सोने के पुराने गहने बेचने में हो सकता है ये नुकसान, इन बातों का रखें ध्यान

आपको बता दें कि कोई भी गोल्ड की ज्वैलरी 24 कैरेट गोल्ड से नहीं बनती है। हालांकि, हॉलमार्क वाले आभूषणों को पिघलाने की जरूरत नहीं पड़ती है। इसलिए हॉलमार्क वाले गहने की खरीदना चाहिए।

सोना खरीदने की परंपरा
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सोना खरीदने की परंपरा

भारत में सोना खरीदने की परंपरा है। महिलाएं सोने के गहने खरीदना पसंद करती हैं। सोना खरीदना एक तरह का निवेश भी माना जाता है, जिसका जरूरत पड़ने पर लोग इस्तेमाल करते हैं। अगर आप कभी सोना बेचने जाएं, तो कुछ बातों का खास ध्यान रखें।

आर्टिफिशियल स्टोन
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आर्टिफिशियल स्टोन

अगर आप सोने के पुराने गहने बेच रहे है, तो सबसे पहले ध्यान रखें कि ज्वैलर भरोसमंद होना चाहिए। सोने के गहने में लगे आर्टिफिशियल स्टोन को बिक्री के दौरान हटा लिया जाता, जिससे गोल्ड की सही वैल्यू पता लगती है। हालांकि, जब आप खरीदते हैं, तो सोने की ज्वैलरी में आर्टिफिशियल स्टोन की वैल्यू जुड़ी होती है।

वैल्यू तय
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वैल्यू तय

कई ऐसे ज्वैलर्स भी होते हैं, जो सोने को पिघलाकर वैल्यू तय करते हैं। हालांकि, हॉलमार्क वाले आभूषणों को पिघलाने की जरूरत नहीं पड़ती है। इसलिए हॉलमार्क वाले गहने की खरीदना चाहिए।

मेकिंग चार्ज और जीएसटी
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​मेकिंग चार्ज और जीएसटी

सरकार के नियम के अनुसार, ग्राहकों को सोने की ज्वैलरी के वजन हिसाब से कीमत, दूसरा-मेकिंग चार्ज और तीसरा जीएसटी शुल्क देना पड़ता है। किसी भी सोने की खरीदारी पर कुल कीमत का तीन फीसदी जीएसटी देना पड़ता है। आप ऑनलाइन या ऑफलाइन किसी भी तरीके से सोना खरीदें, तीन फीसदी का जीएसटी चार्ज आपको देना ही पड़ता है। इसके अलावा अगर ज्वैलर्स किसी भी तरह का चार्ज लगाता है, तो आप सवाल उठा सकते हैं।और पढ़ें

24 कैरेट गोल्ड से नहीं बनती ज्वैलरी
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​24 कैरेट गोल्ड से नहीं बनती ज्वैलरी

आपको बता दें कि कोई भी गोल्ड की ज्वैलरी 24 कैरेट गोल्ड से नहीं बनती है। क्योंकि यह बेहद ही मुलायम होता है और मोड़ने पर टूट जाता है। सोने की ज्वैलरी 22 कैरेट और 18 कैरेट से बनती है। इसलिए आपको गोल्ड खरीदते समय इस बात खास ध्यान रखना चाहिए।

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