Tara Kab Niklega Aaj Live Updates: अहोई अष्टमी पर तारा कब निकलेगा, यहां जानें अहोई व्रत की पूजा विधि
Ahoi Ashtami 2023 Tara Kab Niklega, Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Vrat Katha, Aarti: अहोई अष्टमी पर्व कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ता है। इस दिन महिलाएं तारों के उदय होने के बाद पूजा करती हैं।
Ahoi Ashtami 2023 Puja Muhurat (अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त 2023)
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त - 5 नवंबर की शाम 05:34 से 06:53 तक
तारों को देखने का समय - 5 नवंबर को 05:59 PM पर
अहोई अष्टमी के दिन चन्द्रोदय समय - 12:04 AM (6 नवंबर 2023)
अष्टमी तिथि प्रारम्भ - 05 नवम्बर 2023 को 12:59 AM बजे
अष्टमी तिथि समाप्त - 06 नवम्बर 2023 को 03:18 AM बजे
Ahoi Ashtami Puja Vidhi (अहोई अष्टमी व्रत की पूजन विधि)
-अहोई अष्टमी के दिन सुबह-सुबह स्नान कर लें और स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें।
-फिर गेरु से अहोई माता का चित्र बनाएं या आप चाहें तो बाज़ार से भी बना बनाया अहोई माता का चित्र भी ला सकते हैं।
-सूर्यास्त के बाद तारे निकलने पर अहोई माता की पूजा आरंभ करें।
-पूजन में जल से भरा एक कलश रखें। सफेद धातु या चांदी की अहोई के साथ फूल, उबले हुए चावल, दूध, हलवा और घी का दीपक रखें।
-अहोई माता को रोली से तिलक लगाएं और फिर उन्हें फूल अर्पित करें। पूजा की शुरुआत में घी का दीपक जलाएं।
-फिर अहोई माता को दूध और उबले हुए चावल अर्पित करें।
-फिर गेहूं के सात दाने और दक्षिणा स्वरूप कुछ पैसे अपने हाथ में लें और अहोई अष्टमी की व्रत कथा सुनें।
-पूजा संपन्न होने के बाद गेहूं के दाने और दक्षिणा अपनी सास को देकर उनका आशीर्वाद लें। इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने व्रत का पारण करें।
Laxmi Ji Ki Aarti: लक्ष्मी जी की आरती
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं,नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि ।
हरि प्रिये नमस्तुभ्यं,
नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥
पद्मालये नमस्तुभ्यं,
नमस्तुभ्यं च सर्वदे ।
सर्वभूत हितार्थाय,
वसु सृष्टिं सदा कुरुं ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥
उमा, रमा, ब्रम्हाणी,
तुम ही जग माता ।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
दुर्गा रुप निरंजनि,
सुख-संपत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता,
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
तुम ही पाताल निवासनी,
तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी,
भव निधि की त्राता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
जिस घर तुम रहती हो,
ताँहि में हैं सद्गुण आता ।
सब सभंव हो जाता,
मन नहीं घबराता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
तुम बिन यज्ञ ना होता,
वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव,
सब तुमसे आता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
शुभ गुण मंदिर सुंदर,
क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन,
कोई नहीं पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
महालक्ष्मी जी की आरती,
जो कोई नर गाता ।
उँर आंनद समाता,
पाप उतर जाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥
आज तारे निकलने का टाइम
