Akshaya Tritiya Story In Hindi: अक्षय तृतीया के दिन जरूर पढ़ें ये कथा, हर कामना होगी पूर्ण

Akshaya Tritiya Story: अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु के परशुराम अवतार का जन्म हुआ था। इतना ही नहीं इस दिन युधिष्ठिर को भगवान कृष्ण ने अक्षय पात्र दिया था। ये एक ऐसा पात्र था जिसमें से भोजन कभी समाप्त नहीं होता था। जानिए अक्षय तृतीया की पौराणिक कहानी।

Akshaya Tritiya Story

Akshaya Tritiya Vrat Katha In Hindi (अक्षय तृतीया की कथा): अक्षय तृतीया के दिन दान पुण्य के कार्य करने और खरीदारी का अपना विशेष महत्व माना जाता है। मान्यता है इससे जीवन में धन-दौलत की कभी कमी नहीं होती। इतना ही नहीं इस दिन व्रत रखना भी अत्यंत शुभ फलदायी होता है। पंडित सुजीत जी महाराज अनुसार ये व्रत जन्म जन्मातंर के पापों से मुक्ति दिलाता है और जीवन में सुख-सुविधाएं बढ़ाता है। अगर आप भी अक्षय तृतीया का व्रत रख रहे हैं तो जरूर पढ़ें ये पौराणिक कथा।

अक्षय तृतीया व्रत कथा (Akshaya Tritiya Vrat Katha)

अक्षय तृतीया की पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में धर्मदास नामक वैश्य था। जो अपने परिवार के साथ गरीबी में जीवन जी रहा था। उसे हमेशा अपने परिवार के भरण-पोषण की चिंता लगी रहती थी क्योंकि उसके परिवार में कई सदस्य थे जिनकी जिम्मेदारी उसी पर थी। धर्मदास बेहद ही धार्मिक पृव्रत्ति का था सभी देव और ब्राह्मणों के प्रति उसकी श्रद्धा की वजह से उसे हर कोई पसंद करता था।

एक दिन मार्ग में उसने कुछ ऋषियों को अक्षय तृतीया के महत्त्व का वर्णन करते हुये सुना। ऋषि कह रहे थे कि अक्षय तृतीया महान अगणित फल प्रदान करने वाली होती है। इस दिन ही नर-नारायण, हयग्रीव और परशुराम अवतार प्रकट हुये थे। ऐसे में इस शुभ दिन पर किये जाने वाले दान, हवन, पूजन आदि कर्मों का अक्षय फल प्राप्त होता है यानी ऐसा फल जिसकी समाप्ति कभी नहीं होती। साथ भी ऋषियों ने ये भी कहा कि इस दिन देवताओं और पितरों के निमित्त जो भी दान, हवन, पूजन, तर्पण किया जाता है उसे बेहद पुण्य मिलता है।

End Of Feed