Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया पर ही क्यों किये जाते हैं बांके बिहारी के चरण दर्शन, जानें इसके पीछे का कारण
Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया का त्योहार पूरे देश में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में लाखों की भीड़ बांके बिहारी के चरण दर्शन के लिए आती है। आइए जानते हैं अक्षय तृतीया पर ही क्यों होते हैं चरण दर्शन।
Baanke Bihari
Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया का त्योहार हर साल वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाया जाता है। इस साल के त्योहार 10 मई 2024 को मनाया जा रहा है। इस दिन अबूझ मुहूर्त होता है। अक्षय तृतीया पर किसी भी पर का शुभ काम करना उत्तम फलदायी होता है। ये त्योहार पूरे देश में बहुत ही उत्सुकता के साथ मनाया जाता है। अक्षय तृतीया का पर्व खासतौर पर वृंदावन में मनाया जाता है। इस दिन वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में बहुत ही रौनक देखने के मिलती है। अक्षय तृतीया के दिन बांके बिहारी मंदिर में भक्त लाखों की संख्या में बिहारी जी के चरण दर्शन के लिए आते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं अक्षय तृतीया पर ही क्यों किये जाते हैं चरण दर्शन।
Akshya Tritiya Puja Vidhi 2024
अक्षय तृतीया पर ही क्यों होते हैं बिहारी जी के चरण दर्शनपूरे साल बांके बिहारी जी के चरण पौशाक से ढके होते हैं, केवल अक्षय तृतीया के दिन ही चरण को दिखाया जाता है। इस दिन ठाकुर जी के चरण दर्शन करने से साधक को पूरे साल तरक्की मिलती है। पौराणिक कथा के अनुसार भक्त हरिदास की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान कृष्ण बांके बिहारी रूप में प्रकट हुए। वो प्रभु की सेवा में लीन रहते थे। उसी दौरान उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। एक बार जब वो ठाकुर जी को उठा रहे थे तो उन्हें उनके चरणों से स्वर्ण की मु्द्रा प्राप्ति हुई। फिर वो उन्हें पैसों से ठाकुर जी के भोग का इंतजाम करते थे। हर रोज स्वर्ण की मु्द्रा प्राप्त होती थी, इस कारण हर रोज ठाकुर जी के चरण दर्शन नहीं कराए जाते हैं। साल भर उनके चरण पौशाक से ढके रहते हैं।
100 किलो चंदन से होगी सेवाइस बार अक्षय तृतीया पर बांके बिहारी जी को 100 किलो चंदन का लेप लगाया जाएगा। इसका इंतजाम पहले से ही हो चुका है। ये चंदन दक्षिण भारत के मलयागिरी से ठाकुर जी के सेवा के लिए मांगवाया गया है। इस चंदन के लेप को बिहारी जी के पूरे शरीर पर पूरे श्रद्धा और भाव के साथ लगाया जाता है। जिससे की उनको शीतलता प्रदान हो सके।
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