Adhik Maas Shivratri 2023: अधिक मास की शिवरात्रि कब है? जानिए जल चढ़ाने का मुहूर्त

Adhik Maas Shivratri 2023: 19 सालों बाद ऐसा अद्भुत संयोग बना है जब सावन में एक नहीं बल्कि दो शिवरात्रि पड़ी हैं। जिनमें से पहली शिवरात्रि हो चुकी है और अब सभी को अधिक मास की शिवरात्रि का इंतजार है। जानिए कब है सावन की दूसरी शिवरात्रि (Sawan Ki Dusri Shivratri 2023)।

adhik maas shivratri kab hai 2023

Adhik Maas Ki Shivratri 2023 Date And Time

Adhik Maas Ki Shivratri Kab Hai 2023: हिंदू पंचांग अनुसार शिवरात्रि हर महीने की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को पड़ती है। लेकिन सावन शिवरात्रि और महा शिवरात्रि (Maha Shivratri 2023 Date) का सबसे अधिक महत्व माना जाता है। महाशिवरात्रि फरवरी में आती है तो सावन शिवरात्रि सावन महीने में पड़ती है। सावन की पहली शिवरात्रि 15 जुलाई को पड़ चुकी है और दूसरी शिवरात्रि अगस्त (Shivratri August 2023 Date) में पड़ेगी। ये सावन अधिक मास की शिवरात्रि कहलाएगी। अधिक मास यानी मलमास (Malmas 2023) में पड़ने वाली शिवरात्रि भी बेहद खास मानी जाती है। इस दिन पूजा-अर्चना करने से महादेव के साथ-साथ भगवान विष्णु का भी आशीर्वाद मिलेगा। जानिए अधिक मास की शिवरात्रि कब है?

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अधिक मास की शिवरात्रि कब है (Adhik Maas Ki Shivratri 2023)

अधिक मास की शिवरात्रि 14 अगस्त दिन सोमवार को मनाई जाएगी। इस दिन शिवरात्रि की चतुर्दशी तिथि सुबह 10 बजकर 25 मिनट से शुरू हो जाएगी और इसकी समाप्ति 15 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 42 मिनट पर होगी। अब देखिए अधिक मास शिवरात्रि के दिन के शुभ मुहूर्त...

ब्रह्म मुहूर्त04:23 ए एम से 05:06 ए एम
अमृत काल 08:27 ए एम से 10:14 ए एम
अभिजित मुहूर्त11:59 ए एम से 12:52 पी एम
शिवरात्रि पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त12:04 ए एम, अगस्त 15 से 12:48 ए एम, अगस्त 15
सर्वार्थ सिद्धि योग11:07 ए एम से 05:50 ए एम, अगस्त 15
सावन शिवरात्रि अर्थ और महत्व (Shivratri Importance)

शिवरात्रि का अर्थ है शिव को समर्पित रात। धार्मिक मान्यताओं अनुसार जब सावन महीने में धरती की रक्षा के लिए महादेव ने समुद्र मंथन से निकले विष का पान कर लिया था तब वो विष उनके कंठ में जाकर रुक गया था। कंठ में मौजूद विष की गर्मी और जहरीले प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी देवताओं ने भगवान शिव का जल से अभिषेक शुरू किया। कहते हैं तभी से श्रावण के महीने में महादेव के जलाभिषेक की परंपरा की शुरुआत हुई। खासतौर से सावन की शिवरात्रि पर जलाभिषेक किया जाता है।

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