Ahoi Ashtami 2022 Moon Rise Time: अहोई अष्टमी पर तारों को देखने के लिये सांझ का समय और विधि
Ahoi Ashtami 2022 Date Kab Hai, Time, Puja Muhurat: अहोई अष्टमी व्रत महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु के लिए रखती हैं। इस दिन अहोई माता के साथ-साथ स्याही माता की भी पूजा का विधान है। ये व्रत कार्तिक माह में दिवाली (Diwali) से आठ दिन पहले किया जाता है।
Ahoi Ashtami 2022 Date, Timings: अहोई पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि, जानें यहां।
- अहोई की पूजा कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन प्रदोषकाल मे की जाती है।
- इस दिन महिलाएं अन्न और जल ग्रहण नहीं करती और अहोई भगवती की पूजा करती हैं।
- माताएं ये व्रत अपनी संतान की दीर्घायु और निरोगी काया की कामना से करती हैं।
Ahoi Ashtami 2022 Date, Time, Puja Muhurat: अहोई अष्टमी का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। इस दौरान माताएं अपनी संतानों की दीर्घायु और उनके खुशहाल जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। ये व्रत एक मां का अपनी संतान के प्रति प्रेम और मोह दर्शाता है। कई निःसंतान महिलाएं भी संतान कामना के लिए ये व्रत रखती हैं। इस दिन अहोई माता और स्याही माता की पूजा की जाती है। ये पर्व विशेष रुप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार ये व्रत महिलाओं द्वारा अपने पुत्र को भी प्रकार की अनहोनी से बचाने के लिए किया जाता है। जानिए इस व्रत की महिमा और पूजा का शुभ मुहूर्त।
अहोई अष्टमी 2022 पूजा मुहूर्त (Ahoi Ashtami 2022 Date and Time)
- अहोई अष्टमी व्रत 17 अक्टूबर सोमवार के दिन रखा जाएगा।
- पूजा का शुभ मुहूर्त 05:47 PM से 07:03 PM तक रहेगा।
- तारों को देखने का समय शाम 06 बजकर 11 मिनट का है।
- अहोई अष्टमी के दिन चन्द्रोदय समय 11:21 PM है।
- अष्टमी तिथि का प्रारम्भ 17 अक्टूबर को सुबह 09:29 AM पर होगा।
- अष्टमी तिथि की समाप्ति 18 अक्टूबर को 11:57 AM पर होगी।
अहोई अष्टमी की पूजा के नियम:
- अहोई अष्टमी की पूजा कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन प्रदोषकाल मे की जाती है।
- इस दिन महिलाएं पूरे दिन अन्न और जल कुछ भी ग्रहण नहीं करती हैं और अहोई भगवती की पूजा करती हैं।
- ये व्रत अपनी संतान की दीर्घायु और निरोगी काया की कामना से रखा जाता है।
- इस दिन व्रत रखने वाली माताएं सूर्योदय से पहले जगती हैं और उसके बाद स्नान करके अहोई माता की पूजा करती हैं।
- मां अहोई की तस्वीर के साथ साही की भी तस्वीर जरूर रखें।
- साही कांटेदार स्तनपाई जीव होता है जो मां अहोई के पास बैठता है।
अहोई पूजा विधि: जहां पूजा कर रहे हैं उस स्थान को गंगा जल से स्वच्छ करें। फिर इसमें आंटे की चौकोर रंगोली बनाएं। मां की तस्वीर रखें और तस्वीर के पास एक कलश भी रखें। ध्यान रखें कि कलश का किनारा हल्दी से रंगा होना चाहिए और साथ ही कलश ध्रुव घास से भरा होना चाहिए। उसके बाद अहोई माता की कथा सुनें और माता को खीर और पैसा चढ़ाएं। फिर शाम को तारों को अर्घ्य दें। इस पूजा में चांदी की अहोई बनाने का विधान है जिसे स्याहु या साही कहते हैं।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें
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