कई महिलाएं अहोई अष्टमी पर तारों को देखकर अपना व्रत खोलती हैं। पंचांग अनुसार इस बार अहोई अष्टमी पर तारों के उगने का समय शाम 05 बजकर 59 मिनट का था। लेकिन बादल के कारण तारे दिखने में देरी हो सकती है।Ahoi Ashtami 2023 Moon Rise Time
अहोई अष्टमी के दिन चंद्रमा रात 12 बजे के बाद दिखाई देगा। इससे पहले अहोई अष्टमी व्रत की पूजा संपन्न कर लें।Ahoi Ashtami Moon Rise Time: चंद्रोदय समय
चंद्रोदय समय - प्रात: 12.02, 6 नवंबर (अहोई अष्टमी का चंद्रमा देर से उदित होता है)Ahoi Ashtami star rise time lo: अहोई अष्टमी तारा दर्शन समय
5 नवंबर को अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त शाम 5:35 बजे से शुरू होगा और शाम 6:52 बजे तक, कुल 1 घंटा 18 मिनट तक रहेगा।Ahoi Ashtami Puja Vidhi:अहोई अष्टमी पूजा विधि
अहोई अष्टमी के दिन सुबह व्रत रखने वाली महिलाएं जल्दी उठकर स्नान कर लें। उसके बाद पूजाघर को गंगाजल छिड़ककर पवित्र कर लें। फिर शुभ दिशा देखकर दीवार पर अहोई माता का चित्र बना लें और यदि चित्र नहीं बना सकते हैं और बाजार चित्र लाकर दीवार पर लगा दें। उसके बाद शाम के अहोई माता की पूजा करें और उन्हें हलवा, पूरी का भोग लगाएं। फिर व्रत कथा पढ़ें और फिर तारों के निकलने की प्रतीक्षा करें। फिर तारों को अर्घ्य देने के बाद इस व्रत का पारण करें। अहोई अष्टमी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती को दूध भात का भोग लगाना चाहिए और शाम को पीपल के पेड़ पर दीपक जलाना चाहिए।अहोई अष्टमी व्रत कथा (Ahoi Ashtami Vrat Katha)
प्राचीन काल में किसी नगर में एक साहूकार रहता था। उसके सात लड़के थे। दीपावली से पहले साहूकार की स्त्री घर की लीपापोती हेतु मिट्टी लेने खदान में गई और कुदाल से मिट्टी खोदने लगी। दैवयोग से उसी जगह एक सेह की मांद थी। सहसा उस स्त्री के हाथ से कुदाल बच्चे को लग गई जिससे सेह का बच्चा तत्काल मर गया। अपने हाथ से हुई हत्या को लेकर साहूकार की पत्नी को बहुत दुख हुआ परन्तु अब क्या हो सकता था! वह शोकाकुल पश्चाताप करती हुई अपने घर लौट आई।कुछ दिनों बाद उसका बेटे का निधन हो गया। फिर अकस्मात् दूसरा, तीसरा और इस प्रकार वर्ष भर में उसके सभी बेटे मर गए। महिला अत्यंत व्यथित रहने लगी। एक दिन उसने अपने आस-पड़ोस की महिलाओं को विलाप करते हुए बताया कि उसने जानबूझ कर कभी कोई पाप नहीं किया। हाँ, एक बार खदान में मिट्टी खोदते हुए अंजाने में उसके हाथों एक सेह के बच्चे की हत्या अवश्य हुई है और तत्पश्चात उसके सातों बेटों की मृत्यु हो गई।यह सुनकर पास-पड़ोस की वृद्ध औरतों ने साहूकार की पत्नी को दिलासा देते हुए कहा कि यह बात बताकर तुमने जो पश्चाताप किया है उससे तुम्हारा आधा पाप नष्ट हो गया है। तुम उसी अष्टमी को भगवती माता की शरण लेकर सेह और सेह के बच्चों का चित्र बनाकर उनकी अराधना करो और क्षमा-याचना करो। ईश्वर की कृपा से तुम्हारा पाप धुल जाएगा।साहूकार की पत्नी ने वृद्ध महिलाओं की बात मानकर कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को उपवास व पूजा-याचना की। वह हर वर्ष नियमित रूप से ऐसा करने लगी। तत्पश्चात् उसे सात पुत्र रत्नों की प्राप्ती हुई। तभी से अहोई व्रत की परम्परा प्रचलित हो गई।Ahoi Ashtami Star Timing: अहोई अष्टमी तारा दर्शन समय
5 नवंबर को अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त शाम 5:35 बजे से शुरू होगा और शाम 6:52 बजे तक, कुल 1 घंटा 18 मिनट तक रहेगा।अहोई अष्टमी का व्रत कैसे खोला जाता है?
