अहोई अष्टमी की पूजा के समय जरूर पढ़ें स्याही माता और गणेश जी की खीर वाली कहानी
अहोई अष्टमी की पूजा के समय जरूर पढ़ें स्याही माता और गणेश जी की खीर वाली कहानी
अहोई अष्टमी का व्रत महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। ये व्रत हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस व्रत में अहोई माता की पूजा की जाती है। कहते हैं जो माताएं अहोई अष्टमी व्रत का विधि विधान पालन करती हैं उनकी संतान के जीवन में सदैव खुशहाली और समृद्धि बनी रहती है। साथ ही उन्हें स्वस्थ और लंबे जीवन की भी प्राप्ति होती है। इस दिन अहोई माता की पूजा के साथ ही साही और उनके बच्चों की भी पूजा करनी चाहिए। चलिए आपको बताते हैं अहोई अष्टमी की व्रत कथा के बारे में।
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अहोई अष्टमी व्रत कथा (Ahoi Ashtami Vrat Katha In Hindi)
अहोई अष्टमी की कथा अनुसार प्राचीन काल में किसी नगर में एक साहूकार रहता था। उसके सात लड़के थे। दिवाली से पहले साहूकार की पत्नी घर की लीपापोती के लिए मिट्टी लेने खदान में गई और अपनी कुदाल से मिट्टी खोदने में लग गई। दैवयोग से उसी जगह एक सेह यानी साही की मांद थी। अनजाने में उस स्त्री के हाथ से कुदाल साही के बच्चों को लग गई और उस बच्चे की मृत्यु हो गई। अपने हाथ से हुए इस पाप के कारण साहूकार की पत्नी को बहुत दुख हुआ परन्तु अब वो क्या कर सकती थी। इसलिए वह शोकाकुल पश्चाताप करती हुई अपने घर लौट गई। लेकिन कुछ दिनों बाद साहूकार के बेटे का निधन हो गया। फिर इसके बाद उसके दूसरे, तीसरे और इस प्रकार साल भर के अंदर ही उसके सभी बेटों की आकस्मिक मृत्यु हो गई।
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साहूकार की पत्नी अत्यंत दुखी रहने लगी। एक दिन उसने अपने आस-पड़ोस की महिलाओं को अपने दुख का कारण बताते हुए कहा कि उसने जानबूझ कभी किसी के साथ बुरा नहीं किया। लेकिन हां, एक बार जरूर उससे अनजाने में एक पाप हो गया। उसने महिलाओं को बताया कि एक बार वह खदान में मिट्टी खोदने के लिए गई थी जहां उसके हाथों से एक सेह के बच्चे की हत्या हो गई थी और शायद यही कारण है कि मेरे सातों बेटों की मृत्यु हो गई।
यह सुनकर पड़ोस की एक वृद्ध औरत ने उससे कहा कि यह बात बताकर तुमने जो पश्चाताप किया है उससे तुम्हारा आधा पाप खुद ही नष्ट हो गया है। अब तुम एक काम करो कि उसी अष्टमी तिथि को भगवती माता की शरण लेकर सेह और सेह के बच्चों का चित्र बनाकर उनकी पूजा-अर्चना करो और साथ में क्षमा-याचना करो। ईश्वर की कृपा से तुम्हारा ये पाप जरूर धुल जाएगा।
साहूकार की पत्नी ने ठीक वैसे ही किया। उसने हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को नियमित रूप से उपवास रख विधि विधान पूजन किया। तत्पश्चात् उसे सात पुत्र रत्नों की प्राप्ति हुई। कहते हैं तभी से अहोई व्रत रखने की परंपरा शुरू हो गई। बोलो अहोई माता की जय !
अहोई अष्टमी पर गणेश जी की कहानी (Ahoi Ashtami Ganesh Ji Ki Katha)
एक बार की बात है भगवान गणेश एक चुटकी चावल और चम्मच में दूध लेकर घूम रहे थे कि कोई मेरी खीर बना दो। लेकिन जो भी खीर बनाने के लिए थोड़े से सामान को देखता वो मना कर देता। तब एक बुढ़िया बोली - ला बेटा मैं तेरी खीर बना दूं और वह कटोरी ले आई। तब गणेश जी ने कहा कि बुढ़िया माई कटोरी क्यों लेकर आई है इसके लिए तो कोई बड़ा बर्तन लेकर आ। फिर बुढ़िया बड़ा बर्तन लेकर आई और जैसे ही गणेशजी ने एक चम्मच दूध उस बर्तन में डाला वह बर्तन दूध से भर गया। गणेश जी महाराज बोले कि मैं बाहर जाकर आता हूं चब तक तू खीर बना लेना। कुछ देर बाद खीर बनकर तैयार हो गई।
खीर देखकर बुढ़िया माई की बहू के मुंह में पानी आ गया। उसने एक कटोरी में खीर डाली और वह दरवाज़े के पीछे बैठकर खीर को खाने लगी। बहू से खीर का एक छींटा ज़मीन पर गिर गया। जिससे भगवान गणेश जी का खुद ही भोग लग गया। थोड़ी देर के बाद बुढ़िया गणेश जी को बुलाकर लाई। तो गणेश जी बोले- बुढ़िया माई मेरा तो भोग लग चुका है। बुढ़िया ने कहा पर अभी तो आपने खीर चखी भी नहीं है। तब गणेश जी कहने लगे कि जब तेरी बहू ने दरवाज़े के पीछे बैठकर खीर खाई तो उससे अनजाने में ही सही पर एक छींटा ज़मीन पर पड़ गया था इससे ही मेरा भोग लग गया।
तो बुढ़िया बोली- बेटा! अब इस खीर का क्या करूं। गणेश जी बोले- खीर का खुद भी सेवन करो और इसे सभी में बांट दो। अगर फिर भी खीर बच जाए थाली में डालकर छींके पर रख देना। शाम को गणेश महाराज आये और बुढ़िया से खीर मांगले लगे। बुढ़िया जैसे ही खीर लेने गई तो उस थाली में हीरे मोती हो गये। हे गणेश जी महाराज आपने जैसी धन-दौलत बुढ़िया को दी वैसी ही सब किसी को दें।
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अहोई अष्टमी व्रत का महत्व (Ahoi Ashtami Vrat Ka Mahatva)
अहोई अष्टमी को कृष्ण अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। ये व्रत महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए रखती हैं। तो वहीं निसंतान दंपत्ति इस व्रत को संतान सुख की प्राप्ति के लिए रखते हैं।अहोई अष्टमी पर किस देवी की पूजा की जाती है?
