Chanakya Neeti: सफलता के साथ चाहिए आर्थिक प्रगति तो इन अवगुणों से आज ही कर लें किनारा
Chanakya Neeti In Hindi: चाणक्य कहते हैं कि अपने जीवन में वही व्यक्ति सफलता व धन संपदा का आनंद ले सकता है, जो अवगुणों से मुक्त हो। अवगुण हर व्यक्ति के अंदर होता है। इनमें से कुछ अवगुणों में सुधार किया जा सकता है, लेकिन कुछ अवगुण ऐसे होते हैं जो जीवन को बर्बाद कर देते हैं। इन अवगुणों से युक्त लोगों को कभी सफलता नहीं मिलती है।

चाणक्य का सफलता मंत्र
- कमजोर को सताने वाले से लक्ष्मी जी हमेशा रहती हैं दूर
- लालची व्यक्ति को समाज में नहीं मिलता कोई सम्मान
- धोखेबाज लोगों के नहीं बनते दोस्त, जीवन भर रहते हैं अकेले
Chanakya Neeti In Hindi: आचार्य चाणक्य का नीति शास्त्र आज के लोगों के लिए भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना सदियों पहले था। इसका सबसे बड़ी वजह इसमें बताई गई जीवन की सच्चाई और व्यवहारिक उपाय हैं। यह हर व्यक्ति को बेहतर जीवन जीने का सलीका सिखाने के साथ सफलता प्राप्त करने का उपाय भी बताती है। इसी वजह से लोग चाणक्य नीति में बताई गई बातों को अपनाकर जीवन में सफलता हासिल करते हैं। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अपने जीवन में वही व्यक्ति सफलता व धन संपदा का आनंद ले सकता है, जो अवगुणों से मुक्त हो। जिन लोगों में लोभ, झूठ, अहंकार और धोखा देने जैसे अवगुण होते हैं वो न तो अपने जीवन में कभी सफल हो पाते हैं और न ही उसे धन-संपदा मिलती है।
कमजोरों को सताने का अवगुण
आचार्य चाणक्य के अनुसार जो लोग अपने अधिकारों और पद का गलत फायदा उठा कमजोर लोगों को सताते व अपमान करते हैं, उन पर मां लक्ष्मी की कृपा कभी नहीं बरसती है। ऐसे लोगों कुछ क्षण के लिए जरूर खुशी उठा लेते हैं, लेकिन पद और अधिकारी जाने के बाद इन्हें दुख ही भोगना पड़ता है। ऐसे लोग को समाज में भी लोगों से सम्मान नहीं मिलता है।
लालच है बर्बादी का कारण
आचार्य चाणक्य कहते है कि कुछ लोग लोभी प्रवृति के होते हैं। ऐसे लोग लालच में फंस कर अपना पूरा जीवन ही बर्बाद कर देते हैं। ऐसे लोग छल कपट कर धन तो अर्जित कर लेते हैं, लेकिन ऐसा धन कभी फलता नहीं है। यह सिर्फ बर्बादी का कारण बनता है। वहीं परिश्रम से कमाया गया धन जीवन भर साथ निभाता है।
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धोखेबाज लोग रह जाते हैं अकेले
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि लोगों को धोख दे आगे बढ़ने की कोशिश करने वाले लोग जीवन में अकेला ही रह जाते हैं। ऐसे लोगों को जीवन में न तो कभी सफलता मिलती है और न ही धन-संपदा मिल पाती है। ऐसे लोगों के दोस्त भी नहीं बनते, हर कोई ऐसे लोगों से दूर रहना चाहता है।
अहंकारी खुद को कर देता है खत्म
आचार्य चाणक्य के अनुसार मनुष्य में अहंकार बहुत ही विनाशकारी अवगुण होता है। जिस व्यक्ति में यह अवगुण आ जाता है, वह अहंकार में आकर खुद का ही सर्वनाश कर लेता है। ऐसे लोग अपना धन, दोस्त व सम्मान सबकुछ गवां देते हैं। इसलिए व्यक्ति को हमेशा अंकार से बचना चाहिए। ऐसे लोगों को समाज में दुत्कार के अलावा कुछ नहीं मिलता है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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