Ahoi Ashtami 2022 Star Rise Time Highlights: अहोई अष्टमी पर देर से निकलेगा चंद्रमा, जानें चंद्रोदय का सही समय
Ahoi Ashatami Vrat Katha In Hindi
अहोई अष्टमी की व्रत विधि (Ahoi Ashtami Vrat Vidhi)
- इस दिन सुबह जल्दी उठें और घर की सफाई कर स्नान कर लें।
- इसके बाद अहोई अष्टमी व्रत का संकल्प लें।
- मां पार्वती की पूजा करें।
- अहोई माता की पूजा करें। इसके लिए गेरू से दीवार पर अहोई माता के चित्र के साथ ही साही और उसके सात पुत्रों की तस्वीर भी बना लें।
- माता के समक्ष चावल की कटोरी, मूली, सिंघाड़ा आदि रखें।
- अष्टोई अष्टमी की व्रत कथा सुनें।
- सुबह पूजा के समय एक लोटे में पानी और उसके ऊपर करवे में पानी रखा जाता है। ध्यान रखें कि इसमें उपयोग किया जाने वाला करवा भी वही होना चाहिए जिसे आपने करवा चौथ में इस्तेमाल किया हो।
- शाम के समय दीवार पर बनाए गए चित्रों की पूजा करें।
- लोटे के पानी से शाम को चावल के साथ तारों को अर्घ्य दिया जाता है।
- अहोई पूजा में चांदी की अहोई बनाई जाती है, जिसे साही कहते हैं।
- साही की पूजा रोली, अक्षत, दूध व भात से की जाती है।
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त 2022 (Ahoi Ashtami Puja Muhurat 2022): अहोई अष्टमी व्रत इस बार 17 अक्टूबर को रखा जाएगा। पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 47 मिनट से शाम 7 बजकर 3 मिनट तक रहेगा। तारों को देखने का समय शाम 6 बजकर 11 मिनट का बताया जा रहा है। चन्द्रोदय समय रात 11 बजकर 21 मिनट का है।
Ahoi Mata Ki Aarti
अहोई अष्टमी की पूजा विधि, व्रत नियम, शुभ मुहूर्त, महत्व और सभी जरूरी बातें जानने के लिए जुड़े रहिए हमारे साथ।
इन चीजों से करें व्रत का पारण
व्रत के पारण के वक्त एक जल लें। इसके साथ एक डली गुड़ की लें। इसके अलावा मीठी और लाल रंग की चीजों से व्रत का पारण करना चाहिए।तारों को दिया जाता है अर्घ्य
अहोई अष्टमी में तारों को अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद ही व्रत संपन्न माना जाता है। इसके बाद व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन प्याज और लहसुन नहीं खाएं और न ही इसका खाने में इस्तेमाल करें।अहोई मां के साथ रखें साही की तस्वीर
अहोई माता की पूजा के दौरान अहोई मां की तस्वीर के साथ साही की भी तस्वीर जरूर रखें। ये एक कांटेदार स्तनपाई जीव होता है जो मां अहोई के पास बैठता है।अहोई अष्टमी पर चांद निकलने का समय
अहोई अष्टमी पर चन्द्रोदय समय रात 11 बजकर 21 मिनट का है। कुछ महिलाएं इस दिन चांद देखकर व्रत खोलती हैं।Ahoi Ashtami Vrat Me Kya Khaye अहोई अष्टमी व्रत में क्या खायें
व्रत के दौरान पूरे दिन भूखा रहना होता है, तो ऐसे में रात के समय हेल्दी चीजों को खाएं। व्रत खोलते समय अपनी थाली में सिंघाड़े जरूर रखें। आप पनीर की सब्जी बना सकती हैं। गांव मे गन्ने का प्रसाद चढ़ाया जाता है, इसके रस को आप अपनी थाली में जरूर शामिल करें। आप व्रत की कोई भी चीज खा सकती हैं।अहोई अष्टमी पर ऐसे करें तारों की पूजा
- सूर्यास्त के बाद तारे निकलने पर पूजा आरंभ करें।
- पूजा सामग्री में चांदी या सफेद धातु की अहोई और जल से भरा कलश होना चाहिए।