अहोई अष्टमी के व्रत में देवी अहोई और स्याही माता की पूजा की जाती है।Ahoi Ashtami Puja Vidhi: अहोई अष्टमी पूजा विधि
अहोई अष्टमी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान कर लें। इसके बाद पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध कर लें। फिर पूजा स्थल पर चौकी बिछाएं। चौकी पर लाला कपड़ा बिछाएं और माता अहोई की प्रतिमा या फोटो को स्थापित करें। इसके बाद माता अहोई का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें।फिर माता अहोई को वस्त्र के रूप में कलावा धारण कराएं। माता का सोलह श्रृंगार करें। माता अहोई को कमल के फूल की माला पहनाएं। इसके बाद माता को कच्चे अक्षत, गाय का दूध, सिंघाड़ा, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि चढ़ाएं। माता को भोग लगाएं। मंत्रों का जाप करें और अंत में आरती गाएं।
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शाम 06 बजकर 06 मिनट तकAhoi Ashtami Puja Time: अहोई अष्टमी 2024 डेट और टाइम
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त - शाम 05 बजकर 42 मिनट से शाम 06 बजकर 59 मिनट तकतारों को देखने के लिए का समय - शाम 06 बजकर 06 मिनट तक
अहोई अष्टमी के दिन चंद्रोदय - रात्रि 11 बजकर 55 मिनट तक
Ahoi Ashtami Vrat Katha: अहोई अष्टमी व्रत कथा
पौराणिक कथा (Ahoi Mata Ki Katha) के अनुसार, एक समय की बात है एक नगर में एक साहूकार रहता था, जो अपने सात बेटे और पत्नी के साथ सुखी-सुखी रहता था। एक बार दीपावली से पहले साहूकार की पत्नी घर की लिपाई-पुताई के लिए खेत में मिट्टी लाने गई थी। खेत में पहुंचकर उसने कुदाल से मिट्टी खोदनी शुरू की मिट्टी इसी बीच उसकी कुदाल से अनजाने में एक साही (झांऊमूसा) के बच्चे की मौत हो गई। क्रोध में आकर साही की माता ने उस स्त्री को श्राप दिया कि एक-एक करके तुम्हारे भी सभी बच्चों की मृत्यु हो जाएगी। श्राप के चलते एक-एक करके साहूकार के सातों बेटों की मृत्यु हो गई और साहूकार के घर पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।इतने बड़े दुख से घिरी साहूकार की पत्नी एक सिद्ध महात्मा के पास जा पहुंची, जिन्हें उसने पूरी घटना बताई। महात्मा तो दयालु होते हैं, तब उन्होंने साहूकार की पत्नी से कहा कि ''हे देवी तुम अष्टमी के दिन भगवती माता का ध्यान करते हुए साही और उसके बच्चों का चित्र बनाओ। इसके बाद उनकी आराधना करते हुए अपनी गलती के लिए क्षमा मांगो। मां भगवती (Ahoi Mata Ki Kahani) की कृपा से तुम्हे इस बड़े अपराध से मुक्ति मिल जाएगी।
साधु की कही गई बात के अनुसार, साहूकार की पत्नी ने कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को उपवास रखा और विधिवत अहोई माता की पूजा की। व्रत के प्रभाव से उसके सातों पुत्र पुनः जीवित हो गए और तभी संतान के लिए अहोई माता की पूजा और व्रत करने की परंपरा चली आ रही है।
Ganesh Ji Ke Kahani: गणेश जी की कहानी
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय की बात है एक नगर में एक साहूकार रहता था, जो अपने सात बेटे और पत्नी के साथ सुखी-सुखी रहता था। एक बार दीपावली से पहले साहूकार की पत्नी घर की लिपाई-पुताई के लिए खेत में मिट्टी लाने गई थी। खेत में पहुंचकर उसने कुदाल से मिट्टी खोदनी शुरू की मिट्टी इसी बीच उसकी कुदाल से अनजाने में एक साही (झांऊमूसा) के बच्चे की मौत हो गई। क्रोध में आकर साही की माता ने उस स्त्री को श्राप दिया कि एक-एक करके तुम्हारे भी सभी बच्चों की मृत्यु हो जाएगी। श्राप के चलते एक-एक करके साहूकार के सातों बेटों की मृत्यु हो गई और साहूकार के घर पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।इतने बड़े दुख से घिरी साहूकार की पत्नी एक सिद्ध महात्मा के पास जा पहुंची, जिन्हें उसने पूरी घटना बताई। महात्मा तो दयालु होते हैं, तब उन्होंने साहूकार की पत्नी से कहा कि ''हे देवी तुम अष्टमी के दिन भगवती माता का ध्यान करते हुए साही और उसके बच्चों का चित्र बनाओ। इसके बाद उनकी आराधना करते हुए अपनी गलती के लिए क्षमा मांगो। मां भगवती (Ahoi Mata Ki Kahani) की कृपा से तुम्हे इस बड़े अपराध से मुक्ति मिल जाएगी।
