Vat Purnima 2023 Date, Puja Timing: ज्येष्ठ मास की इस तिथि पर रखा जाएगा वट सावित्री पूर्णिमा व्रत, देखें तिथि, शुभ मुहूर्त व महत्व
Vat Purnima Date 2023, Puja Vidhi, Muhurat (वट पूर्णिमा कब है): ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि पर वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है। इस दिन वट वृक्ष का पूजन कर सुहागिने अपने पति के लिए प्रार्थना करती हैं। जाने इस साल ये सुहागिन सिद्ध व्रत कब रखा जाएगा, पुरी पूजा विधि क्या है, शुभ मुहूर्त, नियम और महत्व की जरूरी जानकारी
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Vat Purnima Date 2023, पूजा विधि, मुहूर्त: सनातन धर्म के अनुसार सुहागिनों द्वारा हर साल में दो बार वट सावित्री का व्रत रखा जाता है। जिसमें से पहला ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि पर होता है और दूसरा ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि पर। सुहागिन महिलाओं द्वारा वट व्रत के दिन पूजन और कथा का पाठ किया जाता है। वट पूर्णिमा का व्रत रख शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, खुशहाल वैवाहिक जीवन और घर की सुख, शांति, समृद्धि की कामना करती हैं। यहां देखें इस ज्येष्ठ मास में वट पूर्णिमा का व्रत कब रखा जाएगा, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त क्या रहेगा और पूजा को विधिपूर्वक संपन्न करने के नियम क्या हैं।
वट पूर्णिमा 2023 कब है, 2023 Vat Purnima Date
सनातन धर्म के अनुसार हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को वट पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है। साल 2023 में ये सुहागिन सिद्ध व्रत 3 जून शनिवार के दिन रखा जाएगा। 3 जून को सुहागिनों द्वारा व्रत, कथा, पूजन का विशेष महत्व रहेगा, वट पूर्णिमा का पूजन कर भगवान विष्णु और शंकर प्रसन्न होते हैं। प्रभु ईश्वर अगर जातकों के तप से खुश होते हैं, तो झट से उनके सारे बिगड़े काम बनने लगते हैं, एवं सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
वट पूर्णिमा 2023 का महत्व, Vat Purnima Importance
सुहागिनों की जिंदगी में वट सावित्री व्रत का खास महत्व होता है, वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत रखने से वैवाहिक जीवन फलने और फूलने लगता है। वट पूर्णिमा के दन वट वृक्ष की पूजा करने का सिद्धांत होता है। मान्यता है कि, इसी दिन इसी व्रत को विधिपूर्वक और सच्चे मन से पूरा कर सावित्री ने अपने पति सत्यवान की जान बचाई थी। श्री हरी का पूजन, पाठ, व्रत, कथा कर सावित्री अपने पति सत्यवान की जान यमराज से बचाकर ले आई थी। इसलिए सुहागिनों द्वारा इस व्रत को पूरा करना बहुत शुभ माना जाता है।
वट पूर्णिमा पूजा विधि, Vat Purnima Puja Vidhi
वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत इस साल 3 जून शनिवार के दिन रखा जाएगा, हालांकि केवल व्रत रखना ही नहीं। परंतु विधिविधान और सच्चे मन से व्रत करना आवश्यक है, नहीं तो आपका व्रत खंडित हो जाएगा। देखें सावित्री पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि -
वट पूर्णिमा 2023 का व्रत रखने के लिए वट वृक्ष का पूजन सबसे मुख्य होता है। पूजा विधि में आपको बरगद के पेड़ के नीचे सावित्री, सत्यवान और यमराज की प्रतिमा स्थापित करनी होगी। और जल, रोली, कुमकुम, अक्षत, काले चने, हल्दी, कच्चा सूत आदि का प्रयोग होगा। वट वृक्ष की जड़ों में जल और बाकी पूजा सामग्री समर्पित कर दें। फिर कच्चा सूत और हाथ में काले चने लेकर बरगद के पेड़ की 3 बार परिक्रमा लगाएं और सूत को पेड़ के तने से बांध दें। फिर वट पूर्णिमा की कथा सुननी होगी और प्रसाद ग्रहण कर अपनी सास को वस्त्र, पैसे और काले चने अर्पण कर दें।
वट पूर्णिमा पूजा मुहूर्त, Vat Purnima Muhurat
वट सावित्री पूर्णिमा के व्रत के लिए 3 जून की सुबह और दोपहर दोनों ही समय अच्छे मुहूर्त हैं। सुबह के वक्त पूजा करनी है, तो 7 बजकर 7 मिनट से 8 बजकर 51 मिनट तक का समय अच्छा माना जा रहा है। वहीं इसके बाद दोपहर12 बजकर 20 मिनट से लेकर 2 बजकर 2 मिनट का मुहूर्त अत्यंत शुभ माना जा सकता है।
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मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर ट्रेनी कॉपी राइटर कार्यरत हूं। मूल रूप से मध्य प्रदेश के उज्जैन की रहने वाली लड़की, जिसे कविताएं लिखना, महिलाओं से ज...और देखें
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