अहोई अष्टमी का व्रत तारे देखकर ही खोला जाता है। इसलिए व्रत वाले दिन बिना तारों को देखकर कुछ न खाएं। बिना तारे देखे कुछ खाने पर आपका व्रत पूरा नहीं मान जाएगा।Ahoi Ashtami Puja Samagri ( अहोई अष्टमी पूजा सामग्री)
शाम को माता के सामने दिया जलाते हैं और पूजा का सारा सामान (पूरी, मूली, सिंघाड़े, पूए, चावल और पका खाना) पंडित जी या घर के बड़ों को दिया जाता है। अहोई माता का कैलंडर दिवाली तक लगा रहना चाहिए।Syau Mata Ke Kahani: स्याउ माता की कहानी
प्राचीन काल में किसी नगर में एक साहूकार रहता था। उसके सात लड़के थे। दीपावली से पहले साहूकार की स्त्री घर की लीपापोती हेतु मिट्टी लेने खदान में गई और कुदाल से मिट्टी खोदने लगी। दैवयोग से उसी जगह एक सेह की मांद थी। सहसा उस स्त्री के हाथ से कुदाल बच्चे को लग गई जिससे सेह का बच्चा तत्काल मर गया। अपने हाथ से हुई हत्या को लेकर साहूकार की पत्नी को बहुत दुख हुआ परन्तु अब क्या हो सकता था! वह शोकाकुल पश्चाताप करती हुई अपने घर लौट आई।कुछ दिनों बाद उसका बेटे का निधन हो गया। फिर अकस्मात् दूसरा, तीसरा और इस प्रकार वर्ष भर में उसके सभी बेटे मर गए। महिला अत्यंत व्यथित रहने लगी। एक दिन उसने अपने आस-पड़ोस की महिलाओं को विलाप करते हुए बताया कि उसने जानबूझ कर कभी कोई पाप नहीं किया। हाँ, एक बार खदान में मिट्टी खोदते हुए अंजाने में उसके हाथों एक सेह के बच्चे की हत्या अवश्य हुई है और तत्पश्चात उसके सातों बेटों की मृत्यु हो गई।यह सुनकर पास-पड़ोस की वृद्ध औरतों ने साहूकार की पत्नी को दिलासा देते हुए कहा कि यह बात बताकर तुमने जो पश्चाताप किया है उससे तुम्हारा आधा पाप नष्ट हो गया है। तुम उसी अष्टमी को भगवती माता की शरण लेकर सेह और सेह के बच्चों का चित्र बनाकर उनकी अराधना करो और क्षमा-याचना करो। ईश्वर की कृपा से तुम्हारा पाप धुल जाएगा।साहूकार की पत्नी ने वृद्ध महिलाओं की बात मानकर कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को उपवास व पूजा-याचना की। वह हर वर्ष नियमित रूप से ऐसा करने लगी। तत्पश्चात् उसे सात पुत्र रत्नों की प्राप्ती हुई। तभी से अहोई व्रत की परम्परा प्रचलित हो गई।अहोई अष्टमी 2023 मुहूर्त (Ahoi Ashtami 2023 Muhurat)
कार्तिक कृष्ण अष्टमी तिथि शुरू - 5 नवंबर 2023, प्रात: 12.59कार्तिक कृष्ण अष्टमी तिथि समाप्त - 6 नवंबर 2023, प्रात: 03.18अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त - शाम 05.33 - शाम 06:52 (5 नवंबर 2023)तारों को देखने का समय - शाम 05:58 (5 नवंबर 2023) चंद्रोदय समय - प्रात: 12.02, 6 नवंबर (अहोई अष्टमी का चंद्रमा देर से उदित होता है)राधा कुंड स्नान समय - 5 नवंबर 2023, रात 11.37 - 6 नवंबर 2023, प्रात: 12.39Ahoi Ashtami Vrat Kaise kiya jata Hai (अहोई अष्टमी व्रत कैसे किया जाता है)
सूर्यास्त के बाद तारे निकलने पर माता के चित्र के सामने जल से भरा कलश, दूध-भात, हलवा, पुष्प और दीप प्रज्वलित करें. पहले अहोई माता की रोली, पुष्प, दीप से पूजा करें. उन्हें दूध भात अर्पित करें. फिर हाथ जोड़कर माता से अपनी संतान की दीर्घायु और मंगलकामना की प्रार्थना करेंगणेश जी की खीर वाली कहानी