- साथ ही दूध, भात, हलवा, फूल, फल और दीप आदि भी होना चाहिए।
- सबसे पहले अहोई माता को रोली और पुष्प अर्पित करें। फिर माता के सामने दीपक जलाएं और पूजा आरंभ करें।
- अहोई माता को दूध और भात अर्पित करें।
- फिर हाथ में गेहूं के सात दाने और कुछ दक्षिणा लेकर अहोई माता की कथा सुनें।
- इसके बाद ये गेहूं के दाने और दक्षिणा अपनी सास या घर की किसी बड़ी महिला को देकर उनका आशीर्वाद लें।
- फिर चंद्रमा को अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण करें।
Star Rise Time Today Ahoi Ashtami: अहोई अष्टमी पर तारों को देखने का समय
तारों को देखने का समय शाम 6 बजकर 11 मिनट का बताया जा रहा है। चन्द्रोदय समय रात 11 बजकर 21 मिनट का है।अहोई माता को किस चीज का लगाएं भोग
इस दिन रोली, चावल और दूध से अहोई माता का पूजन किया जाता है। इसके बाद कलश में जल भरकर माताएं अहोई अष्टमी व्रत की कथा सुनती हैं। इस दौरान अहोई माता को पूरी और किसी मिठाई का भोग लगाया जाता है। इसके बाद रात में तारों को अर्घ्य देकर माताएं अन्न ग्रहण करती हैं। कई जगह इस व्रत में चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।Ahoi Ashtami Drawing अहोई अष्टमी का चित्र
अहोई अष्टमी 2022 के उपाय
- अगर संतान की शिक्षा, रोजगार व करियर में कोई बाधा आ रही हो तो अहोई अष्टमी के दिन अहोई माता को दूध भात और लाल फूल अर्पित करें।
- इसके बाद लाल पुष्प हाथ में लेकर संतान के अच्छे भविष्य के लिए प्रार्थना करें। फिर वह पुष्प अपनी संतान को संभालने के लिए दें।
- अपने हाथों से अपनी संतान को दूध भात खिलाएं।
Star Rise Time And Moon Rise Time Today Ahoi Ashtami 2022
अहोई अष्टमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 47 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 3 मिनट तक रहेगा। वहीं तारों को उदय होने का समय शाम 6 बजकर 11 मिनट का है। जबकि चन्द्रोदय समय रात 11 बजकर 21 मिनट का है।अहोई अष्टमी पूजा विधि: Ahoi Ashtami 2022 Puja Vidhi
- अहोई माता की आकृति दीवार पर बनाएं या बाजार से अहोई माता का बना बनाया चित्र भी ला सकते हैं।
- सूर्यास्त के बाद तारे निकलने पर पूजा आरंभ करें।
- पूजा सामग्री में चांदी या सफेद धातु की अहोई और जल से भरा कलश होना चाहिए।
- साथ ही दूध, भात, हलवा, फूल, फल और दीप आदि भी होना चाहिए।
- सबसे पहले अहोई माता को रोली और पुष्प अर्पित करें। फिर माता के सामने दीपक जलाएं और पूजा आरंभ करें।
- अहोई माता को दूध और भात अर्पित करें।
- फिर हाथ में गेहूं के सात दाने और कुछ दक्षिणा लेकर अहोई माता की कथा सुनें।
- इसके बाद ये गेहूं के दाने और दक्षिणा अपनी सास या घर की किसी बड़ी महिला को देकर उनका आशीर्वाद लें।
- फिर चंद्रमा को अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण करें।
Star Rise Time Today Ahoi Ashtami 2022: तारों के निकलने का समय
अहोई अष्टमी पर तारों को देखने का समय शाम 6 बजकर 11 मिनट का है। जबकि चन्द्रोदय समय रात 11 बजकर 21 मिनट का है।अहोई माता की आरती (Ahoi Mata Ki Aarti)
जय अहोई माता, जय अहोई माता!
