Chanakya Niti: इन 4 जगहों पर धन खर्च करने में कभी न करें संकोच, सुधर जाएगा लोक-परलोक
Chanakya Niti in Hindi: आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य अपने जीवन में कई परेशानियों का सामना करता है। इस मुश्किल वक्त से उसके कर्म ही उसे बाहर निकालते हैं। कर्म को अच्छा बनाने के लिए दूसरों की मदद करने या दान करने से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। क्योंकि यही कार्य व्यक्ति के लोक और परलोक को सुधारने में मदद करते हैं।
इन कार्यों पर खुलकर करें धन खर्च, सुधर जाएगा लोक-परलोक
मुख्य बातें
- बीमार लोगों की मदद करने से कभी पीछे न हटें
- गरीबों व जरूरतमंदों की मदद करने से मिलती है तरक्की
- सामाजिक व धार्मिक कार्य पर दान से मिलता है पुण्य
Chanakya Niti in Hindi: आचार्य चाणक्य का नीतिशास्त्र मनुष्य जीवन के लिए अनमोल है। इसमें आचार्य के विचार और नीतियों को एक सूत्र में पिरोया गया है। आचार्य ने अपनी इन्हीं नीतियों से नंदवंश का नाश कर एक साधारण से बालक को सम्राट बनाया। जिसने बाद में मौर्य वंश की स्थापना की। आचार्य के इस नीतिशास्त्र में बताए गए उपायों को अपनाकर कई परेशानियों से बचा जा सकता है। इसमें कई ऐसी खास नीतियों का उल्लेख किया गया है, जिससे सफलता की सीढ़ी चढ़ा जा सकता है। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य के लिए धन सबसे ज्यादा कीमती होता है। इसलिए धन को हमेशा जांच-परख कर खर्च करना चाहिए। हालांकि आचार्य ने कई ऐसी जगहों का भी जिक्र किया है, जहां पर खुलकर पैसा खर्च करना चाहिए।
बीमारी व्यक्ति के इलाज में
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि बीमार व्यक्ति के इलाज और सेवा के लिए कभी भी धन खर्च करने में झिझक नहीं दिखानी चाहिए। जहां तक संभव हो सके बीमार व्यक्ति की मदद करनी चाहिए। क्योंकि आपकी इस मदद से किसी इंसान को नया जीवन मिल सकता है। किसी का जीवन बचाना सबसे बड़ा परोपकार माना जाता है। इससे मिलने वाला पुण्य सफलता व तरक्की के नए रास्ते खोल देता है।
गरीबों की मदद
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करने पर ईश्वर प्रसन्न होते हैं। इस कार्य में किया गया धन खर्च गरीब और जरूरतमंदों की दुआओं के साथ खूब फल देता है। पुण्य के इस काम से जहां समाज में मान सम्मान मिलता है, वहीं परलोक में भी इसका शुभ फल मिलता है। जरूरतमंदों की हमेशा मदद करनी चाहिए।
सामाजिक कार्यों में करें मदद
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि सभी को अपनी आय का एक हिस्सा सामाजिक कार्यों पर खर्च करना चाहिए। अस्पताल, स्कूल, धर्मशाला जैसे भवनों के निर्माण समेत अन्य सामाजिक कार्य में किया गया दान लोक-परलोक सुधारने में मदद करता है। इससे ना सिर्फ समाज में प्रतिष्ठा बढ़ती है, बल्कि लोगों की दुआएं भी मिलती हैं।
धार्मिक स्थलों को दान
धार्मिक कार्यों में दान करने को भी आचार्य चाणक्य ने बड़ा पुण्य का कार्य माना है। आचार्य कहते हैं कि सभी लोगों को अपने धर्म के अनुसार मंदिर या अन्य पवित्र स्थल में दान जरूर देना चाहिए। इस तरह के दान से पुण्य मिलता है साथ ही जीवन में भी सकारात्मकता आती है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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