साधु की कही गई बात के अनुसार, साहूकार की पत्नी ने कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को उपवास रखा और विधिवत अहोई माता की पूजा की। व्रत के प्रभाव से उसके सातों पुत्र पुनः जीवित हो गए और तभी संतान के लिए अहोई माता की पूजा और व्रत करने की परंपरा चली आ रही है।
अहोई माता की आरती: Ahoi Mata Ki Arti
जय अहोई माता,जय अहोई माता ।
तुमको निसदिन ध्यावत,
हर विष्णु विधाता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥
ब्रह्माणी, रुद्राणी, कमला,
तू ही है जगमाता ।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥
माता रूप निरंजन,
सुख-सम्पत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्यावत,
नित मंगल पाता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥
तू ही पाताल बसंती,
तू ही है शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव प्रकाशक,
जगनिधि से त्राता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥
जिस घर थारो वासा,
वाहि में गुण आता ।
कर न सके सोई कर ले,
मन नहीं घबराता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥
तुम बिन सुख न होवे,
न कोई पुत्र पाता ।
खान-पान का वैभव,
तुम बिन नहीं आता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥
शुभ गुण सुंदर युक्ता,
क्षीर निधि जाता ।
रतन चतुर्दश तोकू,
कोई नहीं पाता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥
Katha Time for ahoi ashtami: अहोई अष्टमी के दिन कथा का टाइम
शाम 05 बजकर 42 मिनट से शाम 06 बजकर 59 मिनट तकअहोई अष्टमी गणेश जी की कथा: Ahoi Ashtami Ganesh ji ke katha
एक दिन गणेश जी महाराज चुटकी में चावल और चम्मच में दूध लेकर घूम रहे थे कि कोई मेरी खीर बना दो। सबने थोड़ा सा सामान देखकर मना कर दिया। तो एक बुढ़िया बोली - ला बेटा मैं तेरी खीर बना दूं और वह कटोरी ले आई। तो गणेश जी बोले कि बुढ़िया माई कटोरी क्यों लाई टोप लेकर आ। अब बुढ़िया माई टोप लेकर आई और जैसे ही गणेशजी ने एक चम्मच दूध उसमें डाला वह दूध से भर गया। गणेश जी महाराज बोले कि मैं बाहर जाकर आता हूँ। जब तक तू खीर बनाकर रखना। खीर बनकर तैयार हो गई। अब बुढ़िया माई की बहू के मुँह में पानी आ गया। वह दरवाज़े के पीछे बैठकर खीर खाने लगी तो खीर का एक छींटा ज़मीन पर गिर गया। जिससे गणेश जी का भोग लग गया। थोड़ी देर के बाद बुढ़िया गणेश जी को बुलाने गई। तो गणेश जी बोले- बुढ़िया माई मेरा तो भोग लग गया। जब तेरी बहू ने दरवाज़े के पीछे बैठकर खीर खाई तो एक छींटा ज़मीन पर पड़ गया था सो मेरा तो भोग लग गया। तो बुढ़िया बोली- बेटा! अब इसका क्या करूँ। गणेश जी बोले- सारी खीर अच्छे से खा-पीकर सबको बाँट देना और बचे तो थाली में डालकर छींके पर रख देना। शाम को गणेश महाराज आये और बुढ़िया को बोले कि बुढ़िया मेरी खीर दो। बुढ़िया खीर लेने गई तो उस थाली में हीरे मोती हो गये। गणेश जी महाराज ने जैसी धन-दौलत बुढ़िया को दी वैसी सब किसी को दें।Ahoi Ashtami 2024 Arghya Vidhi : अहोई अष्टमी अर्घ्य विधि
अहोई अष्टमी के दिन तारों को अर्घ्य देने के लिए स्टील से बने लोटे का ही प्रयोग करें। अर्घ्य देने के लिए और भी किसी धातु से बने बर्तन का प्रयोग करना शुभ नहीं होता है। इस दिन लोटे में जल भरकर कुमकुम और अक्षत जरूर रखें। तारों या चंद्रमा को करवे से भी अर्घ्य दिया जा सकता है। अर्घ्य देने के बाद आप अपने विधि- विधान के साथ इस व्रत का पारण कर सकती हैं। इस दिन अहोई माता की पूजा में 8 पूड़ी और 8 मालपुए भोग में जरूर चढ़ाएं।Ahoi Ashtami Mantra: अहोई अष्टमी मंत्र
अहोई अष्टमी के दिन 'ॐ पार्वतीप्रियनंदनाय नमः' मंत्र का जाप करना चाहिए। इस मंत्र को अहोई अष्टमी के दिन 108 बार जपने से संतान के जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है और संतान का भविष्य भी उज्जवल बनता है। इस मंत्र का जाप करने से संतान की हर मनोकामना पूरी हो जाती है।Ahoi Ashtami vrat katha muhurat: अहोई अष्टमी व्रत कथा मुहूर्त
