तीन नहीं 7 होते हैं लोक, ब्रह्मवैवर्त पुराण में लिखा है प्रमुख पर्वत, सागर, पुरी और दीपों का पूरा उल्लेख और महत्व
ब्रह्मवैवर्त पुराण में है सृष्टि निर्माण के समस्त क्रम का उल्लेख। सनातन विज्ञान बताता है कैसे हुआ सृष्टि का निर्माण। पर्वत, समुद्र, द्वीप, लोक, पाताल के बाद हुआ वेदों का निर्माण। फिर बने थे युग, मास, ऋतुएं तिथि भी। ब्रह्मा जी ने की थी मधु और कैटभ, पदार्थाें से सृष्टि की रचना।
तीन नहीं 7 होते हैं लोक
मुख्य बातें
- सृष्टि में निर्माण हुआ था सबसे पहले आठ पर्वतों का
- फिर सात समुद्र और समुद्र बने अपने गुण आधार पर
- सात लोक और पाताल की रचना के बाद बने वेद
आज का विज्ञान सृष्टि की उत्पत्ति के लिए बिग बैंग की थ्योरी को आधार मानता है। रसायन संग्रह से सृष्टि की उत्पत्ति मानता है लेकिन ब्रह्मवैवर्त पुराण में सृष्टि के समस्त क्रम का उल्लेख आसान मिलता है। आज का विज्ञान कहता है कि एक कोषा बनी, बाद में करोड़ों वर्षाें में शरीर, प्राणी, पौधे बने। जबकि सनातन विज्ञान सृष्टि की उत्पत्ति को क्रम से बताता है। मानव के कर्म एवं बौद्धिक क्षमताएं, भावनाएं उत्पन्न हुयीं, इसका पूर्ण उल्लेख ब्रह्मवैवर्त पुराण में है। आज हम आपको इस पुराण के आधार पर बताते हैं सृष्टि में मौजूद लोक, पर्वत, सागर, पुरी और दीपों की नाम सहित जानकारी।संबंधित खबरें
सृष्टि क्रम का विज्ञान संबंधित खबरें
सृष्टि का निर्माण ब्रह्मा के द्वारा भगवान की आज्ञा से हुआ। ब्रह्म अर्थात वह तत्व जिसमें किसी भी वस्तु, जीव, पदर्थ की रचना करने की शक्ति स्वतः होती है, जैसे आवेश, पराधारा, वायु तत्व आदि। जिनकी मौलिक क्षमताएं भाैतिक रूप से दिखायी न दें, वह ब्रह्मशक्ति होती है। ब्रह्माजी द्वारा दो पदार्थों के समन्वय से सृष्टि की रचना की गयी थी- मधु और केटभ। मधु यानी शहद और केटभ का अर्थ शराब। दोनों की क्षमताएं आर्गेनिक कम्पाउंड की हैं अर्थात अन्य पदार्थाें की रचना कर सकते हैं। इनके आधार पर पर कई पर्वत जो अलग अलग रसायन, रचनासूत्रों, गुणाें एवं विशेषताओं से पूर्ण थे निर्मित हुए।संबंधित खबरें
आठ प्रमुख पर्वत और उनकी विशेषता संबंधित खबरें
सुमेरु− वह क्षेत्र या रसायन जिसमें वस्तु, पदार्थ या जीव का आकार बनता है।संबंधित खबरें
कैलाश− जल तत्व का वह रूप जो जीवन प्रदान करता है।संबंधित खबरें
मलय− जो सृष्टि में विभिन्न प्रकार की सुगंध देता है।संबंधित खबरें
हिमालय− वनस्पति का विशेष प्रवाह एवं रचना।संबंधित खबरें
उदयाचल− सूर्य उर्जा एवं उसकी समस्त रचनात्मक क्रियाएं।संबंधित खबरें
अस्ताचल− उर्जा का विखंडन एवं परिवर्तन।संबंधित खबरें
सुबेल− वह पर्वत हो पूर्णता प्रदान करता है।संबंधित खबरें
गन्मादन− रति एवं बीज उत्पत्ति के लिए उत्तरदायी।संबंधित खबरें
सात समुद्र
पर्वत के बाद ब्रह्म तत्व के द्वारा नदियों एवं समुद्र की रचना की गई। समुद्रों के माध्यम से निम्न रसों की रचना का उल्लेख है। संबंधित खबरें
लवण समुद्र− अकार्बनिक पदार्थाें का संग्रह केंद्र।संबंधित खबरें
इक्षुरस समुद्र− कार्बनिक पदार्थाें से युक्त वनस्पति रस।संबंधित खबरें
सुरा समुद्र− अल्कोहोलिक पदार्थाें से युक्त रचना।संबंधित खबरें
घृत समुद्र− समस्त प्रकार की वसाएंसंबंधित खबरें
दही समुद्र− समस्त प्रकार के अम्लीय तत्वों की रचना। संबंधित खबरें
दूध समुद्र− जीवोत्पत्ति वसा पोषण। संबंधित खबरें
स्वच्छ जल समुद्र− हाइड्रोजन ऑक्सीजन से बना जल। संबंधित खबरें
सात द्वीप
इसके बाद सात द्वीपों की रचना हुई। संबंधित खबरें
जंबू द्वीप− विशाल पेड़ एवं जीवों की रचना क्षेत्र। संबंधित खबरें
शाक द्वीप− समस्त प्रकार की वनस्पति। संबंधित खबरें
कुरा द्वीप− समस्त प्रकार औषध रचना।संबंधित खबरें
लक्ष द्वीप− समस्त प्रकार की धातु अधातु रचना।संबंधित खबरें
क्रौंच द्वीप− पक्षी एवं समस्त प्रकार के उड़ने वाले तत्व। संबंधित खबरें
पुष्कर द्वीप− समस्त प्रकार के पुष्पों, फलों एवं बीजों की रचना। संबंधित खबरें
सात लोक
भूर्लोक− संपूर्ण एश्वर्य से युक्त धरा। संबंधित खबरें
भुवर्लोक− नक्षत्र, तारे आदि। संबंधित खबरें
स्वर्गलोक− आंतरिक चेतना के रूप। संबंधित खबरें
महर्लोक− बीजोत्पत्ति के साधन। संबंधित खबरें
जनलोक− मानव की रचनात्मक एवं बौद्धिक क्षमता। संबंधित खबरें
तपोलोक− कर्मभूमि एवं पोषण। संबंधित खबरें
सत्यलोक− अनुसंधान एवं शाेध।संबंधित खबरें
सात पाताल
अतल− जिसका कोई आधार नहीं है। संबंधित खबरें
वित्तल− जिसमें पूर्ण रसायन है।संबंधित खबरें
सुतल− अमृत और औषध।संबंधित खबरें
तलातल− पोषण एवं पाचन। संबंधित खबरें
महातल− आंतरिक रासायनिक क्रियाएं।संबंधित खबरें
पाताल− आधार एवं स्थिरता। संबंधित खबरें
रसातल− अनैतिक एवं अर्थहीन। संबंधित खबरें
इन सभी के निर्माण के बाद चार वेद, छत्तीस रागिनियां उत्पन्न कीं। रागों का निर्धारण किया गया। फिर युग सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलयुग का निर्धारण हुआ। फिर वर्ष, मास, ऋतु, तिथि, दंड, क्षण, दिन, रात्रि, वार, संध्या, उषा, पुष्टि, मेधा, विजय, जया। छह कृतिका, योग, करण आदि। तीन कल्प, चार प्रलय का निर्माण हुआ।संबंधित खबरें
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)संबंधित खबरें
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