Chanakya Niti: धन की लालसा में भूलकर भी न गवाएं जीवन की ये अहम चीजें, इनकी कीमत धन से ज्‍यादा

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्‍य ने मानव जीवन को आसान बनाने के लिए धन को सबसे जरूरी बताया है। आचार्य के अनुसार, धन ही मनुष्‍य का हर परिस्थिति में साथ निभाता है, लेकिन धन के पीछे भागते हुए कभी भी व्‍यक्ति को प्रेम, धर्म और स्‍वाभिमान नहीं छोड़ना चाहिए। क्‍योंकि धन तो दोबारा हासिल किया जा सकता है, लेकिन ये चीजें दोबारा वारपस नहीं मिलती।

Chanakya Niti (4).

जीवन में धन से भी ज्‍यादा मूल्‍यवान हैं ये तीन चीजें, भूलकर भी न खोएं

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • धन के पीछे भागकर कभी नहीं खोना चाहिए प्रेम
  • धर्म त्‍यागने पर व्‍यक्ति चला जाता है गलत रास्‍ते पर
  • स्‍वाभिमान जाने के बाद कभी नहीं मिलता है वापस

Chanakya Niti in Hindi: आचार्य चाणक्‍य ने मनुष्‍य के लिए सबसे ज्‍यादा जरूरी धन को बताया है। आचार्य के अनुसार, मनुष्‍य का सबसे बड़ा साथी और सहारा धन ही होता है। जब यह पास में होता है, तो हर जगह साथ देता है। धन से व्यक्ति अपनी जरूरत की हर वो चीज खरीद सकता है, जो वह चाहता है। परिवार के भरण-पोषण से लेकर इच्‍छाएं पूरी करने तक धन ही काम आता है। इसलिए लोग धन अर्जित करने के लिए दिन रात मेहनत करते हैं। आचार्य कहते हैं कि, धन के पीछे उतना ही भागना चाहिए, जितना जरूरी हो। क्‍योंकि धन को दोबारा हासिल किया जा सकता हैं, लेकिन इसके पीछे भागते हुए अगर जीवन की कुछ अहम चीजें छोड़ दी तो उसे दोबारा हासिल नहीं किया जा सकता है। आचार्य ने ऐसी ही तीन चीजों का जिक्र करते हुए इसे धन से भी ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण बताया है।

प्रेम नहीं खरीद सकते

आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि जीवनको आसान बनाने में जितनी जरूरत धन की पड़ती है, उतनी ही प्रेम की। यह दोनों चीजें सभी के लिए जरूरी होती हैं। कुछ लोग धन के पीछे भागते हुए अपने परिवार और दोस्‍तों को छोड़ देते हैं तो वहीं ऐसे लोग भी होते हैं जो प्यार के लिए अपना धन-दौलत त्‍याग देते हैं। आचार्य कहते हैं कि, धन के लिए प्रेम को त्‍यागना मूर्खता होती है, क्‍योंकि प्रेम के आगे पैसे की कोई कीमत नहीं। व्‍यक्ति कितना भी धनवान क्यों न हो वह प्रेम को कभी नहीं खरीद सकता है।

धर्म है धन से बड़ा

आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि मनुष्‍य को अपने कर्म के साथ धर्म का भी विशेष ध्‍यान रखना चाहिए। व्‍यक्ति चाहे किसी भी धर्म का हो, उसे अपने धर्म को हमेशा सबसे ऊपर रखना चाहिए। क्‍योंकि धर्म ही मनुष्य को सही रास्‍ता दिखाता है। आचार्य कहते हैं अगर कोई व्‍यक्ति धन अर्जित करने के चक्कर में अपने धर्म का त्‍याग कर रहा है तो उसे न तो समाज में प्रतिष्ठा मिलती है और न ही परलोक पर। ऐसे लोग जल्द ही बुराई के रास्ते पर चलकर जीवन को बर्बाद कर लेते हैं।

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स्वाभिमान कभी न त्‍यागें

आचार्य चाणक्‍य का मानना है कि, व्‍यक्ति को उसकी पहचान उसके स्वाभिमान से ही मिलती है। इसलिए व्‍यक्ति को कभी भी अपने स्‍वाभिमान को दांव पर लगाकर धन अर्जित नहीं करना चाहिए। क्‍योंकि धन तो दोबारा अर्जित किया जा सकता है, लेकिन अगर एक बार आत्मसम्मान चला जाए तो वह वापस नहीं आता है। इसलिए व्‍यक्ति को स्वाभिमान के लिए पैसों का त्याग करने से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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