अहोई अष्टमी व्रत कथा मुहूर्त - शाम 05 बजकर 42 मिनट से शाम 06 बजकर 59 मिनट तकAhoi Ashtami Vrat katha: अहोई अष्टमी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय की बात है एक नगर में एक साहूकार रहता था, जो अपने सात बेटे और पत्नी के साथ सुखी-सुखी रहता था। एक बार दीपावली से पहले साहूकार की पत्नी घर की लिपाई-पुताई के लिए खेत में मिट्टी लाने गई थी। खेत में पहुंचकर उसने कुदाल से मिट्टी खोदनी शुरू की मिट्टी इसी बीच उसकी कुदाल से अनजाने में एक साही (झांऊमूसा) के बच्चे की मौत हो गई। क्रोध में आकर साही की माता ने उस स्त्री को श्राप दिया कि एक-एक करके तुम्हारे भी सभी बच्चों की मृत्यु हो जाएगी। श्राप के चलते एक-एक करके साहूकार के सातों बेटों की मृत्यु हो गई और साहूकार के घर पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।इतने बड़े दुख से घिरी साहूकार की पत्नी एक सिद्ध महात्मा के पास जा पहुंची, जिन्हें उसने पूरी घटना बताई। महात्मा तो दयालु होते हैं, तब उन्होंने साहूकार की पत्नी से कहा कि ''हे देवी तुम अष्टमी के दिन भगवती माता का ध्यान करते हुए साही और उसके बच्चों का चित्र बनाओ। इसके बाद उनकी आराधना करते हुए अपनी गलती के लिए क्षमा मांगो। मां भगवती की कृपा से तुम्हे इस बड़े अपराध से मुक्ति मिल जाएगी।
साधु की कही गई बात के अनुसार, साहूकार की पत्नी ने कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को उपवास रखा और विधिवत अहोई माता की पूजा की। व्रत के प्रभाव से उसके सातों पुत्र पुनः जीवित हो गए और तभी संतान के लिए अहोई माता की पूजा और व्रत करने की परंपरा चली आ रही है।
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अहोई माता आरती (Ahoi Ashtami Aarti pdf)
जय अहोई माता,जय अहोई माता ।
तुमको निसदिन ध्यावत,
हर विष्णु विधाता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥
ब्रह्माणी, रुद्राणी, कमला,
तू ही है जगमाता ।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥
माता रूप निरंजन,
सुख-सम्पत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्यावत,
नित मंगल पाता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥
तू ही पाताल बसंती,
तू ही है शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव प्रकाशक,
जगनिधि से त्राता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥
जिस घर थारो वासा,
वाहि में गुण आता ।
कर न सके सोई कर ले,
मन नहीं घबराता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥
तुम बिन सुख न होवे,
न कोई पुत्र पाता ।
खान-पान का वैभव,
तुम बिन नहीं आता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥
शुभ गुण सुंदर युक्ता,
क्षीर निधि जाता ।
रतन चतुर्दश तोकू,
कोई नहीं पाता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥
श्री अहोई माँ की आरती,
जो कोई गाता ।
उर उमंग अति उपजे,
पाप उतर जाता ॥
ॐ जय अहोई माता,
मैया जय अहोई माता ।
गणेश जी की कहानी (Ganesh Ji Ki Kahani)
एक बुढ़िया अपने बेटे-बहू के साथ छोड़े से घर में रहती थी। बुढ़िया माई हर रोज़ गणेश जी की विधि विधान पूजा करती थी। गणेश जी रोजाना बुढ़िया से कहते- बुढ़िया माई! कुछ मांग ले। बुढ़िया कहती- मैं क्या मांगू? तब एक दिन गणेश जी बोले- अपने बेटे से पूछ ले कि उसे क्या चाहिए। तो बेटा बोला- मां! धन मांग ले। बहू से पूछने लगी तो बहू ने पोता मांगने की बात कही। बुढ़िया ने सोचा कि ये दोनों तो अपने मतलब की मांग रहे हैं सो पड़ोसन से जाकर पूछें। फिर वह पड़ोसन से जाकर बोली कि वो क्या मांगे। तो पड़ोसन बोली- पगली! क्यों तो धन मांगे? क्यों पोता मांगे? थोड़े ही दिन की जिंदगी बची है। इसलिए तू अपनी सुन्दर काया मांग ले। घर आकर बुढ़िया सोचने लगी कि ऐसी चीज मांगनी चाहिए जिसस बेटा-बहू भी खुश हों। दूसरे दिन गणेशजी जी फिर आकर बोले- बुढ़िया माई! कुछ मांग लो। बुढ़िया ने कहा- मुझे सुन्दर काया दे, सोने के कटोरे में पोते को दूध पीता देखूं, अमर सुहाग दे, निरोगी काया दे, भाई दे, भतीजे दे, सारा परिवार दे, सुख दे, मोक्ष दे। बुढ़िया के मुख से ये बातें सुनकर गणेशजी ने कहा- बुढ़िया माई! तूने तो मुझे ठग लिया। लेकिन अब जैसा बोला है वैसा ही हो जायेगा और गणेशजी ने बुढ़िया को वरदान दे दिया। अब बुढ़िया माई के यहां सब कुछ वैसा ही हो गया। हे गणेशजी महाराज! जैसा बुढ़िया माई को सबकुछ दिया वैसा सब किसी को देना।अहोई अष्टमी पर चांद निकलने का समय 2024 (Ahoi Ashtami 2024 Moon Rise Time)
