रामेश्वरम मंदिर को त्रेता युग का धाम क्यों कहा जाता है, क्या वाकई में कोई रहस्य या फिर मिथक
तमिलनाडु में स्थित रामेश्वरम मंदिर को रामनाथ स्वामी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह पवित्र स्थान चार धामों और 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो वास्तुकला और आध्यात्मिक महत्व का एक बेजोड़ मिश्रण है।
चार प्रमुख धामों में से एक है रामेश्वरम मंदिर
रामेश्वरम मंदिर, भारत के तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। इसे रामनाथ स्वामी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह चार धामों में से एक धाम है, जो दक्षिण का धाम कहलाता है।
रामेश्वरम मंदिर का त्रेता युग से कनेक्शन
रामेश्वरम मंदिर का संबंध त्रेता युग से बताया जाता है। पौराणिक कहानियों की मानें तो लंका जाते समय यहां श्रीराम ने यही पर भगवान शिव की आराधना की थी और बालू से शिवलिंग का निर्माण किया था। इसके बाद लंका की चढ़ाई की थी।
द्रविड़ शैली में हुआ है रामेश्वरम मंदिर का निर्माण
रामेश्वरम मंदिर का निर्माण द्रविड़ शैली में किया गया है, जिसकी वास्तुकला बड़ी बेजोड़ है। 15 एकड़ में फैले इस मंदिर में सैकड़ों खंभे हैं, जिन पर सुंदर कारीगरी देखने को मिलती है। इस मंदिर का गलियारा विश्व का सबसे लंबा गलियारा माना जाता है।
यहां से रामसेतु भी देखा जा सकता है
यही पर धनुषकोडी नामक स्थान भी है, जहां आप भगवान श्रीराम और उनकी वानर सेना द्वारा बनाए गए सेतु को देख सकते हैं, जो अब पानी में पूरी तरह डूब चुका है।
यही पर है भारत का आखिरी रास्ता
यहां भारत का आखिरी रास्ता है, जहां से आप श्रीलंका को देख सकते हैं। यह मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, जो अपनी कारीगरी और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है।
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