एक बार भगवान गणेश बाल रूप में चुटकी भर चावल और चम्मच में दूध लेकर पृथ्वी लोक में निकले। वे सबको अपनी खीर बनाने को कहते जा रहे थे। पर सबने उनकी बात को अनदेखा किया। इसी दौरान एक गरीब बुढ़िया ने उनकी खीर बनाना स्वीकार कर एक भगोना चूल्हे पर चढ़ा दिया। इस पर गणेश जी ने घर का सबसे बड़ा बर्तन चूल्हे पर चढ़ाने को कहा। बुढ़िया ने बाल लीला समझते हुए घर का बड़ा भगोना उस पर चढ़ा दिया। कुछ देर में ही एक चमत्कार हुआ। गणेशजी के दिये चावल और दूध बढ़ गए और पूरा भगोना उससे भर गया। इसी बीच गणेश जी नहाने के बाद खीर खाने की बात कहते हुए वहां से चले गए. पीछे से बुढ़िया के पोते- पोती आए तो भूख लगने पर बुढ़िया ने उन्हें वह खीर खिला दी। खीर बनते देख रही पड़ोसन को भी बुढ़िया ने कटोरा भरकर खीर दे दी। बेटे की बहू ने भी चुपके से एक कटोरा खीर खाने के साथ एक कटोरा खीर छिपा दी।अहोई अष्टमी व्रत कथा (Ahoi Ashtami Vrat Katha)
प्राचीन काल में किसी नगर में एक साहूकार रहता था। उसके सात लड़के थे। दीपावली से पहले साहूकार की स्त्री घर की लीपापोती हेतु मिट्टी लेने खदान में गई और कुदाल से मिट्टी खोदने लगी। दैवयोग से उसी जगह एक सेह की मांद थी। सहसा उस स्त्री के हाथ से कुदाल बच्चे को लग गई जिससे सेह का बच्चा तत्काल मर गया। अपने हाथ से हुई हत्या को लेकर साहूकार की पत्नी को बहुत दुख हुआ परन्तु अब क्या हो सकता था! वह शोकाकुल पश्चाताप करती हुई अपने घर लौट आई।कुछ दिनों बाद उसका बेटे का निधन हो गया। फिर अकस्मात् दूसरा, तीसरा और इस प्रकार वर्ष भर में उसके सभी बेटे मर गए। महिला अत्यंत व्यथित रहने लगी। एक दिन उसने अपने आस-पड़ोस की महिलाओं को विलाप करते हुए बताया कि उसने जानबूझ कर कभी कोई पाप नहीं किया। हाँ, एक बार खदान में मिट्टी खोदते हुए अंजाने में उसके हाथों एक सेह के बच्चे की हत्या अवश्य हुई है और तत्पश्चात उसके सातों बेटों की मृत्यु हो गई।यह सुनकर पास-पड़ोस की वृद्ध औरतों ने साहूकार की पत्नी को दिलासा देते हुए कहा कि यह बात बताकर तुमने जो पश्चाताप किया है उससे तुम्हारा आधा पाप नष्ट हो गया है। तुम उसी अष्टमी को भगवती माता की शरण लेकर सेह और सेह के बच्चों का चित्र बनाकर उनकी अराधना करो और क्षमा-याचना करो। ईश्वर की कृपा से तुम्हारा पाप धुल जाएगा।साहूकार की पत्नी ने वृद्ध महिलाओं की बात मानकर कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को उपवास व पूजा-याचना की। वह हर वर्ष नियमित रूप से ऐसा करने लगी। तत्पश्चात् उसे सात पुत्र रत्नों की प्राप्ती हुई। तभी से अहोई व्रत की परम्परा प्रचलित हो गई।Ahoi Ashtami Puja Vidhi:अहोई अष्टमी पूजा विधि
अहोई अष्टमी के दिन सुबह व्रत रखने वाली महिलाएं जल्दी उठकर स्नान कर लें। उसके बाद पूजाघर को गंगाजल छिड़ककर पवित्र कर लें। फिर शुभ दिशा देखकर दीवार पर अहोई माता का चित्र बना लें और यदि चित्र नहीं बना सकते हैं और बाजार चित्र लाकर दीवार पर लगा दें। उसके बाद शाम के अहोई माता की पूजा करें और उन्हें हलवा, पूरी का भोग लगाएं। फिर व्रत कथा पढ़ें और फिर तारों के निकलने की प्रतीक्षा करें। फिर तारों को अर्घ्य देने के बाद इस व्रत का पारण करें। अहोई अष्टमी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती को दूध भात का भोग लगाना चाहिए और शाम को पीपल के पेड़ पर दीपक जलाना चाहिए।अहोई अष्टमी का शुभ मुहूर्त Ahoi Ashtami Shubh Muhurat
कार्तिक मास की कृष्ण अष्टमी का आरंभ 4 नवंबर को आधी रात के बाद 12 बजकर 59 मिनट पर होगा। यानी कि 5 नवंबर की तिथि का आरंभ हो जाएगा और इसका समापन 5 नवंबर को आधी रात के बाद 3 बजकर 18 मिनट पर होगा। इस तरह उदया तिथि के नियमों के अनुसार महिलाओं को अहोई अष्टमी का व्रत 5 नवंबर को मिलेगा। पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 5 बजकर 33 मिनट से 6 बजकर 52 मिनट तक रहेगा। उसके बाद दिन महिलाएं शाम को तारों को अर्घ्य देने के बाद व्रत तोड़ पाएंगी।Ahoi Ashtami Star Timing: अहोई अष्टमी तारा दर्शन समय