नई दिल्ली में आज तारों के निकलने का समय- 06:06 पी एमनोएडा में आज तारों के निकलने का समय- 06:06 पी एम
कानपुर में आज तारों के निकलने का समय- 05:56 पी एम
लखनऊ में आज तारों के निकलने का समय- 05:53 पी एम
गोरखपुर में आज तारों के निकलने का समय- 05:43 पी एम
वाराणसी में आज तारों के निकलने का समय- 05:46 पी एम
जयपुर में आज तारों के निकलने का समय- 06:14 पी एम
अहोई अष्टमी पर तारों और चांद के निकलने का समय (Ahoi Ashtami 2024 Moon And Star Rise Time)
तारों को देखने के लिये साँझ का समय - 06:06 पी एमअहोई अष्टमी के दिन चन्द्रोदय समय - 11:54 पी एम
अहोई अष्टमी व्रत के नियम (Ahoi Ashtami Vrat Ke Niyam)
अहोई अष्टमी का व्रत निर्जला रखा जाता है, यानी व्रत रखने वाली महिलाएं दिनभर बिना जल और अन्न के रहती हैं। सूर्यास्त के बाद तारों को देखकर व्रत का पारण करती है। जिन महिलाओं की संतान नहीं होती है, उनके लिए भी अहोई अष्टमी का व्रत विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।Ahoi Ashtami Vrat Katha Image: अहोई अष्टमी व्रत कथा फोटो
अहोई अष्टमी के दिन चंद्रोदय मुहूर्त
शाम 22 बजकर 52 मिनटAhoi Ashtami 2024: अहोई अष्टमी शुभ मुहूर्त
- अष्टमी तिथि प्रारम्भ: 24 अक्टूबर 2024, गुरुवार की मध्यरात्रि 01 बजकर 21 मिनट से
- अष्टमी तिथि समाप्त: 25 अक्टूबर 2024, शुक्रवार की मध्यरात्रि 02 बजकर 01 मिनट तक
- अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त: 24 अक्टूबर 2024, गुरुवार की शाम 05 बजकर 50 मिनट से शाम 07 बजकर 06 मिनट तक
- सितारों को देखने का समय: शाम 06 बजकर 18 मिनट पर
- सूर्योदय का समय: सुबह 06 बजकर 27 मिनट
- सूर्यास्त का समय: शाम 05 बजकर 43 मिनट
- अहोई अष्टमी के दिन चंद्रोदय मुहूर्त: शाम 22 बजकर 52 मिनट
- अहोई अष्टमी के दिन चन्द्रास्त का समय: मध्य रात्रि 12 बजकर 37 मिनट
Ahoi Ashtami Ke kahani: अहोई अष्टमी की कहानी
अहोई अष्टमी के पीछे एक प्रमुख पौराणिक कथा है, जो इस त्योहार के महत्व को और भी बढ़ा देती है। कहा जाता है कि प्राचीन समय में एक साहूकार की पत्नी थी, जिसके सात बेटे थे। एक बार वह दीवाली से पहले अपने घर की सजावट के लिए जंगल से मिट्टी लेने गई। मिट्टी खोदते समय उसके हाथ से गलती से एक साही के बच्चे की मृत्यु हो गई। इस घटना से वह महिला बहुत दुखी हो गई और उसे अपने किए पर पछतावा होने लगा।अहोई अष्टमी का व्रत कैसे रखते हैं: Ahoi Ashtami Ka vrat kaise rakhte hain
स दिन सभी माताएं सूर्योदय से पहले जागकर स्नान कर अहोई माता की पूजा करती हैं और इस दौरान व्रत का संकल्प भी लेती हैं। पूजा के लिए अहोई माता की आठ कोने वाली तस्वीर पूजा स्थल पर रखी जाती है। ध्यान रखें कि माता अहोई के साथ साही की भी तस्वीर जरूर होनी चाहिए। बता दें साही कांटेदार स्तनपाई जीव होता है।Ahoi Ashtami ke vrat katha: अहोई अष्टमी की व्रत कथा
कथा के अनुसार, एक समय की बात है. एक नगर में एक साहूकार रहता था, जिसके 7 बेटे और 7 बहुएं थी. उसकी एक बेटी थी, जिसका विवाह हो चुका था. दिवाली के दिन वह मायके आई थी. दिवाली के अवसर पर घर और आंगन को साफ सुथरा करने के लिए जंगल से मिट्टी लाने चली गईं, उनके साथ उनकी नदद भी थी.जंगल में साहूकार की बेटी जिस जगह पर मिट्टी खोद रही थी, वहां पर स्याहु यानी साही अपने बेटों के साथ रहती थी. मिट्टी काटते समय साहूकार की बेटी की खुरपी से स्याहु का एक बच्चा मर गया. इससे स्याहु दुखी हो गई. उसने गुस्से में साहूकार की बेटी से कहा कि तुम्हारी कोख बांध दूंगी उसकी बात सुनकर साहूकार की बेटी डर जाती है और वह अपनी सभी भाभी से एक-एक करके कहती है कि वे उसके बदले अपनी कोख बंधवा लें. सबसे छोटी भाभी इसके लिए तैयार होती है. इस घटना के कुछ समय बाद जब उसकी छोटी भाभी के बच्चे होते हैं तो वे 7 दिन बाद मर जाते हैं. ऐसे करके उसके 7 संतानों की मृत्यु हो जाती है. तब उसने एक पंडित से घटना बताई और उपाय पूछा. पंडित ने कहा कि एक सुनहरी गाय की सेवा करो.
