Abu Dhabi Mandir: अबू धाबी का हिंदू मंदिर क्यों है खास, जानिए इसके बारे में दिलचस्प बातें
Abu Dhabi Mandir: पश्चिम एशिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर अबू धाबी में बनकर तैयार हुआ। लाल पत्थर से बना यह मंदिर आम लोगों के दर्शन के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री मोदी 14 फरवरी को मंदिर का उद्घाटन करेंगे। आइए जानते हैं इस मंदिर की खासियत।
Abu Dhabi Mandir
Abu Dhabi Mandir: संयुक्त अरब अमीरात में अबू धाबी के रेगिस्तान के बीच में एक बड़ा हिंदू मंदिर बनाया गया है। BAPS हिंदू मंदिर का उद्घाटन 14 फरवरी को प्रधान मंत्री मोदी द्वारा किए जाने की उम्मीद है। वर्तमान में मंदिर का निर्माण पूरा किया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी 13 फरवरी को अबू धाबी के शेख जायद स्टेडियम में अहलान मोदी कार्यक्रम के तहत भारतीय समुदाय को संबोधित करने वाले हैं। इसके बाद वह 14 फरवरी को मंदिर के आसपास एक कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। मंदिर लगभग तैयार हो चुका है। आइए जानते हैं इस मंदिर की खास बाते क्या हैं।
संयुक्त अरब अमीरात किस भगवान का बना है मंदिर
संयुक्त अरब अमीरात में हिंदू समुदाय का पहला मंदिर बन कर तैयार हो चुका है। ये मंदिर भगवान स्वामी नारायण का है। स्वामी नारायण मंदिर का निर्माण भारतीय कारीगरों द्वारा किया गया था। इसे अरबी और हिंदू संस्कृति का प्रतीक माना जाता है। यह मंदिर सात शिखरों पर बना है और प्रत्येक शिखर पर एक देवी-देवता का निवास है।
क्या है इस मंदिर की खासियतयह मंदिर 55,000 वर्ग मीटर के विशाल क्षेत्र में बना है। निर्माण के लिए भूमि संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान द्वारा प्रदान की गई थी। यह पश्चिमी एशिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है। इस मंदिर का नाम BAPS टेम्पल है। इसकी ऊंचाई 32.92 मीटर, लंबाई 79.86 मीटर और चौड़ाई 54.86 मीटर है। मंदिर के बाहर 96 घंटियां लगाई गई हैं। मंदिर में सात शिखर हैं, जो संयुक्त अरब अमीरात के सात अमीरात का प्रतीक हैं। इसके अलावा दीवारों पर रामायण, शिव पुराण और भगवान जगन्नाथ की यात्रा का चित्रण किया गया है। इसके अतिरिक्त, गंगा को जल उपलब्ध कराने के लिए मंदिर के पास एक गंगा घाट भी बनाया गया था। प्रवेश और निकास द्वार पर नैनो टाइल्स बिछाई गई हैं, जो हमेशा ठंडी रहती हैं। यह मंदिर गंगा-यमुना और सरस्वती नदियों के संगम को भी दर्शाता है। पूरे मंदिर की कुल निर्माण लागत 700 करोड़ रुपये है। ख़ासियत यह है कि निर्माण में लोहे और स्टील का नहीं, बल्कि पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था। मंदिर में रखे गए ये पत्थर और मूर्तियां विशेष रूप से भारत से भेजे गए हैं।
इतना आया है खर्चा
यह मंदिर पश्चिमी एशिया का सबसे बड़ा पत्थर का मंदिर होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मंदिर को बनाने में 700 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हुए हैं। इस देश के सात अमीरातों का प्रतिनिधित्व करने वाली सात मीनारें हैं। यह मंदिर क्षेत्र 27 एकड़ भूखंड पर बना हुआ है। इस मंदिर के निर्माण के लिए उत्तरी राजस्थान से गुलाबी बलुआ पत्थर अबू धाबी लाया गया था। अमीरात की तपती गर्मी इन पत्थरों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकती है।
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