गणपति का रूप माना जाता है ये रुद्राक्ष, धारण करने से होता है शत्रुओं का नाश
Rudraksha: रुद्राक्ष का माना जा है शिवांश। शिव की आंखों के आंसू से प्रकट हुआ था रुद्राक्ष का पौधा। आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्तित्व में होता है विकास। यदि आप भी शिक्षा, स्वास्थ्य और संपदा में बढ़ोत्तरी चाहते हैं तो आज ही धारण करें गणपति का प्रतिरूप आठ मुखी रुद्राक्ष।

आठ मुखी रुद्राक्ष
- रुद्राक्ष धारण करने से हर तरह के भय का नाश होता है
- आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करने से होता है बुद्धि का विकास
- चर्म, हृदय और नेत्र रोगों में होता है आठ रुद्राक्ष से लाभ
शिव पुराण के अनुसार रुद्राक्ष शिव के आंसू से उत्पन्न हुआ था। इसलिए इसका हर फल अत्यंत लाभकारी होता है। इन्हीं लाभकारी फलाें में आठ मुखी रुद्राक्ष एक है । आठ मुखी रुद्राक्ष को विशेषकर नेपाल के क्षेत्रों में विशेष रूप से देखा जाता है और भी। इस रुद्राक्ष में बहुत सी खूबियां हैं। आइये आपको बताते हैं आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करने के लाभ।
आठ मुखी रुद्राक्ष का महत्व और पहचान
आठ मुखी रुद्राक्ष पर आठ धारियां होती हैं। अष्टमुखी रुद्राक्ष गणेश भगवान स्वरूप है। भगवान गणेश सभी देवों में प्रथम पूज्य हैं। अष्टमुखी रुद्राक्ष को अष्टमूर्ति पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, आकाश, सूर्य, चंद्र और यजमान रूप साक्षात शिव शरीर माना जाता है। मानव, भगवान की बनायी आठ प्रकृति भूमि, आकाश, जल, अग्नि, वायु, मन और बुद्धि के आधीन रहता है।
अष्टमुखी रुद्राक्ष धारण करने से आठाें प्रवृत्तियां सहयोग प्रदान करती हैं, जिससे आठाें दिशाओं में विजय प्राप्त होती है। जिस प्रकार सात मुखी रुद्राक्ष पहनने वालों की रक्षा सात माताएं करती हैं। इसको धारण करने से गणेश भगवान की कृपा बनी रहती है। जिससे लेखन− कला, ऋद्धि− सिद्धि आदि की प्राप्ति होती है और दुर्घटना एवं शत्रुओं से रक्षा होती है, प्रेत बाधा का डर नहीं रहता।
अष्टमुखी रुद्राक्ष साहस और शक्ति प्रदान करता है। अष्टमुखी देवी मां जिस प्रकार दानवों का विनाश करती हैं उसी प्रकार अष्टमुखी रुद्राक्ष धारक के विरोधी या तो समाप्त हो जाते हैं या उनका मन बदल जाता है तथा वह उससे अपनी शत्रुता समाप्त कर लेते हैं। अष्टमुखी रुद्राक्ष को भैरव भगवान का स्वरूप भी माना जाता है। इसके बारे में मान्यता है कि इसको धारण करके कोर्ट कचहरी के मामलों में असफलता का मुंह नहीं देखना पड़ता और दैविक, दैहिक और भाैतिक कष्टों का अंत होता है। अष्ट मुखी रुद्राक्ष धारण करने से अन्न, धन, और स्वर्ण की वृद्धि होती है। अष्टमुखी रुद्राक्ष मनुष्य को अन्तर्मुखी बनाकर उसके जीवन की समस्त उथल− पुथल समाप्त कर नीचे से उपर उठने का मार्ग प्रशस्त करता है। यानी मूलाधार चक्र को एक्टिव करता है। जिससे धारक को परम सुख प्राप्त होता है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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