Chanakya Niti: सीमाओं में बांधकर कभी नहीं रखने चाहिए ये तीन गुण, जितना फैले उतना अच्‍छा

Chanakya Niti in Hindi: आचार्य चाणक्‍य कहते हैं विभिन्‍न क्षेत्रों में सफलता पाने के लिए अलग-अलग खासियतों व गुणों की जरूरत पड़ती है। जीवन में कुछ ऐसे कार्य और गुण होते हैं, जिन्‍हें कभी भी किसी सीमा में बांध कर नहीं रखना चाहिए। ये गुण जितना दूरी तक फैलते हैं उससे व्‍यक्ति को उतना ही लाभ मिलता है। साथ ही इससे दूसरे लोगों को भी लाभ मिलता है।

Chanakya Niti_ सीमाओं में बांधकर कभी नहीं रखना चाहिए रखने चाहिए ये तीन गुण, जितना फैले उतना अच्_छा

सफलता पाने के लिए इन लोगों को अपनी सीमाएं लांघनी जरूरी

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • अपनी सीमाओं को लांघने के बाद ही मिलती है सफलता
  • कारोबारी को तभी सफलता मिलती है जब व्‍यापार दूर तक फैलता है
  • विद्वान व्‍यक्ति का ज्ञान और संस्‍कारी व्‍यक्ति का संस्‍कार बहुत लाभकारी

Chanakya Niti in Hindi: आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि, हर व्‍यक्ति जीवन में ज्‍यादा से ज्‍यादा सफलता पाने के लिए खूब मेहनत करता है। विभिन्‍न क्षेत्रों में सफलता पाने के लिए अलग-अलग खासियतों व गुणों की जरूरत पड़ती है। जो लोग इन बातों का ध्‍यान रख उसके अनुसार कार्य करते हैं, उन्‍हें सफलता पाने में देर नहीं लगती है, वहीं जो लोग इन बातों का ध्‍यान नहीं रखते, उनसे सफलता दूर हो जाती है। आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि मानव जीवन के कुछ ऐसे कार्य होते हैं, जिसमें सफलता के लिए व्‍यक्ति को अपनी सीमाएं लांघनी पड़ती है। अगर व्‍यक्ति अपनी सीमाओं को नहीं लांघता तो उसकी सफलता का पैमाना भी सीमित रह जाता है। क्‍योंकि इस तरह के कार्य दायरे में रहकर नहीं किया जा सकता है।

व्‍यापारी

आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि कारोबार क्षेत्र से संबंध रखने वाले जो लोग अपने व्‍यापार को बढ़ाना चाहते हैं उन्‍हें खुद को कभी एक सीमित दायरे में बांध कर नहीं रखना चाहिए। क्‍योंकि कारोबार करने वाले लोगों को अपने व्‍यापार को बढ़ाने के लिए दूर-दूर तक यात्रा करनी होती है। साथ ही धन का भी लेनदेन करना पड़ता है। ऐसे लोगों को जितना संभव हो अपने कारोबार को फैलाने के लिए काम लगातार खतरा लेकर कार्य करना चाहिए। कारोबारी को कभी यह नहीं सोचना चाहिए कि उसके लिए कोई स्‍थान दूर है।

विद्वान व्‍यक्ति

आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि लोगों में ज्ञान फैलाने की जिम्‍मेदारी विद्वान व्‍यक्ति की होती है। विद्वान व्‍यक्ति को कभी अपने ज्ञान को एक सीमा में बांध कर नहीं रखना चाहिए। विद्वान व्‍यक्ति को चाहिए कि जितना हो सके अपने ज्ञान को ज्‍यादा से ज्‍यादा दूर तक फैलाना चाहिए। इसके लिए उसे अगर दूर तक यात्रा करनी पड़े तो पीछे नहीं हटना चाहिए। ऐसे व्‍यक्ति के ज्ञान से जितना ज्‍यादा लोगों को लाभ मिलेगा, उतनी ही उस व्‍यक्ति की ख्‍याति बढ़ती है।

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संस्‍कारी लोग

आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि संस्‍कारी और विनम्र व्‍यक्ति सभी लोगों को पसंद आते हैं। ये अपने संस्‍कार और विनम्र स्‍वाभाव से दूसरे लोगों को भी प्रेरणा देने का कार्य करते हैं। ऐसे लोग जहां भी जाते हैं अपनी अच्‍छाई को दूसरे लोगों में बांटते हैं। लिहाजा ऐसे लोगों को भी खुद को कभी किसी सीमा में कभी भी बांधकर नहीं रहना चाहिए। ऐसे लोगों के लिए जीवन में कुछ भी पाना असंभव नहीं होता है। ऐसे लोग अगर अपनी सीमाएं तोड़ दें तो आसानी से अपने लक्ष्‍य को पा सकते हैं।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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