पंडित के सुझाव के अनुसार ही वह एक सुनहरी गाय की सेवा करती है. वह गाय उससे खुश हो जाती है और उसे स्याहु के पास ले जाती है. रास्ते में दोनों थक गए तो एक जगह आराम करने लगते हैं और सो जाते हैं. अचानक साहूकार की छोटी बहू की आंख खुलती है तो वह देखती है कि एक सांप गरुड़ पंखनी के बच्चे को डसने जा रहा होता है। तभी वह उस सांप को मार देती है. इतने समय में ही गरूड़ पंखनी वहां आ जाती है. वहां पर खून देखकर वह क्रोधित हो जाती है. उसे लगता है कि साहूकार की छोटी बहू ने उसके बच्चे को मार डाला है, इस पर वह उसे चोंच से मारने लगती है. इस पर छोटी बहू उससे कहती है कि उसने तुम्हारे बच्चे की जान बचाई है. यह बात सुनकर वह खुश हो जाती है. छोटी बहू और सुनहरी गाय के उद्देश्य को जानकर गरूड़ पंखनी उन दोनों को स्याहु के पास लेकर जाती है। साहूकार की छोटी बहू के काम से स्याहू प्रसन्न होती है. वह उसे 7 बेटे और 7 बहू होने का आशीर्वाद देती है. स्याहु के आशीर्वाद से साहूकार की छोटी बहू को 7 बेटे होते हैं और समय पर उनकी शादी होती है. इस प्रकार से साहूकार की छोटी बहू 7 बेटे और 7 बहुओं को पाकर खुश हो जाती है।
अहोई व्रत के नियम: Ahoi Ashtami Vrat niyam
यदि आप अहोई अष्टमी के दिन कुछ नियमों का ध्यान न रखें, तो इससे आप व्रत अधूरा माना जाता है। पूजा में अहोई माता को शृंगार अर्पित करने के बाद आप यह सामान अपनी सास को दे सकते हैं। इसके अलावा आप यह सामान मंदिर में भी दे सकते हैं। अहोई अष्टमी के दिन मिट्टी से जुड़ा काम जैसे बगीचे आदि का काम और नुकीली चीजों को भी इस्तेमाल जैसे सिलाई आदि न करें। साथ ही इस दिन किसी से लड़ाई-झगड़ा करना या फिर किसी का अपमान भी नहीं करना चाहिए। अन्यथा इससे भी आपका व्रत खंडित हो सकता है।Ahoi ashtami puja samagri: अहोई अष्टमी पूजा सामग्री
अहोई माता का चित्रशृंगार का सामान जैसे - काजल, बिंदी, चूड़ी, लाल चुनरी आदि
जल का कलश
गंगाजल, करवा
फूल, धूपबत्ती
दीपक, गाय का घी
रोली, कलावा, अक्षत
सूखा आटा (चौक के लिए)
गाय का दूध
24 अक्टूबर 2024 पंचांग : 24 October 2024 Panchang
माह-कार्तिक ,कृष्ण पक्षतिथि- अष्टमी ,व्रत-अहोई अष्टमी व्रत,गुरु पुष्य योग
दिन- गुरुवार
सूर्योदय-06:25am
सूर्यास्त-06:01pm
नक्षत्र-- पुष्य
चन्द्र राशि -- कर्क,स्वामी-चन्द्रमा
सूर्य राशि- तुला,स्वामी ग्रह-शुक्र
करण- बालव01:33 pm तक फिर कौलव
योग- साध्य
अहोई अष्टमी व्रत कथा: Aohi Ashtami Vrat katha
कथा के अनुसार, एक नगर में एक साहूकार रहता था, जिसके 7 बेटे और 7 बहुएं थी और एक बेटी थी थी, जिसका विवाह हो चुका था. दिवाली के दिन वह मायके आई थी. दिवाली के अवसर पर घर और आंगन को साफ सुथरा करने के लिए सातों बहुएं अपनी ननद के साथ जंगल में जाकर खदान में मिट्टी खोद रही थी. जंगल में साहूकार की बेटी जिस जगह पर मिट्टी खोद रही थी, वहां पर स्याहु यानी साही अपने बेटों के साथ रहती थी. मिट्टी काटते समय साहूकार की बेटी की खुरपी से स्याहु का एक बच्चा मर गया. इससे स्याहू माता बहुत नाराज हो गई और बोली- मैं तेरी कोख बांधूंगी.उसकी बात सुनकर साहूकार की बेटी डर जाती है और वह अपनी सभी भाभीयोंसे एक-एक करके कहती है कि वे उसके बदले अपनी कोख बंधवा लें. लेकिनसभी भाभियों ने अपनी कोख बंधवाने से इनकार कर देती हैं. लेकिन छोटी भाभी सोचती है कि अगर मैंने अपनी कोख नहीं बंधवाई तो सासू जी नाराज होंगी. यह सोचकर ननद के बदले में छोटी भाभी ने अपनी कोख बंधवा लेती है.इस घटना के कुछ समय बाद जब उसकी छोटी भाभी के बच्चे होते हैं तो वे 7 दिन बाद मर जाते हैं. ऐसे करके उसके 7 संतानों की मृत्यु हो जाती है. तब उसने एक पंडित को पूरी बात बताती है और उपाय पूछती है.
