Adhik Maas Ki Katha: भगवान विष्णु की विशेष कृपा दिलाएगी पुरुषोत्तम मास की ये व्रत कथा

Adhik Maas Katha, Kahani, Story, Mahatmaya (Purushottam Maas Vrat Katha): अधिक मास को ही मलमास (Malmas 2023) और पुरुषोत्तम मास कहा जाता है। ये महीना दान-पुण्य के कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। जानिए अधिक मास क्या होता है (Adhik Maas Kya Hota Hai), इस महीने में क्या कार्य वर्जित हैं और इसकी कहानी क्या है।

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Adhik Maas Ki Kahani, Purushottam Maas Katha: अधिक मास की कहानी

Adhik Maas Ki Kahani In Hindi (Purushottam Maas Ki Katha): अधिक मास 18 जुलाई से शुरू हो गया है। इस महीने में कई कार्य वर्जित होते हैं। जैसे शादी-ब्याह, मुंडन संस्कार और नए काम की शुरुआत इस महीने नहीं की जाती है। लेकिन दान-पुण्य के कार्यों के लिए ये महीना अत्यंत शुभ माना जाता है। स्वयं भगवान कृष्ण ने अधिक मास को वरदान दिया है कि जो व्यक्ति भी इस महीने में सच्चे मन से पुण्य कर्म करेगा उसे उसके कर्मों का तीन गुना अधिक फल प्राप्त होगा। यहां जानिए अधिक मास की कहानी।

अधिक मास में वर्जित कार्य

अधिक मास की कहानी/पुरुषोत्तम मास की कथा (Adhik Maas Katha In Hindi/Purushottam Maas Katha)

मलमास के पुरुषोत्तम मास बनने की कथा बड़ी ही रोचक है। उस कथा के अनुसार सभी बारह महीनों के अलग-अलग स्वामी हैं पर स्वामीविहीन होने के कारण अधिकमास को मलमास कहने से उसकी बड़ी निंदा होने लगी। जिससे मलमास को बड़ा कष्ट पहुंचा। इस बात से दु:खी होकर मलमास श्रीहरि विष्णु के पास गया और उसने अपना सारा दुःख विष्णु भगवान को बता दिया।

श्रीहरि उसे लेकर गोलोक पहुंचे। जहां श्रीकृष्ण विराजमान थे। भगवान श्रीकृष्ण ने मलमास की व्यथा जानकर उसे वरदान दिया कि आज से मैं तुम्हारा स्वामी हूं। इससे मेरे सभी दिव्य गुण तुम में समाविष्ट हो जाएंगे। जैसे मैं पुरुषोत्तम के नाम से विख्यात हूं वैसे ही तुम भी पुरुषोत्तम मास के नाम से जाने जाओगे।

शास्त्रों के अनुसार हर तीसरे साल में पुरुषोत्तम मास की उत्पत्ति होती है। इस मास के समय जप, तप, दान करने से व्यक्ति को अनंत पुण्यों की प्राप्ति होती है। इस मास में श्रीकृष्ण, श्रीमद्भगवतगीता, श्रीराम कथा वाचन और विष्णु भगवान की उपासना बेहद शुभ फलदायी मानी जाती है। इस माह में तुलसी अर्चना करने का विशेष महत्व बताया गया है।

पुरुषोत्तम मास की कथा पढ़ना या सुनना बेहद शुभ माना जाता है। इस पूरे महीने में धरती पर सोने, एक ही समय भोजन करने से बेहद शुभ फल प्राप्त होते हैं। इस महीने में सभी मांगलिक कार्य, शुभ और पितृ कार्य वर्जित माने जाते हैं।

शास्त्रों में बताया गया है कि इस माह में व्रत-उपवास, दान-पूजा, यज्ञ-हवन और ध्यान करने से मनुष्य के सारे पाप कर्क नष्ट हो जाते हैं। इस माह में किया गया दान सौ गुना फल देता है। इस महीने में धार्मिक तीर्थ स्थलों पर स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

जिस माह में सूर्य संक्रान्ति नहीं होती वह अधिक मास कहलाता है। पुरुषोत्तम मास में दीपदान, वस्त्र और श्रीमद्भागवत कथा ग्रंथ दान शुभ माना गया है। इस मास में दीपदान करने से धन-वैभव में वृद्धि होती है।

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