8 October 2024 Panchang: नवरात्रि के छठे दिन क्या रहेगा पूजा का शुभ मुहूर्त, कब से कब तक रहेगा राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त, जानिए पूरा पंचांग
8 October 2024 Panchang: पंचांग अनुसार 8 तारीख को नवरात्रि की षष्ठी तिथि रहेगी। इस तिथि पर मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। चलिए आपको बताते हैं नवरात्रि के छठे दिन की पूजा का शुभ मुहूर्त समेत पूरा पंचांग।
8 October 2024 Panchang
8 October 2024 Panchang: नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। इसके अलावा इस दिन स्कन्द षष्ठी भी मनाई जाती है। पंचांग अनुसार इस दिन षष्ठी तिथि सुबह 11 बजकर 17 मिनट से शुरू होगी। सूर्य देव कन्या राशि में रहेंगे तो चंद्र देव वृश्चिक राशि में विराजमान रहेंगे। नक्षत्र ज्येष्ठा रहेगा तो योग सौभाग्य रहेगा। इसके अलावा पूरे दिन रवि योग रहेगा। चलिए अब आपको बताते हैं 8 अक्टूबर का पूरा पंचांग।
8 अक्टूबर 2024 पंचांग (8 October 2024 Panchang)
संवत---पिङ्गला विक्रम संवत 2081
माह-आश्विन शुक्ल पक्ष
तिथि- पंचमी व्रत 11:17 am तक फिर खष्ठी, नवरात्र पंचमी दिवस, माता स्कंदमाता जी की पूजा 11:17 am के बाद माता कात्यायनी उपासना
दिवस-मंगलवार
सूर्योदय-06:17am
सूर्यास्त-06:01pm
नक्षत्र- ज्येष्ठा
चन्द्र राशि -- वृश्चिक राशि,स्वामी ग्रह-मङ्गल
सूर्य राशि- कन्या राशि,स्वामी ग्रह -बुध
करण- बालव 11:18 am तक फिर कौलव
योग- आयुष्मान 06:53 am तक फिर सौभाग्य
8 अक्टूबर 2024 शुभ मुहूर्त (8 October 2024 Shubh Muhurat)
अभिजीत-11:52 am से 12:34 pm तक
विजय मुहूर्त-02:20pm से 03:23 pm तक
गोधुली मुहूर्त--06:20pm से 07:23 pm तक
ब्रम्ह मुहूर्त-4:07m से 05:05am तक
अमृत काल-06:08am से 07;41am तक
निशीथ काल मुहूर्त-रात्रि 11:40से 12:20तक रात
संध्या पूजन-06:24 pm से 07:07pm तक
दिशा शूल -उत्तर दिशा। इस दिशा में यात्रा से बचें। दिशाशूल के दिन उस दिशा की यात्रा करने से बचते हैं, यदि आवश्यक है तो एक दिन पहले प्रस्थान निकालकर फिर उसको लेकर यात्रा करें।
अशुभ मुहूर्त--राहुकाल--दोपहर 03 बजे से 04:30 बजे तक
क्या करें-क्या ना करें- नवरात्रि माता दुर्गा पूजा का आज पँचम दिवस है। आज माता स्कंदमाता के रूप में माता दुर्गा की उपासना की जाती है। माता स्कंदमाता जी की उपासना करें। दुर्गासप्तशती का पाठ करें।माता के नाम का जप करें। सिद्धिकुंजिकास्तोत्र का 09 पाठ पुण्यदायी है। नवरात्र व्रत का पुण्य अखण्ड है, इस व्रत से जन्म जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं। मनोवांछित फल की प्राप्ति हेतु संकल्प करके दुर्गासप्तशती का पाठ करें या कराएं। बेहतर है कि माता दुर्गा की भक्ति मांगे। यह स्थायी है।भक्ति जन्म जन्मांतर काम आती है। शिव उपासना अवश्य करें। सप्तश्लोकी दुर्गा का 108 या 09 पाठ अवश्य करें। माता दुर्गा के 108 नाम का जप करें। दिन में 11बजकर 17 मिनट के बाद खष्ठी तिथि लग जायेगी। खष्ठी में माता कात्यायनी जी की आराधना करें। वाणी से कोई अशुभ बात न बोलें।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 सा...और देखें
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