तुमको निसदिन ध्यावत हर विष्णु विधाता। टेक।।
ब्राहमणी, रुद्राणी, कमला तू ही है जगमाता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत नारद ऋषि गाता।। जय।।
माता रूप निरंजन सुख-सम्पत्ति दाता।।
जो कोई तुमको ध्यावत नित मंगल पाता।। जय।।
तू ही पाताल बसंती, तू ही है शुभदाता।
कर्म-प्रभाव प्रकाशक जगनिधि से त्राता।। जय।।
जिस घर थारो वासा वाहि में गुण आता।।
कर न सके सोई कर ले मन नहीं धड़काता।। जय।।
तुम बिन सुख न होवे न कोई पुत्र पाता।
खान-पान का वैभव तुम बिन नहीं आता।। जय।।
शुभ गुण सुंदर युक्ता क्षीर निधि जाता।
रतन चतुर्दश तोकू कोई नहीं पाता।। जय।।
श्री अहोई माँ की आरती जो कोई गाता।
उर उमंग अति उपजे पाप उतर जाता।। जय।।
Ganesh Aarti Lyrics: गणेश जी की आरती
गणेश जी की आरतीजय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अहोई अष्टमी व्रत की पूजा सामग्री Ahoi Ashtami 2022 Puja Samagri
जल से भरा हुआ कलश, पुष्प, धूप-दीप, रोली, दूध-भात, मोती या चांदी के मोती, गेंहू, दक्षिणा (बायना), घर में बने 8 पूड़ी और 8 मालपुए आदि।शिव योग के बाद बन रहे हैं ये शुभ योग
सिद्ध योग: शिव योग के बाद प्रारंभ हो जाएगासर्वार्थ सिद्धि योग: 18 अक्टूबर को प्रात: 05:13 से प्रात: 06:23 तक
कैसे होता है अहोई अष्टमी व्रत का पारण?
अहोई अष्टमी माताओं के लिए बहुत विशेष माना गया है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है। विधान के अनुसार, इस दिन तारा दिखने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है।इस लिए भी किया जाता है अहोई अष्टमी का व्रत
अहोई अष्टमी का व्रत महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए करती हैं। अगर बच्चा बीमार रहता है तो यह व्रत करने से भी लाभ मिलता है। माना जाता है कि अगर माता-पिता दोनों यह व्रत करें तो और अच्छा है।अहोई अष्टमी पर इस मंत्र का जाप
अहोई अष्टमी से 'ॐ पार्वतीप्रियनंदनाय नमः' इस मंत्र का जाप 45 दिनों तक करें। हर दिन 11 माला का जाप करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।अहोई अष्टमी की पूजा सामग्री
अहोई अष्टमी पर पूजा के लिए अहोई माता की मूर्ति, सात्विक भोजन, मूली, चावल की कोटरी, पूजा रोली, दीपक, वस्त्र, बयाना, अक्षत, दूब, श्रीफल, पानी का कलश, माला, दूध व भात, श्रृंगार के सामान, कलावा, करवा, सिंघाड़े, फल और खीर ले आएं।Ahoi Ashtami 2022: ना पहनें अहोई अष्टमी पर इस रंग के कपड़े
मान्यताओं के अनुसार, अहोई अष्टमी का व्रत कर रही महिलाओं को इस दिन नीले और काले रंग के कपड़े नहीं पहनना चाहिए।कब होती है अहोई अष्टमी पर पूजा?
अहोई अष्टमी की पूजा संध्या में कथा सुनने के बाद तारों को अर्घ्य देकर पूर्ण मानी जाती है। पूजा के बाद चांदी की स्याहु माला पहनने का विधान बताया जाता है।अहोई माता की आरती (Ahoi Mata Ki Aarti)
जय अहोई माता, जय अहोई माता!तुमको निसदिन ध्यावत हर विष्णु विधाता। टेक।।
ब्राहमणी, रुद्राणी, कमला तू ही है जगमाता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत नारद ऋषि गाता।। जय।।
माता रूप निरंजन सुख-सम्पत्ति दाता।।
जो कोई तुमको ध्यावत नित मंगल पाता।। जय।।
तू ही पाताल बसंती, तू ही है शुभदाता।
कर्म-प्रभाव प्रकाशक जगनिधि से त्राता।। जय।।
जिस घर थारो वासा वाहि में गुण आता।।
कर न सके सोई कर ले मन नहीं धड़काता।। जय।।
तुम बिन सुख न होवे न कोई पुत्र पाता।
खान-पान का वैभव तुम बिन नहीं आता।। जय।।
शुभ गुण सुंदर युक्ता क्षीर निधि जाता।
रतन चतुर्दश तोकू कोई नहीं पाता।। जय।।
श्री अहोई माँ की आरती जो कोई गाता।
उर उमंग अति उपजे पाप उतर जाता।। जय।।
अहोई अष्टमी पर क्या है अहोई माला पहनने का महत्व?