5 नवंबर को अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त शाम 5:35 बजे से शुरू होगा और शाम 6:52 बजे तक, कुल 1 घंटा 18 मिनट तक रहेगा।Ahoi Ashtami Ganesh Ji Ki Katha: अहोई अष्टमी गणेश जी की कथा
एक दिन गणेश जी महाराज चुटकी में चावल और चम्मच में दूध लेकर घूम रहे थे कि कोई मेरी खीर बना दो। सब ने थोड़ा सा सामान देखकर मना कर दिया। तो एक बुढ़िया बोली- ला बेटा मैं तेरी खीर बना दूं और वह कटोरी ले आई। तो गणेश जी बोले कि बुढ़िया माई कटोरी क्यों लाई टोप लेकर आ । अब बुढ़िया माई टोप लेकर आई और वह दूध से भर गया। गणेश जी महाराज बोले कि मैं बाहर जाकर आता हूं। जब तक तू खीर बनाकर रखना। खीर बनकर तैयार हो गई। अब बुढ़िया माई की बहू के मुंह में पानी आ गया। वह दरवाज़े के पीछे बैठकर खीर खाने लगी तो खीर का एक छींटा ज़मीन पर गिर गया। जिससे गणेश जी का भोग लग गया। थोड़ी देर के बाद बुढ़िया गणेश जी को बुलाने गई। तो गणेश जी बोले- बुढ़िया माई मेरा तो भोग लग गया। जब तेरी बहू ने दरवाज़े के पीछे बैठकर खीर खाई तो एक छींटा ज़मीन पर पड़ गया था सो मेरा तो भोग लग गया। तो बुढ़िया बोली- बेटा! अब इसका क्या करूं। गणेश जी बोले- सारी खीर अच्छे से खा-पीकर सबको बांट देना और बचे तो थाली में डालकर छींके पर रख देना। शाम को गणेश महाराज आये और बुढ़िया को बोले कि बुढ़िया मेरी खीर दो। बुढ़िया खीर लेने गई तो उस थाली में हीरे-मोती हो गये। गणेश जी महाराज ने जैसी धन-दौलत बुढ़िया को दी वैसी सब किसी को दें।Ahoi Mata Ki Aarti: अहोई माता आरती
जय अहोई माता, जय अहोई माता।तुमको निसदिन ध्यावतहर विष्णु विधाता॥ ॥ जय अहोई माता॥ब्रह्माणी, रुद्राणी, कमलातू ही है जगमाता।सूर्य-चन्द्रमा ध्यावतनारद ऋषि गाता॥ ॥ जय अहोई माता॥माता रूप निरंजनसुख-सम्पत्ति दाता।जो कोई तुमको ध्यावतनित मंगल पाता॥ ॥ जय अहोई माता॥तू ही पाताल बसंती, तू ही है शुभदाता।कर्म-प्रभाव प्रकाशकजगनिधि से त्राता॥ ॥ जय अहोई माता॥जिस घर थारो वासावाहि में गुण आता।कर न सके सोई कर लेमन नहीं धड़काता॥ ॥ जय अहोई माता॥तुम बिन सुख न होवेन कोई पुत्र पाता।खान-पान का वैभवतुम बिन नहीं आता॥ ॥ जय अहोई माता॥शुभ गुण सुंदर युक्ताक्षीर निधि जाता।रतन चतुर्दश तोकूकोई नहीं पात॥ ॥ जय अहोई माता॥श्री अहोई माँ की आरतीजो कोई गाता।उर उमंग अति उपजेपाप उतर जाता॥जय अहोई माता, जय अहोई माता।Ahoi Ashtami Kahani In Hindi : अहोई अष्टमी कहानी हिंदी में
उस घटना के बाद उस औरत के सातों पुत्र एक के बाद एक मृत्यु को प्राप्त हो गए। इस घटना से दुखी हो कर उस औरत ने अपनी कहानी गाँव की हर एक औरत को सुनाई। एक बड़ी औरत ने उस औरत को यह सुझाव दिया की वह माता अहोई अष्टमी की आराधना करे। पशु के शावक की सोते हुए हत्या के पश्चाताप के लिए उस औरत ने शावक का चित्र बनाया और माता अहोई अष्टमी के चित्र के साथ रख कर उनकी पूजा करने लगी। उस औरत ने 7 वर्षों तक अहोई अष्टमी का व्रत रखा और आखिर में उसके सातों पुत्र फिर से जीवित हो गए।ahoi ashtami drawing
Ahoi Ashtami Locket
Ahoi Ashtami Puja Vidhi:अहोई अष्टमी पूजा विधि
