Adhik Maas 2023 Daan: अधिक मास में क्या दान कर सकते हैं, देखें पूरी 32 चीजों की लिस्ट

मान्यताओं के अनुसार अधिक मास में नामकरण संस्कार, विवाह संस्कार, गृह प्रवेश, आदि कार्य करना वर्जित होता है। लेकिन दान-पुण्य के कार्यों के लिए ये पुरुषोत्तम मास (Purushottam Maas Daan) सबसे शुभ माना जाता है। जानिए अधिक मास में क्या दान करना चाहिए (Adhik Maas Me Kya Daan Karna Chaiye)।

adhik maas daan list

Adhik Maas Me Kya Daan Karna Chaiye, Purushottam Maas Daan List 2023

Adhik Maas Daal List 2023: 18 जुलाई से अधिक मास लग गया है और इसकी समाप्ति 16 अगस्त को होगी (Adhik Maas End Date 2023)। अधिकमास के कारण ही इस बार सावन महीना 59 दिनों का है। बता दें इस महीने को मलमास (Malmas Daan) और पुरुषोत्तम मास (Purushottam Maas Me Kya Daan Kare) भी कहते हैं। इस मास के देवता भगवान कृष्ण माने जाते हैं। मान्यता अनुसार अधिक मास में भगवान विष्णु, महादेव, श्री कृष्ण, गणेश जी की पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही ये महीना दान के लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना गया है। जानिए अधिक मास में किन चीजों का दान करना चाहिए (Adhik Maas Daan Samagri)।

अधिक मास की कहानी से जानिए कैसे ये बना पुरुषोत्तम मास

अधिक मास में क्या दान करना चाहिए 2023 (Adhik Maas Me Kya Daan Karna Chaiye 2023)

  • घी से भरा चांदी का दीपक
  • सोना या कांसे का पात्र
  • कच्चा चना
  • गुड़
  • तुवर दाल
  • खारेक
  • लाल चंदन
  • मिठाई
  • कपूर
  • केवड़े की अगरबत्ती
  • केसर
  • कस्तूरी
  • गोरेचन
  • शंख
  • गरूड़ घंटी
  • मोती
  • हीरा
  • पन्ना रत्न
  • माल पुआ
  • खीर भरा पात्र
  • दही
  • सूती वस्त्र
  • रेशमी वस्त्र
  • ऊनी वस्त्र
  • तिल गुड़
  • चावल
  • गेहूं
  • दूध
  • कच्ची खिचड़ी
  • शक्कर व शहद
  • तांबे का पात्र
  • चांदी का नन्दीगण

अधिक मास में क्या नहीं करना चाहिए (Adhik Maas Me Kya Nahi Karna Chaiye)

  • शादी विवाह
  • सगाई
  • घर का निर्माण
  • संपत्ति से जुड़ा कोई बड़ा काम
  • संपत्ति को खरीदना या बेचना
  • कर्णवेध संस्कार
  • मुंडन संस्कार
  • नए काम की शुरुआत

अधिक मास को पुरुषोत्तम मास क्यों कहते हैं? (Why Adhik Maas Is Called Purushottam Maas?)

पौराणिक कथाओं के अनुसार हर महीने के लिए एक अधिपति देवता को निर्धारित किया गया है लेकिन जब अधिक मास की बात आई तो उसे किसी भी देवता ने अपनाने से इंकार कर दिया। कहते हैं तब भगवान कृष्ण ने अधिक मास को स्वीकारा था। भगवान कृष्ण का एक नाम पुरुषोत्तम भी है इसलिए अधिक मास को पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। इसी कारण के चलते अधिक मास में भगवान विष्णु और कृष्ण भगवान की पूजा की जाती है।

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