये ऐसे फ्यूल हैं, जिनकी खपत पूरी दुनिया में बड़े पैमाने पर होती है। भारत में भी वाहनों में बड़े पैमाने पर पेट्रोल-डीजल की खपत होती है और फ्यूल की रीफिलिंग के लिए जगह-जगह पेट्रोल पंप हैं। जब भी हम फ्यूल स्टेशन पर पेट्रोल भरवाने के लिए जाते हैं, तो स्टाफ मीटर में जीरो देखने के लिए कहता है।
दूसरा मीटर
पेट्रोल पंप पर लगी मशीन के मीटर पर हमारी नजर जम जाती है और हमें लगता है कि सही तरीके से पेट्रोल की रीफिलिंग हो रही है। मगर ऐसा होता है नहीं, खेल दूसरे मीटर में हो जाता है, जिसपर हमारी नजर जाती नहीं है।
पेट्रोल की प्योरिटी
दूसरा मीटर पेट्रोल की प्योरिटी बताने वाला होता है। यानी पेट्रोल में किसी चीज की मिलावट है या नहीं इस बात के संकेत दूसरे मीटर से मिलते हैं। रिटेलर्स कई बार पेट्रोल में मिलावट कर हमारी जेब काट लेते हैं।
पेट्रोल की डेंसिटी
दूसरे मीटर में पेट्रोल की डेंसिटी पता लगती है। अगर पेट्रोल की डेंसिटी स्टैंडर्ड के अनुसार नहीं है, तो इंजन को नुकसान पहुंच सकता है। पेट्रोल पंप पर रीफिलिंग के बाद डेंसिटी अपडेट की जाती है।
कितनी होनी चाहिए डेंसिटी
इसलिए अब जब भी पेट्रोल पंप पर फ्यूल भरवाने जाएं, तो दूसरे मीटर यानी डेंसिटी वाले मीटर पर भी नजर रखें। डीजल के लिए 820-880 और पेट्रोल के लिए 730-770 किलोग्राम क्यूबिक मीटर की डेंसिटी प्योर मानी जाती है।
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