अहोई अष्टमी के दिन सुबह व्रत रखने वाली महिलाएं जल्दी उठकर स्नान कर लें। उसके बाद पूजाघर को गंगाजल छिड़ककर पवित्र कर लें। फिर शुभ दिशा देखकर दीवार पर अहोई माता का चित्र बना लें और यदि चित्र नहीं बना सकते हैं और बाजार चित्र लाकर दीवार पर लगा दें। उसके बाद शाम के अहोई माता की पूजा करें और उन्हें हलवा, पूरी का भोग लगाएं। फिर व्रत कथा पढ़ें और फिर तारों के निकलने की प्रतीक्षा करें। फिर तारों को अर्घ्य देने के बाद इस व्रत का पारण करें। अहोई अष्टमी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती को दूध भात का भोग लगाना चाहिए और शाम को पीपल के पेड़ पर दीपक जलाना चाहिए।Ahoi Mata Photo: अहोई माता की फोटो
Ahoi Mata Ki Aarti:अहोई माता की आरती
जय अहोई माता, मइया जय अहोई माता।तुमको निसदिन ध्यावत हर विष्णु विधाता॥ जय अहोई माता॥
ब्रह्माणी, रुद्राणी, कमला तू ही है जगमाता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत नारद ऋषि गाता॥ जय अहोई माता॥
माता रूप निरंजन सुख-सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत नित मंगल पाता॥ जय अहोई माता॥
तू ही पाताल बसंती, तू ही है शुभदाता।
कर्म-प्रभाव प्रकाशक जगनिधि से त्राता॥जय अहोई माता॥
जिस घर तुम्हरो वासा, ताहि घर गुण आता।
कर न सके सोई कर ले, मन नहीं घबराता॥ जय अहोई माता॥
तुम बिन सुख न होवे न कोई पुत्र पाता।
खान-पान का वैभव तुम बिन नहीं आता॥ जय अहोई माता॥
शुभ गुण सुंदर युक्ता, क्षीर निधि की जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पाता॥ जय अहोई माता॥
श्री अहोई मां की आरती जो कोई जन गाता।
उर उमंग अति उपजे पाप उतर जाता॥ जय अहोई माता॥
अहोई अष्टमी पर राधा कुंड स्नान का समय
जिन विवाहित स्त्रियों को संतान प्राप्ति में समस्या आ रही है, उन्हें अहोई अष्टमी के दिन राधा कुंड में स्नान जरूर करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस उपाय को संतान प्राप्ति में आ रही सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। इस बार अहोई अष्टमी पर राधा कुंड में स्नान करने का मुहूर्त 5 नवंबर को 11:37 PM से 6 नवंबर को 12:29 AM तक रहेगा।Ganesh Ji Ki Katha (गणेश जी की कथा)
एक बुढ़िया माई थी वो प्रतिदिन मिट्टी के गणेश जी की पूजा करती थी। लेकिन वो रोज मिट्टी के गणेश बनाए और वो रोज ही गल जाए। एक दिन उसकी झोपड़ी के पास एक सेठ का मकान बन रहा था। वो मकान बनाने वाले मिस्त्री से जाकर बोली मेरे लिए पत्थर का गणेश बना दो। मिस्त्री बोले- जितने में हम तेरा पत्थर का गणेश घड़ेंगे उतने में अपनी दीवार ना चिनेंगे।बुढ़िया को बहुत दुख हुआ। वो बोली राम करे तुम्हारी दीवार टेढ़ी हो जाए। बुढ़िया ने जैसे ही ये बात बोली दीवार टेढ़ी हो गई। अब मिस्त्री जितनी बार दीवार चिनें वो टेढ़ी हो जाए। जिस वजह से उन्हें एक ही दीवार बार-बार बनानी पड़ रही थी। इस तरह करते-करते शाम हो गई। जब शाम को सेठ आये तो उन्होंने कहा आज कुछ भी काम नहीं किया।
वो कहने लगे सेठ जी एक बुढ़िया आई थी वो कह रही थी मेरा पत्थर का गणेश घड़ दो, हमने ये काम करने से मना कर दिया तो उसने कहा तुम्हारी दीवार टेढ़ी हो जाए। तब से ये दीवार सीधी नहीं बन रही है। बनाते हैं और ढ़ा देते हैं।
सेठ ने बुढ़िया को बुलवाया। सेठ ने कहा बुढ़िया मााई हम तेरा सोने का गणेश गढ़ देंगे। बस हमारी दीवार सीधी कर दो। सेठ ने बुढ़िया को सोने का गणेश गढ़ा दिया और सेठ की दीवार सीधी हो गई। हे विनायक भगवान जैसे सेठ की दीवार सीधी की वैसी सबकी करना।
Ahoi Ashtami Vrat Vidhi (अहोई अष्टमी व्रत विधि)