तब पंडित कहता है कि – तुम सुरही गाय की सेवा करो. सुरही गाय स्याहू माता की भायली है. वह तेरी कोख खुलवा देगी तब तेरा बच्चा जीएगा. अब वह बहुत जल्दी उठकर चुपचाप सुरही गाय के नीचे साफ-सफाई कर आती. सुरही गाय ने सोचा रोज सुबह कौन मेरी सेवा कर रहा है? आज देखती हूं.गौ माता खूब सवेरे उठकर देखती है कि साहूकार के बेटे की बहू उसके नीचे साफ-सफाई कर रही है. गौ माता उससे कहती हैं क्या मांगती है? तब साहूकार की बहू कहती है कि – हे गौ माता स्याहू माता तुम्हारी भायली है और उसने मेरी कोख बांध रखी है. सो मेरी कोख खुलवा दो. गौ माता ने कहा अच्छा ठीक है. अब तो गौ माता समुद्र पार साहूकार की बहू को अपनी भायली के पास लेकर चल पड़ी.
रास्ते में दोनों थककर एक जगह आराम करते हुए सो जाती हैं. अचानक साहूकार की छोटी बहू की आंख खुलती है तो वह देखती है कि एक सांप गरुड़ पंखनी के बच्चे को डसने जा रहा होता है.तभी वह उस सांप को मार देती है. इतने समय में ही गरुड़ पंखनी वहां आ जाती है. वहां पर खून देखकर वह क्रोधित हो जाती है. उसे लगता है कि साहूकार की छोटी बहू ने उसके बच्चे को मार डाला है, इस पर वह उसे चोंच से मारने लगती है. इस पर छोटी बहू उससे कहती है कि उसने तुम्हारे बच्चे की जान बचाई है. यह बात सुनकर वह खुश हो जाती है. छोटी बहू और सुनहरी गाय के उद्देश्य को जानकर गरुड़ पंखनी उन दोनों को स्याहु के पास लेकर जाती है
Ahoi Ashtami Vrat Mantra: अहोई अष्टमी मंत्र
अहोई अष्टमी के दिन 'ॐ पार्वतीप्रियनंदनाय नमः' मंत्र का जाप करना चाहिए।अहोई अष्टमी के दिन तारों को अर्घ्य देने का मुहूर्त
अहोई अष्टमी के दिन तारों को देखकर अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 6 मिनट पर होगा. इसके बाद माताएं तारों को अर्घ्य देकर व्रत खोल सकती हैंAhoi Ashtami vrat kaise karen: अहोई अष्टमी व्रत कैसे करें
अहोई अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।इसके बाद अहोई माता के सामने व्रत का संकल्प लें।
पूजा स्थल पर अहोई माता की पूजा के लिए गेरू से दीवार पर उनका चित्र और साथ में साही और उसके सात पुत्रों की तस्वीर जरूर बनाएं।
अगर चित्र नहीं बना सकते तो बाजार से बनी बनाई अहोई माता की फोटो ले आएं।
अहोई माता के सामने घी का दीपक जलाएं और एक कटोरी में चावल, मूली, सिंघाड़ा आदि चीजें पूजा में जरूर रखें।
विधि विधान पूजा करने के बाद अष्टोई अष्टमी की व्रत कथा सुनें या सुनाएं।
अहोई अष्टमी की सुबह पूजा करते समय एक लोटे में पानी और उसके ऊपर करवे में पानी रखते हैं।
शाम के समय अहोई माता की विधि विधान पूजा करके कथा सुनी जाती है।
लोटे के पानी से ही शाम को चावल के साथ तारों को अर्घ्य दिया जाता है।
अहोई पूजा में चांदी की अहोई बनाई जाती है जिसे स्याहु (साही) कहते हैं।
स्याहु की पूजा रोली, अक्षत, दूध और भात से किए जाने की परंपरा है।
अहोई अष्टमी पर शुभ योग
इस साल अहोई अष्टमी पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा पूरे दिन गुरु पुष्य योग और अमृत सिद्धि योग भी रहेगा। कहते हैं इस योग में पूजा करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती हैं।अहोई अष्टमी पूजा विधि: Ahoi Ashtami Puja Vidhi
-व्रती महिलाओं को अहोई अष्टमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए।इसके बाद संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करते हुए अहोई माता की प्रतिमा के सामने व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
-इस दिन पूजा स्थल पर अहोई माता का चित्र बनाया जाता है या बाजार से अहोई माता का बना बनाया चित्र लाकर उसकी पूजा की जाती है।
-अगर अहोई अष्टमी के लिए दीवार पर अहोई माता की आकृति बना रही हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि अहोई माता के साथ साही और उनके साथ के प्रतीक चिन्ह जैसे चांद, तारे आदि भी जरूर बनाएं।
