567 साल पुराना है चौथ माता का यह मंदिर, राजा ने देखा था अद्भुत सपना, ऐसे हुआ था मंदिर का निर्माण

Karwa Chauth 2022: करवा चौथ के दिन सुहागिन स्त्रियों द्वारा माता का दर्शन करना अहम माना जाता है। चलिए चौथ माता के मंदिर का महत्व और इनसे जुड़े सारे तथ्यों को जान लेते हैं।

karwa chauth mandir

चौथ माता का मंदिर 1100 फीट ऊंची है और यहां तक जाने के लिए 700 सीढ़ियों का चढ़ान करना पड़ता है।

Karwa Chauth 2022: देश का सबसे पुराना चौथ माता का मंदिर सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास है। यह लगभग 567 साल पुराना है, जो राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा शहर में है। इस मंदिर की स्थापना राजा भीम सिंह द्वारा 1451 में कराया गया था। वैसे तो वर्षभर यहां हजारों की तादात में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। लेकिन करवा चौथ के दिन सुहागिन स्त्रियों द्वारा माता का दर्शन करना अहम माना जाता है। चलिए चौथ माता के मंदिर का महत्व और इनसे जुड़े सारे तथ्यों को जान लेते हैं।

करवा चौथ पर दुल्हन सा सजता है माता का दरबार: चौथ माता के मंदिर की भव्यता करवा चौथ के दिन बेहद रोमांचक लगती है। इस दिन मंदिर के परिसर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। ऐसा लगता है जैसे मां के दरबार को सोलह श्रृंगार कर उन्हें तैयार किया गया हो। उसकी सुंदरता देखने लायक होती है।

Karwa Chauth 2022 Moonrise Time Live Updates

करवा चौथ पर चौथ माता मंदिर का महत्व: चौथ माता मंदिर जन-जन की आस्था का केंद्र है। यह मंदिर खासतौर पर विवाहित जोड़े के लिए लोकप्रिय है। सुहागिन स्त्रियां करवा चौथ पर्व के मौके पर माता के दर्शन के लिए जाती हैं और यहां अपने सुहाग की रक्षा के लिए माता से प्रार्थना करती हैं। बता दें कि चाैथ माता देवी पार्वती की ही एक रूप हैं। इनकी पूजा करने से अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। इसके अलावा दाम्पत्य जीवन भी खुशियों से भरी रहती है। यहां तक कि निःसंतान को संतान का वरदान मिलता है।

चौथ माता मंदिर परिसर: चौथ माता का मंदिर 1100 फीट ऊंची है और यहां तक जाने के लिए 700 सीढ़ियों का चढ़ान करना पड़ता है। यह मंदिर सफेद संगमरमर का बना है। इसकी वास्तुकला राजपूताना शैली में है। इस मंदिर के गर्भगृह में चौथ माता की मूर्ति के अलावा भगवान गणेश और भैरवनाथ की प्रतिमा भी विराजमान है। यहां सैकड़ों साल से एक अखंड ज्योत जल रही है। बात इसके प्राकृतिक सौंदर्य की करें तो यह मंदिर सुंदर हरे वातावरण और घास के मैदान के बीचोबिच स्थित है, जो श्रद्धालुओं के लिए मनमोहक है।

माता ने दिया था दर्शन, राजा ने बनवाया मंदिर: राजा भीम सिंह शिकार के लिए हर दिन जंगल जाया करते थे। तभी एक दिन किसी हिरण का पीछा करते करते वो रास्ता भटक कर अपने सैनिकों से दूर चले गए। राजा को प्यास लगी और पानी न मिलने के कारण वो मूर्छित हो गए। तभी अचानक चौथ माता उनकी मदद करने के लिए प्रकट हुई। राजा, माता को ऐसे देख उनसे अपने प्रांत में ही विराजमान होने का अनुरोध करने लगे। फिर माता तथास्तु कहकर गायब हो गईं। इस तरह वहां पड़ी चौथ माता की मूर्ति लेकर राजा अपने प्रांत वापस लौटे और साल 1451 में चौथ माता मंदिर का स्थापना किया।

मंदिर तक कैसे पहुंचे? इस मंदिर तक जाने के लिए आपको पहले सवाई माधोपुर पहुंचना होगा।बरवाड़ा से जयुपर की दूरी 130 किमी है। बता दें कि जयपुर से यहां तक लोकल ट्रेनें भी चलती हैं।

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