अहोई अष्टमी की पूजा प्रदोषकाल मे की जाती है। इस दिन महिलाएं अन्न और जल कुछ भी ग्रहण नहीं करती हैं और अहोई भगवती की पूजा करती हैं। मान्यता है ये व्रत संतान को दीर्घायु और निरोगी काया देता है। इस दिन माताएं सूर्योदय से पहले उठ जाती हैं और उसके बाद स्नान करके अहोई माता की पूजा करती हैं। पूजा के लिए अहोई देवी मां की आठ कोने वाली तस्वीर पूजा स्थल पर रखी जाती है। मां अहोई की तस्वीर के साथ साही की भी तस्वीर रखी जाती है। साही कांटेदार स्तनपाई जीव होता है जो मां अहोई के नज़दीक बैठता है।Ahoi Ashtami Vrat Katha In Hindi (अहोई अष्टमी व्रत कथा)
अहोई अष्टमी व्रत की कथा इस प्रकार है- प्राचीन समय में एक गांव में एक साहूकार अपने सात बेटों के साथ रहता था। दीपावली का त्योहार आने को था। इसलिए साहूकार को घर की पुताई करनी थी। साहूकारकी पत्नी पुताई के लिए खदान से मिट्टी लेने चली गई। साहूकार की पत्नी जब कुदाल से मिट्टी खोद रही थी कि तभी उसकी कुदाल ने अनजाने में साही के बच्चे को चोट लग गई और उस बच्चे की वहीं मृत्यु हो गई। यह सब देखकर साहूकार की पत्नी बेहद दुखी हुई और पश्चाताप की भावना के साथ अपने घर वापिस आ गई।इस घटना के कुछ समय बाद ही साहूकार के सातों बेटों की मृत्यु हो गई। अपने बच्चों की मौत से साहूकार की पत्नी बहुत दुखी थी।उसने अपने पड़ोस की एक बुजुर्ग महिला को अपनी कुदाल से साही के बच्चे की मृत्यु वाली घटना के बारे में बताया। वृद्ध महिला ने कहा कि तुम अहोई माता के साथ साही और उसके बच्चों का चित्र बनाकर उसकी पूजा करो। तुम्हें उससे लाभ मिलेगा।
वृद्ध महिला की बात मानकर साहूकार की पत्नी ने अहोई अष्टमी का व्रत रखा और पूरे विधि-विधान से पूजन किया। वो इसी तरह हर साल सच्चे मन से अहोई माता का व्रत करती रही। अहोई माता उससे प्रसन्न हुईं और इस तरह से उस महिला को अपने सातों पुत्र फिर से वापिस मिल गए। कहते हैं तभी से संतान की लंबी आयु के लिए अहोई माता का व्रत रखने का विधान शुरू हो गया।
Ahoi Ashtami Puja Samagri List In Hindi (अहोई अष्टमी पूजा सामान लिस्ट)
अहोई माता मूर्तिपूजा रोली
अक्षत
दूब
माला
दीपक
श्रृंगार का सामान
बयाना
सात्विक भोजन
करवा
चावल की कटोरी
सिंघाड़े
मूली
फल
पानी का कलश
कलावा
श्रीफल
चौदह पूरी और आठ पुओं का भोग
खीर
दूध व भात
वस्त्र
दान दक्षिणा
Ahoi Ashtami Muhurat (अहोई अष्टमी मुहूर्त)
अहोई अष्टमी व्रत - 5 नवंबर 2023अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त - 05:34 PM से 06:53 PM
तारों को देखने के लिये सांझ का समय - 05:59 PM
अहोई अष्टमी के दिन चन्द्रोदय समय - 12:04 AM, नवम्बर 06
अष्टमी तिथि प्रारम्भ - 05 नवम्बर 2023 को 12:59 AM बजे
अष्टमी तिथि समाप्त - 06 नवम्बर 2023 को 03:18 AM बजे
अहोई अष्टमी महत्व ( Ahoi Ashtami Importance)
अहोई अष्टमी का व्रत हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है। अहोई अष्टमी व्रत माताओं द्वारा अपने बच्चों की भलाई और दीर्घायु के लिए किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि अहोई देवी बच्चों के स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि की रक्षा करती हैं और उनकी वृद्धि और विकास सुनिश्चित करती हैं। अहोई अष्टमी त्योहार माता और बच्चों के बीच मजबूत रिश्ते को दर्शाता है। माताएं अपने बच्चों की भलाई के लिए भक्ति और समर्पण के साथ इस कठोर व्रत को रखती हैं। अहोई अष्टमी का व्रत रखने से परिवार में सुख, समद्धि आती है।अहोई माता कहानी ( Ahoi Mata Kahani)
