Chanakya Niti: ये चार परिस्थितियां कर देती हैं मनुष्य जीवन को बर्बाद, अंदर ही अंदर घटता है व्‍यक्ति का दम

Chanakya Neeti in Hindi: आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्‍त्र में पारिवारिक जीवन के बारे में कई अहम जानकारी दी है। उन्‍होंने मनुष्‍य जीवन की चार ऐसी परिस्थितियों के बारे में बताया है, जो व्‍यक्ति को अंदर ही अंदर मार देती है। ये परिस्थियां जीवन की सबसे कष्‍टकारी पल होते हैं।

Chanakya Niti

परिस्थितियां जो मनुष्य जीवन को कर देती ही बर्बाद

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • पत्नी का वियोग पति के लिए सबसे कष्‍टकारी
  • कर्ज के बोझ में दबा व्‍यक्ति अंदर ही अंदर घुटता है
  • अपनों से बेइज्जत होने पर व्‍यक्ति हो जाता है मृतक के समान

Chanakya Neeti in Hindi: आचार्य चाणक्य को राजनीति, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, राजनीतिशास्त्र जैसे कई विषयों का प्रखंड विद्वान माना जाता है। आचार्य चाणक्य द्वारा रचित नीति शास्‍त्र सदियों बाद आज भी मानव सभ्‍यता के लिए बहुत ही उपयोगी है। आचार्य ने अपनी इन नीतियों में कई ऐसे उपाय बताए हैं, जिनको अपनाकर व्‍यक्ति अपना लक्ष्‍य हासिल कर सकता है। आचार्य ने कई ऐसे व्‍यवहारिक उपाय बताए हैं, जो सभी परेशानियों और बाधाओं को दूर कर सकता है। आचार्य चाणक्य ने आम पारिवारिक जीवन के बारे में जानकारी देते हुए कुछ ऐसी घटनाओं के बारे में बताया है, जो व्‍यक्ति के जीवन को नर्क बना देता है।

कान्तावियोगः स्वजनापमानं ऋणस्य शेषं कुनृपस्य सेवा ।

दारिद्र्यभावाद्विमुखं च मित्रं विनाग्निना पञ्च दहन्ति कायम् ॥

पत्नी का वियोग

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि किसी भी व्‍यक्ति के लिए जीवन का सबसे कष्‍टकारी क्षण पत्नी का वियोग होता है। जब पत्‍नी साथ छोड़ जाती है तो व्यक्ति के लिए दुनियादारी की हर चीज व्‍यर्थ लगने लगती है। पत्‍नी जीवन संगनी होती है। वह अपने पति के साथ-साथ पूरे घर-परिवार का ध्यान रखती है। यही कारण है कि पत्‍नी वियोग में पति अंदर ही अंदर जलता रहता है।

अपनों से बेइज्जत

आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि हर इंसान दूसरों से सम्‍मान चाहता है, लेकिन जब किसी व्‍यक्ति का उसके अपने ही इज्‍जत नहीं करते तो उस व्‍यक्ति को अंदर ही अंदर ग्लानि भरा जीवन जीना पड़ता है। अपनों से होने वाली इस बे-इज्‍जत के कारण व्‍यक्ति अंदर- अंदर घुटता रहा है। कुछ समय बाद ऐसे लोग मरे हुए व्यक्ति के समान जीवन जीने लगते हैं।

कर्ज का बोझ

आचार्य चाणक्य के अनुसार कर्ज का बोझ व्‍यक्ति के जीवन को नर्क बना सकता है। इस बोझ के नीचे दबा व्‍यक्ति अंदर ही अंदर मारता रहता है। व्‍यक्ति अपने इस कर्ज को खत्‍म करने और अपने परिवार को खुशहाल बनाने के लिए रात दिन जी-तोड़ मेहनत करता है। कर्ज का यह दबाव रात की नींद उड़ाने के साथ कई तरह की बीमारियों को जन्‍म देती है।

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गरीबी एवं दरिद्रों

आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि हर व्‍यक्ति खुशहाल जीवन जीना चाहता है, लेकिन जब किसी व्‍यक्ति के जीवन को गरीबी और दरिद्रता घेर लेती है तो वह अपने जीवन को पूरी तरह से बर्बाद मान लेता है। यह स्थिति व्‍यक्ति को अंदर ही अंदर जलाकर रख देती है। आचार्य कहते हैं ऐसे व्‍यक्तिहर समय खुद को इस स्थिति से छुटकारा दिलाने के प्रयास में लगा रहता है।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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