Ahoi Ashtami Vrat Vidhi 2024: अहोई अष्टमी का व्रत कैसे किया जाता है, यहां जानिए इस व्रत की विधि और नियम
Ahoi Ashtami Vrat Vidhi 2024 (अहोई अष्टमी व्रत कैसे किया जाता है 2024): माताओं के लिए अहोई अष्टमी व्रत का विशेष महत्व होता है क्योंकि ये व्रत उनकी संतान से जुड़ा होता है। चलिए आपको बताते हैं अहोई अष्टमी व्रत कैसे रखा जाता है। इसकी विधि क्या है।
Ahoi Ashtami Vrat Vidhi 2024
Ahoi Ashtami Vrat Vidhi 2024 (अहोई अष्टमी व्रत कैसे करें 2024): अहोई अष्टमी का व्रत माताएं संतान की दीर्घायु और खुशहाल जीवन की कामना से रखती हैं। ये व्रत मां का उनकी संतान के प्रति समर्पण और प्रेम को दर्शाता है। इस दिन अहोई माता के साथ-साथ स्याही माता की भी पूजा की जाती है। ये पर्व मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रहकर शाम में तारों को देखकर अपना व्रत खोलती हैं। चलिए आपको बताते हैं अहोई अष्टमी व्रत की विधि क्या है।
Ahoi Ashtami 2024 Puja Muhurat
अहोई अष्टमी की व्रत विधि (Ahoi Ashtami Vrat Vidhi In Hindi)
- अहोई अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद अहोई माता के सामने व्रत का संकल्प लें।
- पूजा स्थल पर अहोई माता की पूजा के लिए गेरू से दीवार पर उनका चित्र और साथ में साही और उसके सात पुत्रों की तस्वीर जरूर बनाएं।
- अगर चित्र नहीं बना सकते तो बाजार से बनी बनाई अहोई माता की फोटो ले आएं।
- अहोई माता के सामने घी का दीपक जलाएं और एक कटोरी में चावल, मूली, सिंघाड़ा आदि चीजें पूजा में जरूर रखें।
- विधि विधान पूजा करने के बाद अष्टोई अष्टमी की व्रत कथा सुनें या सुनाएं।
- अहोई अष्टमी की सुबह पूजा करते समय एक लोटे में पानी और उसके ऊपर करवे में पानी रखते हैं।
- शाम के समय अहोई माता की विधि विधान पूजा करके कथा सुनी जाती है।
- लोटे के पानी से ही शाम को चावल के साथ तारों को अर्घ्य दिया जाता है।
- अहोई पूजा में चांदी की अहोई बनाई जाती है जिसे स्याहु (साही) कहते हैं।
- स्याहु की पूजा रोली, अक्षत, दूध और भात से किए जाने की परंपरा है।
अहोई अष्टमी की पूजा के नियम (Ahoi Ashtami Puja Ke Niyam)
अहोई अष्टमी की पूजा कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन प्रदोषकाल मे की जाती है। इस दिन महिलाएं अन्न और जल कुछ भी ग्रहण नहीं करतीं और शाम में शुभ मुहूर्त में अहोई भगवती की पूजा करती हैं। अहोई अष्टमी व्रत संतान की दीर्घायु और निरोगी काया के लिए रखा जाता है। इस दिन सभी माताएं सूर्योदय से पहले जागकर स्नान कर अहोई माता की पूजा करती हैं और इस दौरान व्रत का संकल्प भी लेती हैं। पूजा के लिए अहोई माता की आठ कोने वाली तस्वीर पूजा स्थल पर रखी जाती है। ध्यान रखें कि माता अहोई के साथ साही की भी तस्वीर जरूर होनी चाहिए। बता दें साही कांटेदार स्तनपाई जीव होता है। ये पूजा शाम को प्रारंभ होती है।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें
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