-पूजा स्थल पर मिट्टी या फिर तांबे का एक जल से भरा कलश जरूर स्थापित करें। कलश के ऊपर एक नारियल रखें।
-कलश के समक्ष एक दीया जलाएं। इस दीपक में इतना घी डालें जिससे पूरी पूजा के दौरान ये जलता रहे।
-चावल, रोली, कुमकुम, मिठाई, धूप, दीप, हल्दी, सुपारी, कच्चा दूध, और फूल आदि सामग्री का प्रयोग करते हुए विधि विधान पूजा करें।
-इस दिन अहोई माता को विशेष रूप से दूध, चावल और मिठाई का भोग लगाया जाता है।
-भोग लगाने के बाद अहोई माता की कथा भी जरूर सुनें।
-अंत में अहोई माता की आरती की जाती है।
-पूजा के बाद महिलाएं तारों को देखकर जल पीकर अपना व्रत खोलती हैं।
-कुछ स्थानों पर अहोई अष्टमी व्रत चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही खोला जाता है।
अहोई अष्टमी 2024 राधा कुंड स्नान मुहूर्त : Ahoi Ashtami 2024 Radha Kund Snan Time
अहोई अष्टमी पर राधा कुण्ड स्नान का मुहूर्त रात 11:38 से देर रात 12:29 बजे तक रहेगा।अहोई अष्टमी व्रत के नियम: Ahoi Ashtami Puja Ke Niyam
अहोई अष्टमी की पूजा कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन प्रदोषकाल मे की जाती है। इस दिन महिलाएं अन्न और जल कुछ भी ग्रहण नहीं करतीं और शाम में शुभ मुहूर्त में अहोई भगवती की पूजा करती हैं। अहोई अष्टमी व्रत संतान की दीर्घायु और निरोगी काया के लिए रखा जाता है। इस दिन सभी माताएं सूर्योदय से पहले जागकर स्नान कर अहोई माता की पूजा करती हैं और इस दौरान व्रत का संकल्प भी लेती हैं। पूजा के लिए अहोई माता की आठ कोने वाली तस्वीर पूजा स्थल पर रखी जाती है। ध्यान रखें कि माता अहोई के साथ साही की भी तस्वीर जरूर होनी चाहिए। बता दें साही कांटेदार स्तनपाई जीव होता है। ये पूजा शाम को प्रारंभ होती है।अहोई अष्टमी की कथा: Ahoi Ashtami Ke Katha
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय की बात है एक नगर में एक साहूकार रहता था, जो अपने सात बेटे और पत्नी के साथ सुखी-सुखी रहता था। एक बार दीपावली से पहले साहूकार की पत्नी घर की लिपाई-पुताई के लिए खेत में मिट्टी लाने गई थी। खेत में पहुंचकर उसने कुदाल से मिट्टी खोदनी शुरू की मिट्टी इसी बीच उसकी कुदाल से अनजाने में एक साही (झांऊमूसा) के बच्चे की मौत हो गई। क्रोध में आकर साही की माता ने उस स्त्री को श्राप दिया कि एक-एक करके तुम्हारे भी सभी बच्चों की मृत्यु हो जाएगी। श्राप के चलते एक-एक करके साहूकार के सातों बेटों की मृत्यु हो गई और साहूकार के घर पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।इतने बड़े दुख से घिरी साहूकार की पत्नी एक सिद्ध महात्मा के पास जा पहुंची, जिन्हें उसने पूरी घटना बताई। महात्मा तो दयालु होते हैं, तब उन्होंने साहूकार की पत्नी से कहा कि ''हे देवी तुम अष्टमी के दिन भगवती माता का ध्यान करते हुए साही और उसके बच्चों का चित्र बनाओ। इसके बाद उनकी आराधना करते हुए अपनी गलती के लिए क्षमा मांगो। मां भगवती की कृपा से तुम्हे इस बड़े अपराध से मुक्ति मिल जाएगी।
साधु की कही गई बात के अनुसार, साहूकार की पत्नी ने कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को उपवास रखा और विधिवत अहोई माता की पूजा की। व्रत के प्रभाव से उसके सातों पुत्र पुनः जीवित हो गए और तभी संतान के लिए अहोई माता की पूजा और व्रत करने की परंपरा चली आ रही है।
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अहोई अष्टमी के दिन चांद निकलने का समय रात 11:55 का है।24 November 2024 Panchang: मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि के शुभ मुहूर्त, राहुकाल समेत पूरा पंचांग यहां देखें
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