Radha Kund: राधा कुंड में स्नान कर श्री कृष्ण ने किया था गौ हत्या का प्रायश्चित, जानिए पौराणिक कथा

Radha Kund snan: हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा कुंड में स्नान करने के बड़ा महत्व बताया जाता है। ऐसा कहते हैं कि इस कुंड में स्नान करने से दंपत्ति को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। जानिए इस कुंड का इतिहास और महत्व।

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Radha Kund Snan: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हर साल अहोई अष्टमी मनाई जाती है। इस दिन राधा कुंड में आस्था की डुबकी लगाने से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। राधा कुंड में स्नान के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। ऐसी मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण अष्टमी पर रात 12 बजे राधा कुंड में स्नान करने से दंपत्ति का भाग्योदय होता है। जो लोग संतान से वंचित रह जाता हैं या जिन्हें पुत्र की प्राप्ति नहीं होती है, राधा कुंड में स्नान करने के बाद उनकी सारी मनोकामानाएं पूरी हो जाती हैं।

कहां है राधा कुंड?

मथुरा से करीब 26 किलोमीटर दूर गोवर्धन परिक्रमा में राधा कुंड नाम की एक जगह है। ऐसा कहते हैं कि भगवान श्री कृष्ण यहां गौचारण करते थे। एक बार अरिष्टासुर नाम के राक्षस ने गाय के बछड़े का रूप धारण करके भगवान श्री कृष्ण पर हमला कर दिया। लेकिन श्रीकृष्ण के सामने उसकी काली शक्तियों का जोर नहीं चल पाया और अंतत: श्री कृष्ण ने उसका वध कर दिया।

ये है राधा कुंड की कथा

ऐसा कहते हैं कि राधा कुंड पहले अरिष्टासुर की नगरी थी, जिसका नाम अरीध वन था। अरिष्टासुर के अत्याचरों से बृजवासी काफी तंग आ चुके थे और इसी कारण श्री कृष्ण ने उसका वध कर दिया था। चूंकि अरिष्टासुर ने गाय का रूप धारण कर रखा था, इसलिए श्री कृष्ण गौवंश हत्या के पाप के भागीदार बन गए। इससे प्रायश्चित करने के लिए श्रीकृष्ण ने अपनी बांसुरी से एक कुंड खोदा और उसमें स्नान किया। इसके ठीक बगल में ही राधा जी ने भी अपने कंगन से एक कुंड खोदा और उसमें स्नान किया।

श्रीकृष्ण के इस कुंड को श्याम कुंड और राधा जी के कुंड को राधा कुंड के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि कार्तिक कृष्ण अष्टमी को राधा कुंड में आस्था की डुबकी लगाने से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। इसलिए यहां हर साल स्नान करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।

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