Chankya Niti: चाणक्य नीति के अनुसार घर के मुखिया में होने चाहिए ये गुण, जानें क्या हैं ये गुण
आचार्य चाणक्य ने अर्थशास्त्र के साथ साथ नीतिशास्त्र की रचना भी की है, वहीं यहां ऐसी बातों का उल्लेख है जिसे अपनाकर आप अपने जीवन को बेहतर कर सकते हैं। वहीं नीतिशास्त्र में सामाजिक, व्यावसायिक, आर्थिक और कूटनीतिक नीतियों का उल्लेख किया गया है, वहीं यहां परिवार के मुखिया के लिये कुछ बातों का उल्लेख किया गया है, जिसे अपनाकर वह अपने परिवार को खुशहाल रख सकते हैं।
चाणक्य नीति के अनुसार घर के नियम
- चाणक्य नीति में जीवन के साथ-साथ घर को बेहतर बनाने वाली कई तरह की बातों का उल्लेख है।
- आचार्य चाणक्य ने घर के मुखिया के लिये कुछ बातों का उल्लेख चाणक्य नीति में किया है।
- घर का मुखिया चाणक्य नीति की इन बातों को अपनाकर परिवार को खुश रख सकता है।
Chankya Niti: आमतौर पर घर की तरक्की उसके मुखिया से जुड़ी होती है, ऐसे में घर के मुखिया को कुछ बातों का बेहतरी से ध्यान रखना चाहिये। वहीं आचार्य चाणक्य ने परिवार के मुखिया के लिए कुछ बातों का उल्लेख बेहतरी से किया है, जहां उन्होंने कहा है कि अगर परिवार का मुखिया समझदार है तो वह परिस्थिति से अपने घर को निकाल ले जायेगा, साथ ही परिवार के मुखिया के लिये जरूरी है कि वह अपने परिवार को साथ लेकर चले। इसके साथ ही चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य ने कुछ बातों का उल्लेख परिवार के मुखिया के लिये किया है, आइये उन बातों के बारे में जानते हैं-
मुखिया करे पैसे की बचत, खर्चो पर रखे नियंत्रण
चाणक्य नीति के अनुसार घर के मुखिया को पैसों की बचत करना आना चाहिए, जिससे कि भविष्य में जरूरत के समय किसी के सामने हाथ न फैलाना पड़े। वहीं पैसों की बचत करना परिवार के मुखिया की जिम्मेदारी होती है। इसके साथ ही परिवार के मुखिया को यह समझना होता है कि वह खर्चो के हिसाब से अपने घर को चलाये, जहां वह यह तय करे कि जितनी कमाई हो उसी हिसाब से घर के खर्चे हो, ऐसे में बिना वजह के खर्चो पर काबू रहना चाहिये।
मुखिया रहे निर्णय पर अडिग, निर्णय लेते समय रखे सावधानी
आचार्य चाणक्य के अनुसार परिवार की तरक्की मुखिया के निर्णयों पर आधारित होती है, ऐसे में जब घर का मुखिया जो निर्णय ले उस पर अडिग रहे, इससे घर में अनुशासित माहौल रहेगा। वहीं परिवार का मुखिया जब भी कोई निर्णय ले तो इस बात का ख्याल रखे कि उसके इस निर्णय से परिवार के किसी भी सदस्य को हानि नहीं होगी, इससे परिवार में बिखराव नहीं होगा।
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परिवार का मुखिया न हो कान का कच्चा, सबकी बातें ध्यान से सुने
आचार्य चाणक्य के अनुसार परिवार के मुखिया को कान का कच्चा नहीं होना चाहिए, साथ ही किसी भी बात पर बिना प्रमाण के भरोसा नहीं करना चाहिये। इसके साथ ही घर में अगर मनमुटाव की स्थिति आये तो दोनों पक्षों की बातों को धैर्य के साथ ध्यान से सुनना चाहिये।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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