दंतकथा के अनुसार एक बार एक औरत अपने 7 पुत्रों के साथ एक गांव में रहती थी। एक दिन कार्तिक महीने में वह औरत मिटटी खोदने के लिए जंगल में गयी। वहां पर उसने गलती से एक पशु के शावक की अपनी कुल्हाड़ी से हत्या कर दी।उस घटना के बाद उस औरत के सातों पुत्र एक के बाद एक मृत्यु को प्राप्त हो गए। इस घटना से दुखी हो कर उस औरत ने अपनी कहानी गाँव की हर एक औरत को सुनाई। एक बड़ी औरत ने उस औरत को यह सुझाव दिया की वह माता अहोई अष्टमी की आराधना करे। पशु के शावक की सोते हुए हत्या के पश्चाताप के लिए उस औरत ने शावक का चित्र बनाया और माता अहोई अष्टमी के चित्र के साथ रख कर उनकी पूजा करने लगी। उस औरत ने 7 वर्षों तक अहोई अष्टमी का व्रत रखा और आखिर में उसके सातों पुत्र फिर से जीवित हो गए।images of ahoi ashtami
Ahoi Ashtami 2023 Niyam ( अहोई अष्टमी व्रत नियम)
अहोई अष्टमी के दिन सबसे पहले व्रत रखने वाली माताएं ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान कर लें।इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें।व्रत का संकल्प लेने के बाद अहोई माता की तस्वीर को अपने पूजा घर की चौकी पर स्थापित करें।अहोई माता की तस्वीर स्थापित करने के बाद उनको रोटी और चावल का भोग लगाएं और हाथ में गेंहू के सात दाने रख कर अहोई माता की कथा को सुनें।उसके बाद अहोई माता की आरती करें और उनसे हाथ जोड़ प्रार्थना करें। ऐसा करने से अहोई माता सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं और मताओं की संतान पर उनकी कृपा सदैव बनी रहती है।अहोई अष्टमी व्रत के समय पूरे दिन निर्जला व्रत रखें और सूर्यास्त के बाद सांयकाल के समय तारे निकल नें के बाद उनकी पूजा करें। उसके बाद ही अपना व्रत खोलें।तारों को अर्घ्य अर्पित करें, फिर उनको दूब दिखा कर उनकी पूजा करें।अहोई अष्टमी व्रत के दौरान किसी की निंदा न करें और अहोई माता की कथा का गुणगान करें।अहोई अष्टमी की पूजा के समय बच्चों को भी साथ में बैठाएं और अहोई माता को प्रसाद चढ़ाएं। प्रसाद चढ़ाने के बाद उसे अपने बच्चों को अवश्य दें।अहोई अष्टमी व्रत में क्या खाएं (Aohi Ashtami Vrat Me Kya Khayen)
इसके अलवा अपनी थाली में हलवा और चना शामिल करें। क्योंकि व्रत के दौरान पूरे दिन भूखा रहना होता है, तो ऐसे में रात के समय हेल्दी चीजों को खाएं। आप पनीर की सब्जी बना सकती हैं।Ahoi Mata Puja Vidhi 2023( अहोई अष्टमी पूजा विधि)
अहोई अष्टमी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त (ब्रह्म मुहूर्त मंत्र) में स्नान करें और व्रत संकल्प लें। पश्चात पूरे दिन निर्जला व्रत का पालन करें। अहोई माता की तस्वीर जरूर बनाएं, फिर संध्या के समय विधि के अनुसार माता अहोई की पूजा करें। मां को कुमकुम लगाएं। फूल अर्पित करें। मां के समक्ष घी का दीपक जलाएं। उन्हें हलवे का भोग अवश्य लगाएं। अंत में कथा पढ़कर घी के दीपक (दीपक जलाने के नियम) से माता की आरती अवश्य करें। रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण जरूर करें। इससे मां अहोई बेहद प्रसन्न होती हैं।Ahoi Ashtami vrat kaise Kiya Jata Hai (अहोई अष्टमी व्रत कैसे किया जाता है)
अहोई अष्टमी के दिन भगवान गणेश की पूजा अवश्य करनी चाहिए।अहोई अष्टमी व्रत तारों को देखकर खोला जाता है। इसके बाद अहोई माता की पूजा की जाती है।इस दिन कथा सुनते समय हाथ में 7 अनाज लेना शुभ माना जाता है। पूजा के बाद यह अनाज किसी गाय को खिलाना चाहिए।अहोई अष्टमी की पूजा करते समय साथ में बच्चों को भी बैठाना चाहिए।अहोई माता के मंत्र ( Ahoi Mantra)
ॐ पार्वतीप्रियनंदनाय नमः' ॐ उमादेव्यै नमः॥© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited