Chanakya Niti for Students: जिन छात्रों ने अपना लिया चाणक्‍य के ये चार नियम, पहुंच गए सफलता के शिखर पर

Chanakya Niti in Hindi: राजनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य ने विद्यार्थी जीवन को सफल बनाने के कई उपाय बताए हैं। आचार्य छात्रों का मार्गदर्शन करते हुए कहते हैं कि, छात्र जीवन तप और त्‍याग का जीवन होता है। इसलिए विद्यार्थी को कई चीजों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। अन्यथा वे गलत रास्ते पर भटक कर जीवन को बर्बाद कर सकते हैं।

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इन चार चीजों से दूरी छात्रों को दिलाती है सफलता

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • लालच और क्रोध से दूरी में ही छात्रों की भलाई
  • नींद है छात्र जीवन की सबसे बड़ी दुश्‍मन
  • स्वादिष्ठ व्यंजन से छात्रों को हमेशा रहना चाहिए दूर

Chanakya Niti in Hindi: आचार्य चाणक्‍य ने अपने नीति शास्‍त्र में मानव जीवन के बारे में बहुत कुछ बताया है। आचार्य ने पारिवारिक जीवन और करियर में सफलता पाने के उपाय बताने के साथ छात्रों को भी सफलता प्राप्‍त करने के लिए कई उपाय बताए हैं। आचार्य कहते हैं कि विद्यार्थी जीवन तप के समान है। जिस तरह एक तपस्वी को कई सालों के तप के बाद ईश्वर का आर्शिवाद प्राप्‍त होता है, उसी तरह छात्रों को भी लक्ष्य प्राप्ति के लिए कई वर्षों तक कठिन तपस्‍या करनी पड़ती है। आचार्य ने छात्रों को चार चीजों से हमेशा दूरी बनाकर रहने की सलाह दी है।

क्रोध

आचार्य कहते हैं कि छात्रों को हमेशा क्रोध से दूरी बनाकर रहना चाहिए। क्‍योंकि क्रोध ज्ञान को खत्म करने का काम करता है। जिस विद्यार्थी में क्रोध आ जाता है, वह ज्ञानी होकर भी अज्ञानी के समान हो जाता है। क्रोध के वश में आकर छात्र गलत कार्य कर सकते हैं। इसलिए छात्रों को हमेशा अपने क्रोध को काबू में रखने का प्रयास करना चाहिए।

लालच

आचार्य चाणक्‍य का मानना है कि जिस छात्र के अंदर लालच की भावना आ जाती है, वह कभी आगे नहीं बढ़ पाता है। लालच छात्रों को बुरे कर्म की तरफ धकेलता है। छात्र जब एक बार लालच में फंस कर गलत मार्ग पर चल पड़ता है तो वह उससे बाहर नहीं निकल पाता है। इस दलदल में फंस कर छात्र अपने जीवन को बर्बाद कर सकते हैं। लालच के सामने ज्ञान भी हार मान लेता है।

स्वादिष्ठ व्यंजन

चाणक्य कहते हैं कि, छात्र जीवन में युवाओं को अल्‍पहारी बनना चाहिए। साथ ही ऐसा भोजन करना चाहिए जो उनके बुद्धि के विकास में मदद कर सके। जिन छात्रों को स्वादिष्ट खाने की लत लग जाती है, वे अपना ज्‍यादातर समय इस तरह के भोजन की तलाश में ही गंवा देते हैं। ऐसे छात्रों का पढ़ने-लिखने में मन नहीं लग पाता। इसलिए छात्रों को सादा भोजन ही करना चाहिए।

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निद्रा

आचार्य चाणक्य ने निद्रा को छात्र जीवन का सबसे बड़ा दुश्‍मन बताया है। आचार्यकहते हैं, जो छात्र अपनी निद्रा पर काबू नहीं पा सकता, वह कभी भी सफल नहीं हो सकता। निद्रा छात्रों को ज्ञान से दमर ले जाने का काम करती है। इसके वश में आकर छात्र शिक्षा से विमुख हो जाते हैं। इसलिए छात्रों का सही समय पर जागना और सही समय पर सोना बहुत जरूरी है।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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