अहोई अष्टमी का हिंदू धर्म में खासा महत्व है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान के लिए स्याहु माला धारण करती हैं। नियम के अनुसार, इस माला को दिवाली तक पहनना चाहिएअहोई अष्टमी व्रत का महत्व
अहोई अष्टमी को कृष्ण अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान के लिए व्रत रखती हैं, ताकि संतान के जीवन से हर बाधा दूर हो जाए। मान्यता है इस व्रत को रखने से निसंतान दंपत्ति को संतान सुख की प्राप्ति होती है।अहोई अष्टमी पर सूर्य देव बदल रहे हैं राशि
अहोई अष्टमी पर सूर्य देव अपनी नीच राशि तुला में प्रवेश कर रहे हैं। इसलिए आज तुला संक्रांति भी मनाई जाएगी।अहोई अष्टमी पर तारों को देखने का समय (Ahoi Ashtami 2022)
तारों को देखने का समय शाम 6 बजकर 11 मिनट का बताया जा रहा है। चन्द्रोदय समय रात 11 बजकर 21 मिनट का है।अहोई अष्टमी की पूजा के नियम: Ahoi Ashtami 2022
- अहोई अष्टमी की पूजा कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन प्रदोषकाल मे की जाती है।
- इस दिन महिलाएं पूरे दिन अन्न और जल कुछ भी ग्रहण नहीं करती हैं और अहोई भगवती की पूजा करती हैं।
- ये व्रत अपनी संतान की दीर्घायु और निरोगी काया की कामना से रखा जाता है।
- इस दिन व्रत रखने वाली माताएं सूर्योदय से पहले जगती हैं और उसके बाद स्नान करके अहोई माता की पूजा करती हैं।
- मां अहोई की तस्वीर के साथ साही की भी तस्वीर जरूर रखें।
- साही कांटेदार स्तनपाई जीव होता है जो मां अहोई के पास बैठता है।
अहोई पूजा विधि:
जहां पूजा कर रहे हैं उस स्थान को गंगा जल से स्वच्छ करें। फिर इसमें आंटे की चौकोर रंगोली बनाएं। मां की तस्वीर रखें और तस्वीर के पास एक कलश भी रखें। ध्यान रखें कि कलश का किनारा हल्दी से रंगा होना चाहिए और साथ ही कलश ध्रुव घास से भरा होना चाहिए। उसके बाद अहोई माता की कथा सुनें और माता को खीर और पैसा चढ़ाएं। फिर शाम को तारों को अर्घ्य दें। इस पूजा में चांदी की अहोई बनाने का विधान है जिसे स्याहु या साही कहते हैं।अहोई अष्टमी 2022 पूजा मुहूर्त (Ahoi Ashtami 2022 Date and Time)
अहोई अष्टमी व्रत 17 अक्टूबर सोमवार के दिन रखा जाएगा।पूजा का शुभ मुहूर्त 05:47 PM से 07:03 PM तक रहेगा।तारों को देखने का समय शाम 06 बजकर 11 मिनट का है।अहोई अष्टमी के दिन चन्द्रोदय समय 11:21 PM है।अष्टमी तिथि का प्रारम्भ 17 अक्टूबर को सुबह 09:29 AM पर होगा।अष्टमी तिथि की समाप्ति 18 अक्टूबर को 11:57 AM पर होगी।अहोई अष्टमी की पूजा विधि (Ahoi Ashtami 2022 Puja Vidhi)
- माता दुर्गा और अहोई माता का का स्मरण करते हुए धूप-दीप जलाएं।
- पूजा स्थल पर उत्तर-पूर्व दिशा या ईशान कोण में चौकी की स्थापना करें।
- चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं।
- माता अहोई की प्रतिमा स्थापित करें।
- अब गेंहू के दानों से चौकी के मध्य में एक ढेर बना लें, इस पर पानी से भरा एक तांबे का कलश स्थापित करें।
- इसके बाद माता अहोई के चरणों में मोती की माला या फिर चांदी के मोती रखें।
- चौकी पर धूप-दीप जलाएं और अहोई माता जी को पुष्प अर्पित करें।
- फिर माता को रोली, अक्षत, दूध और भात अर्पित करें।
- पूजा स्थान पर 8 पूड़ी, 8 मालपुए एक कटोरी में रखें।
- इसके बाद हाथ में गेहूं के सात दाने और फूल लेकर अहोई माता की कथा पढ़ें।
- कथा पूरी होने पर हाथ में लिए गेहूं के दाने और फूल माता को अर्पित कर दें।
- इसके बाद माता को चढ़ाई गई मोती की माला या चांदी के मोती को एक साफ डोरी या कलावा में पिरोकर गले में पहन लें।
- फिर तारों और चन्द्रमा को अर्घ्य देकर हल्दी, कुमकुम, अक्षत, पुष्प और भोग के द्वारा इनकी पूजा करें।
- पूजा में रखी गई दक्षिणा अपनी सास या घर की किसी बुजुर्ग महिला को दे दें।
- अंत में जल ग्रहण करके व्रत का पारण करें।
गणेश जी की आरती Ganesh Ji KI Aarti
