Star Rise Time Today Ahoi Ashtami 2023: अहोई अष्टमी पर तारों को अर्घ्य देने का सही समय और विधि, यहां देखें
Star Rise Time Today And Ahoi Mata Ki Aarti: अहोई अष्टमी पर कुछ लोग तारों की पूजा कर अपना व्रत पूरा करते हैं तो कुछ चंद्रमा की पूजा कर व्रत संपन्न करते हैं।
Star Rise Time Today: अहोई अष्टमी पर तारों के निकलने का समय
Ahoi Ashtami 2023 Moon Rise And Star Rise Time Today: अहोई अष्टमी व्रत तारों को देखकर खोला जाता है। इस पूरे दिन माताएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। शाम में शुभ मुहूर्त में अहोई माता की पूजा करती हैं। फिर तारों को अर्घ्य दिया जाता है। कई लोग इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलते हैं। अहोई पूजा में चांदी की अहोई बनाने की परंपरा है जिसे स्याहु कहते हैं। जानिए आज कितने बजे आसमान में दिखाई देंगे तारे और किस समय निकलेगा चंद्रमा।
Star Rise Time Today On Ahoi Ashtami 2023
कई महिलाएं अहोई अष्टमी पर तारों को देखकर अपना व्रत खोलती हैं। तो पंचांग अनुसार इस बार अहोई अष्टमी पर तारों के उगने का समय शाम 05 बजकर 59 मिनट का है।
Ahoi Ashtami 2023 Moon Rise Time
अहोई अष्टमी के दिन चंद्रमा रात 12 बजे के बाद दिखाई देगा। इससे पहले अहोई अष्टमी व्रत की पूजा संपन्न कर लें।
अहोई अष्टमी पूजा विधि
- अहोई माता की आकृति दीवार पर बनाएं या बाजार से अहोई माता का बना बनाया चित्र भी ला सकते हैं।
- सूर्यास्त के बाद तारे निकलने पर पूजा आरंभ करें।
- पूजा सामग्री में चांदी या सफेद धातु की अहोई और जल से भरा कलश होना चाहिए।
- साथ ही दूध, भात, हलवा, फूल, फल और दीप आदि भी होना चाहिए।
- सबसे पहले अहोई माता को रोली और पुष्प अर्पित करें। फिर माता के सामने दीपक जलाएं और पूजा आरंभ करें।
- अहोई माता को दूध और भात अर्पित करें।
- फिर हाथ में गेहूं के सात दाने और कुछ दक्षिणा लेकर अहोई माता की कथा सुनें।
- इसके बाद ये गेहूं के दाने और दक्षिणा अपनी सास या घर की किसी बड़ी महिला को देकर उनका आशीर्वाद लें।
- फिर चंद्रमा को अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण करें।
अहोई माता की आरती (Ahoi Mata Ki Aarti)
जय अहोई माता, जय अहोई माता!
तुमको निसदिन ध्यावत हर विष्णु विधाता। टेक।।
ब्राहमणी, रुद्राणी, कमला तू ही है जगमाता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत नारद ऋषि गाता।। जय।।
माता रूप निरंजन सुख-सम्पत्ति दाता।।
जो कोई तुमको ध्यावत नित मंगल पाता।। जय।।
तू ही पाताल बसंती, तू ही है शुभदाता।
कर्म-प्रभाव प्रकाशक जगनिधि से त्राता।। जय।।
जिस घर थारो वासा वाहि में गुण आता।।
कर न सके सोई कर ले मन नहीं धड़काता।। जय।।
तुम बिन सुख न होवे न कोई पुत्र पाता।
खान-पान का वैभव तुम बिन नहीं आता।। जय।।
शुभ गुण सुंदर युक्ता क्षीर निधि जाता।
रतन चतुर्दश तोकू कोई नहीं पाता।। जय।।
श्री अहोई माँ की आरती जो कोई गाता।
उर उमंग अति उपजे पाप उतर जाता।। जय।।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें
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