Rudraksh: रुद्राक्ष धारण करने से पहले जान लें इसके नियम, नहीं तो शुभ का हो जाएगा अशुभ

Rudraksh Mala: हिन्‍दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर के के अश्रुओं से हुई। रुद्राक्ष 14 मुखी, गणेश और गौरी शंकर तीन तरह के होते हैं। इन्‍हें धारण करना से भगवान शिव की कृपा बनी रहती है। हालांकि रुद्राक्ष को धारण करने के कुछ नियम होते हैं। जिसका पालन करने पर ही शुभ परिणाम मिलते हैं।

रुद्राक्ष के नियमों का रखें ध्यान, तभी मिलेगा मनवांछित फल

मुख्य बातें
  • रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर के के अश्रुओं से हुई
  • रुद्राक्ष 14 मुखी, गणेश और गौरी शंकर तीन तरह के
  • रुद्राक्ष धारण करते समय नियमों का पालन करना जरूरी

Rudraksh Mala: हिन्‍दू धर्म में रुद्राक्ष की बहुत मान्‍यता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रुओं से हुई है। माना जाता है कि रुद्राक्ष धारण करने पर भगवान शिव की विशेष कृपा रहती है। रुद्राक्ष धारण करने से कई फायदे मिल सकते हैं। रुद्राक्ष 14 मुखी, गणेश और गौरी शंकर तीन तरह के होते हैं। इन्‍हें धारण करने के कई नियम हैं, इसलिए रुद्राक्ष धारण करने से पहले इसके नियमों के बारे में जान लेना बेहद जरूरी है, तभी इसके शुभ परिणाम मिलते हैं। अगर नियमों का पालन न किया जाए तो इसका नकारात्मक प्रभाव भी जीवन पर पड़ सकता है। आइए रूद्राक्ष धारण करने के नियम जानें।
इस दिन पहनें रुद्राक्ष
रुद्राक्ष की माला को धारण करने के लिए सोमवार, पूर्णिमा या अमावस्या के दिन को बहुत शुभ माना जाता है। इस माला को हमेशा 1, 27, 54 या 108 की संख्या में धारण करना चाहिए। रुद्राक्ष की माला को सोने और चांदी जैसे धातु के साथ धारण करने पर जल्द अच्‍छे परिणाम मिल सकते हैं।
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