Adhik Maas Katha: भगवान विष्णु की कृपा दिलाएगी अधिक मास की ये पावन कथा

Adhik Maas Ki Katha In Hindi (Purushottam Maas Ki Katha): अधिक मास की इस पावन कथा को पढ़ने से भगवान विष्णु और श्री कृष्ण का मिलेगा आशीर्वाद। अधिक मास की कथा से जानिए ये कैसे बना पुरुषोत्तम मास।

adhik maas katha

Adhik Maas Ki Katha In Hindi

Adhik Maas Katha In Hindi (Purushottam Maas Ki Katha): अधिक मास चल रहा है जिसकी समाप्ति 16 अगस्त को होगी। ये महीना भगवान विष्णु और श्री कृष्ण की पूजा के लिए खास माना जाता है। ऐसे में इस महीने आने वाली एकादशी का भी विशेष महत्व माना गया है। अधिक मास यानी पुरुषोत्तम मास दान-पुण्य, जप, तप का महीना होता है इस दौरान शादी-ब्याह, मुंडन संस्कार जैसे शुभ कार्य वर्जित होते हैं। कहते हैं स्वयं भगवान कृष्ण ने अधिक मास को वरदान दिया था कि जो भी व्यक्ति इस महीने में अच्छे कर्म करेगा उसे उसके कर्मों का कई गुना अधिक फल प्राप्त होगा। यहां जानिए अधिक मास की कथा (Adhik Maas Ki Kahani)।

अधिक मास की कथा (Adhik Maas Ki Kahani In Hindi)

अधिकमास की कथा अनुसार- सभी बारह महीनों के अलग-अलग स्वामी हैं लेकिन अधिकमास का कोई स्वामी नहीं होने के कारण इसे मलमास कहकर इसकी बड़ी निंदा होने लगी। जिससे अधिकमास को बड़ा दुख हुआ। इस बात से दु:खी मलमास श्रीहरि विष्णु के पास गया और उसने सारी बात भगवान को बता दी।

श्रीहरि मलमास को गोलोक लेकर गए जहां श्रीकृष्ण रहते थे। जब भगवान श्रीकृष्ण ने अधिकमास की बातें सुनीं तो उन्हें भी बड़ा दुख हुआ और उन्होंने उसे वरदान दिया कि आज से मैं ही तुम्हारा स्वामी हूं। जैसे मैं पुरुषोत्तम के नाम से विख्यात हूं वैसे ही तुम भी पुरुषोत्तम मास के नाम से जाने जाओगे। कहते हैं तभी से अधिकमास पुरुषोत्तम मास बन गया।

पुरुषोत्तम मास हर तीसरे साल में आता है। इस मास में जप, तप, दान करने से व्यक्ति को कई गुना अधिक पुण्यों की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार इस मास में श्रीकृष्ण, श्रीमद्भगवतगीता, श्रीराम कथा वाचन और विष्णु भगवान की उपासना बेहद फलदायी मानी जाती है। इस महीने में तुलसी पूजा का भी विशेष महत्व होता है।

अधिकमास में पुरुषोत्तम मास की कथा पढ़ना बेहद शुभ माना जाता है। इस पूरे महीने में सभी मांगलिक कार्य, शुभ और पितृ कार्य वर्जित माने जाते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि इस महीने में व्रत-उपवास, दान, यज्ञ, हवन और ध्यान करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और इस महीने में किया गया दान सौ गुना फल देता है। इस महीने में पवित्र नदियों में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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