रेलवे स्टेशन पर लिखी 'समुद्र तल से ऊंचाई' ड्राइवर के लिए बेहद जरूरी, वरना परिणाम हो सकता है खतरनाक

​Railway Station Sea Level: आपने भी कभी न कभी ट्रेन से यात्रा जरूर की होगी। ट्रेन से यात्रा करने के लिए आपको रेलवे स्टेशन जाना पड़ता है, जहां से ट्रेन पकड़नी होती है। आपने देखा होगा कि रेलवे स्टेशन पर लगे नाम वाले पीले बोर्ड पर एक खास चीज लिखी होती है। यह होती है रेलवे स्टेशन की समुद्र तल से ऊंचाई।

क्यों लिखी जाती है समुद्र तल से ऊंचाई
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क्यों लिखी जाती है समुद्र तल से ऊंचाई

क्या ट्रेन से यात्रा करते समय आपके दिमाग में कभी यह बात आई है कि रेलवे स्टेशन के बोर्ड पर समुद्र तल से ऊंचाई क्यों लिखी जाती है। क्या यह इतना जरूरी है कि रेलवे स्टेशन के हर बोर्ड पर यह चीज लिखी दिखाई देती है। आज हम आपको इसकी मुख्य वजह के बारे में बताएंगे।

ड्राइवर के लिए बेहद जरूरी चीज
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ड्राइवर के लिए बेहद जरूरी चीज

आपको बता दें कि रेलवे स्टेशन के बोर्ड पर लिखी यह चीज ट्रेन चलाने वाले ड्राइवर के लिए बेहद जरूरी होती है। वह ट्रेन चलाते समय इन्हीं बोर्ड के जरिए यह अंदाजा लगाता है कि उसे आगे ट्रेन किस गति से आगे बढ़ानी है।

यात्रियों की सुरक्षा से जुड़ा मामला
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यात्रियों की सुरक्षा से जुड़ा मामला

बता दें कि यह मामला यात्रियों की सुरक्षा से भी जुड़ा है। रेलवे स्टेशन के बोर्ड पर लिखी इस जानकारी से ट्रेन के लोको पायलट को दो स्टेशनों के बीच ऊंचाई और गहराई का अंदाजा मिल जाता है। इससे उसे ट्रेन की स्पीड बढ़ाने और घटाने में सहायता मिलती है। वरना ट्रेन की स्पीड अनियंत्रित हो सकती है।

रेलवे लाइन बिछाने में सहायक थी जानकारी
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रेलवे लाइन बिछाने में सहायक थी जानकारी

शुरुआत में जब रेलवे लाइन बिछाई जा रही थी तो समुद्र तल से ऊंचाई वाली जानकारी रेलवे स्टेशन बनाने और लाइन बिछाने में सहायक थी। इस जानकारी के आधार पर निर्माण से बाढ़ की समस्या से छुटकारा मिलता था।

कहा जाता है Mean Sea Leavel
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कहा जाता है Mean Sea Leavel

बता दें कि समुद्र तल से ऊंचाई को Mean Sea Level कहा जाता है। दरअसल, दुनियाभर में समुद्र का लेवल एक समान ही है। इससे ऊंचाई को सटीक तरीके से मापने के लिए समुद्र तल से ऊंचाई का सहारा लिया जाता है।

बेहतर तकनीक की वजह से हुआ बदलाव
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बेहतर तकनीक की वजह से हुआ बदलाव

हालांकि, अब बेहतर तकनीक आने की वजह से इसमें बदलाव भी देखा जा रहा है और कई स्टेशनों पर अब समुद्र तल से ऊंचाई नहीं लिखी जा रही है। दरअसल, अब नई तकनीक से मौसम, ट्रैफिक और टाइम के आधार पर ट्रेन की स्पीड को पहले ही तय कर दिया जाता है।

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