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे,
मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे,
संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो,
शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो,
जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
अहोई अष्टमी व्रत की पूजा सामग्री: Ahoi ashtami 2022 puja samagri
जल से भरा हुआ कलश, पुष्प, धूप-दीप, रोली, दूध-भात, मोती या चांदी के मोती, गेंहू, दक्षिणा (बायना), घर में बने 8 पूड़ी और 8 मालपुए आदि।ये मान्यता है प्रचलित
अहोई अष्टमी का व्रत वैसे तो संतान की दीर्घायु के लिए रखा जाता है। संतान में बेटा और बेटी दोनों ही आते हैं परंतु कुछ रूढ़ियां लम्बे समय से चली आ रही हैं, जिसमें ये माना जाता है कि अहोई अष्टमी का व्रत सिर्फ पुत्रों की दिर्घायु के लिए रखा जाता है।आसमान में तारा देखकर करें व्रत का पारण
संतान सुख, बच्चों की दीर्घायु और उनके उज्जवल भविष्य के लिए महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। इस रात आसमान में तारा देखकर व्रत का पारण करती हैं। कई महिलाएं चांद देखकर भी पारण करती हैं। इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती को दूध-भात का भोग लगाती हैं। माता की पूजा में सफेद फूल अर्पित की जाती है।अहोई अष्टमी व्रत कैसे किया जाता है?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कार्तिक माह की अष्टमी तिथि को पढ़ने वाला अहोई अष्टमी व्रत महिलाएं अपने संतान की दीर्घायु और उज्ज्वल भविष्य के लिए करती हैं। इस व्रत का पारण तारों को देख कर किया जाता है। तारों की पूजा करने के बाद उन्हें अर्घ्य देकर व्रती महिलाएं अपना व्रत संपन्न करते हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से महिलाओं की मनोकामना जल्द ही पूरी होती है।नोट कर लें अहोई अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व
आज यानी 17 अक्टूबर को अहोई अष्टमी का व्रत शुरू हो गया है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है। महिलाएं इस निर्जला उपवास रखती हैं। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है। पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 57 मिनट से रात 07 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। इस व्रत को करने से संतान प्राप्ति की कामना पूरी होती है।अहोई अष्टमी के दिन भूलकर न करें ये गलतियां
अहोई अष्टमी का व्रत संतान की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है। आइए जानते हैं इस दिन किन गलतियों के करने से बचना चाहिए। अहोई अष्टमी के दिन व्रत रखने वाली महिलाएं काले वस्त्र पहनकर पूजा न करें। व्रत वाले दिन तामसिक भोजन न करें। घर में सात्विक भोजन बनाए। व्रत के दौरान किसी भी नुकीली और धारीधार वस्तु का इस्तेमाल न करें। इसके अलावा व्रत करने वाली महिलाएं दिन में नहीं सोती है। किसी को भी किसी तरह के अपशब्द न बोले।अहोई अष्टमी के शुभ मुहूर्त, चंद्रोदय और पारण का समय
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। ये व्रत कल यानी 17 अक्टूबर को रखा जाएगा। इस बार अहोई अष्टमी पर कई शुभ योग साथ में बन रहे हैं। अष्टमी तिथि की शुरुआत 17 अक्टूबर को सुबह 09 बजकर 29 मिनट पर होगी। वहीं अष्टमी तिथि समाप्त 18 अक्टूबर 2022 को 11 बजकर 57 मिनट पर होगी।पूजा का शुभ मुहूर्त - 17 अक्टूबर को शाम 05 बजे से शाम 07 बजकर 05 मिनट तक है।तारों को देखने का समय- शाम 06 बजकर 13 मिनट पर है।चंद्रोदय का समय- 17 अक्टूबर रात 11 बजकर 124 मिनट परपारण का समयअगर आप तारों को देखकर व्रत खोलती हैं तो शाम 06 बजकर 13 मिनट पर पारण कर सकती हैं। वहीं, कुछ महिलाएं चांद को अर्घ्य देकर पारण करती हैं, वो रात 11 बजकर 24 मिनट पर अपना व्रत खोलेंगी।© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited